योगा सिंह की हंसती-खेलती जिंदगी में तबाही की पटकथा लिख गयी पिथौरागढ़ आपदा, तीनों बच्चियों की लाश मलबे से बरामद
मौत बनकर बरसी बारिश, कइयों के घर के चिराग उजाड़े
सलीम मलिक की रिपोर्ट
पिथौरागढ़, जनज्वार। रविवार 29 अगस्त की देर रात भारी बारिश से मची तबाही ने धारचूला के जुम्मा गांव के योगा सिंह की ज़िन्दगी में अंधेरा कर दिया। रविवार 29 अगस्त की रात को खाना खाकर हंसी-खुशी सोई उसकी तीन बेटियां सोमवार 30 अगस्त की सुबह का सूरज न देख सकी। आधी रात को भारी बरसात की वजह से आये मलवे में तीनों बच्चियां ज़िंदा दफन हो गयीं।
इस गांव की जामुनी तोक में पांच और सिरौउड़यार तोक में दो आवासीय मकान इस आपदा में जमीदोज हो गये थे, जिसमें करीब सात लोग लापता बताए जा रहे थे। सोमवार 30 अगस्त की शाम तक पांच लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, जिसमें योगा सिंह की तीनों बेटियां संजना, रेनू और शिवानी भी शामिल हैं।
गांव के ही दीपक सिंह और लाल सिंह की पत्नियों सुनीता देवी, पार्वती देवी की लाश भी मलबे के कीचड़ से निकाली जा चुकी हैं। लाल सिंह के बेटे नर सिंह को गम्भीर हालत में इलाज़ के लिए हेलीकॉप्टर से धारचूला भेजा गया है। दो लोगों की तलाश अभी भी जारी है। इलाके में चिकित्सा टीम पंहुच गई है। राहत एवं बचाव कार्य जारी हैं।
जिले के डीएम आशीष चौहान व एसएसपी सुखबीर सिंह प्रभावित क्षेत्र में राहत सामग्री पहुंचाने में जुटे हैं। मलवे की वजह से क्षेत्र में सड़क बंद होने के कारण हैलीकॉप्टर से रैस्क्यू कार्य किया गया। हैलीकॉप्टर से 2 घायल व्यक्तियों, जयमती देवी पत्नी शोबन सिंह, नर सिंह पुत्र लाल सिंह को धारचूला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र धारचूला लाया गया। डीएम ने बताया कि 2 लापता व्यक्ति चन्दर सिंह पुत्र विशन सिंह तथा हजारी देवी पत्नी चन्दन सिंह की खोजबीन का कार्य जारी रहेगा।
भारत के आखिरी जिले पिथौरागढ़ की धारचूला तहसील का यह जुम्मा गांव कल तक बेहद खुशहाल हुआ करता था, लेकिन आज वहां मरघट जैसा सन्नाटा पसरा हुआ है। नन्हे बच्चों की किलकारी से गूंजने वाले तमाम घर अब मलबे से पटे पड़े हैं, जहां की फ़िज़ाओं में मनहूसियत का अहसास दौड़ रहा है। यहां-तहां दूर-दूर तक पटे मलवे के ढेर में जिंदगी की तलाश के लिए स्थानीय लोगों के साथ ही रेस्क्यू टीम युद्ध स्तर पर खोजबीन में लगी हुई है।
जुम्मा के जामुनी तोक में रहने वाले 30 परिवारों के लिए रविवार 29 अगस्त की रात आसमान से बारिश तबाही बनकर बरसी। रविवार को पूरे दिन रिमझिम बारिश के बाद शाम सात बजे बाद बारिश ने रफ्तार पकड़ ली। अनहोनी से अनभिज्ञ गांव के अधिकतर लोग रोज की तरह रात को खाना खाने के बाद करीब 9 बजे तक सो गए।
सामाजिक कार्यकर्ता रूप सिंह धामी ने बताया कि अधिकतर घरों में लोग भोजन के बाद सो जाते हैं। रविवार रात भी यही हुआ। उन्हें क्या पता था कि सोमवार को सूर्य की पहली किरण से पहले उनका सब कुछ मलबे में दफन हो जाएगा। रात करीब बारह से एक बजे के बीच आसमान से आफत इस गांव पर कहर बनकर बरसी। भूस्खलनन से सात घर जमींजोद हो गए।
भारी मात्रा में पानी और मलबे के प्रचंड वेग में अंदर सो रहे दस लोग दफन हो गए। रविवार तक जिन घरों के आंगन दिन में बच्चे, बड़े बुजुर्गों की चहलकदमी से आबाद थे। अब उनका दूर-दूर तक कहीं पता नहीं है। मकानों का मलबा एक किमी दूर पहुंच गया है। घरों के नीचे लहलहाते खेत भी इस तबाही की भेंट चढ़ गए।