Begin typing your search above and press return to search.
आंदोलन

मुंबई पहुंचे किसानों की हुंकार, कर्ज करो माफ और लागू हो स्वामीनाथन रिपोर्ट

Janjwar Team
12 March 2018 5:22 PM IST
मुंबई पहुंचे किसानों की हुंकार, कर्ज करो माफ और लागू हो स्वामीनाथन रिपोर्ट
x

6 दिन पैदल चलकर मुंबई आए किसानों का नागरिकों ने किया फूलों से स्वागत, लाल सलाम का नारा लगाते हुए महाराष्ट्र भर से किसान पहुंचे हैं मुंबई

वामपंथी पार्टी सीपीएम की किसान सभा ने किया है किसानों के इस लोंग मार्च को संगठित, किसानों की है एक ही मांग लागू करो स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट, लाल सलाम के नारे से मुंबई हुई गुंजायमान

10 अप्रैल 2014 से सितंबर 2017 के बीच मोदी सरकार ने किया पूंजीपतियों का 2.4 लाख करोड़ रुपए माफ फिर किसानों की कर्जमाफी में क्या है समस्या

मुंबई, जनज्वार। 180 किलोमीटर पैदल चलकर 6 दिन में महाराष्ट्र के अलग—अलग हिस्सों से 35000 किसान मुंबई पहुंचे। पहले किसानों का कार्यक्रम था कि वो सिओन में रुकेंगे और 12 की सुबह विधानसभा का घेराव करेंगे लेकिन दसवीं के बोर्ड परीक्षा के चलते किसानों ने सरोकार और संवेदनशीलता दिखाते हुए अब आजाद मैदान में जुटने का फैसला किया है। वे अब वहीं इकट्ठा हुए हैं।

बीते मंगलवार को नासिक जिले से किसानों ने किसान यात्रा की शुरुआत की थी, जो अब मुंबई पहुंच चुकी है। कर्जमाफी के लिए आंदोलनरत किसान सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनका कर्ज माफ किया जाए और उन्हें मुआवजा मिले। किसानों की इस यात्रा को भाजपा को छोड़ लगभग हर राजनीतिक पार्टी का समर्थन मिल रहा है।

इस यात्रा में किसानों के साथ खेतीहर मज़दूर और कई आदिवासी समुदाय भी शामिल हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक किसानों का विशाल मार्च फडणवीस सरकार के लिये खतरे की घंटी का संकेत है कि सरकार जनता के मूड को भांप ले। हाथों में लाल झंडा थामे किसानों के जत्थे में ऑल इंडिया किसान सभा समेत तमाम संगठन शामिल हैं।

किसान रिपोर्टिंग के लिए चर्चित पत्रकार पी साईंनाथ ने कहा कि 2014 के बाद किसानों की स्थिति और खराब हुई है। सरकारें कारपोरेट के लिए और ज्यादा काम करने लगी हैं।

वहीं किसान अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के मातृ संगठन कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि जब मोदी सरकार 2014 से अब 2.4 लाख करोड़ रुपए पूंजीपतियों के माफ कर सकती है तो किसानों की कर्जमाफी और मुआवजे में क्या समस्या है।

मार्च में शामिल किसान चिल्ला—चिल्ला कर कह रहे हैं कि पिछले 9 महीनों में डेढ़ हज़ार से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है और भाजपा सरकार का कान पर जूं नहीं रेंगती। उसे कोई फर्क नहीं पड़ता किसानों के मरने से। मोदी वैसे तो मोदी मंचों से बड़ी—बड़ी बातें करते हैं, किसान हितों के दावे करते हैं, मगर जब जमीन पर काम करने की बात आती है तो वो किसानों के साथ नहीं पूंजीपतियों के साथ खड़े दिखाई देते हैं।

किसान मांग कर रहे हैं कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाये और स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को जल्द से जल्द लागू करे। किसानों का कहना है कि राज्य में सत्तासीन फडणवीस सरकार ने पिछले साल किसानों के 34000 करोड़ कर्ज़ माफी का वादा किया था, जो अब अब तक पूरा नहीं हो पाया है।

स्वराज अभियान और जन किसान आंदोलन के संयोजक योगेंद्र यादव कहते हैं, 'किसान ऐसा कुछ नहीं मांग रहे जिसका वादा भाजपा सरकार ने नहीं किया है। किसानों की कर्ज़माफी, उनकी फसल का उचित न्यूनतम दाम और दलित समुदाय के लोगों को दी गई ज़मीन के पट्टे देना तो महाराष्ट्र सरकार का वादा है, मगर ये किसानों का दुर्भाग्य है कि उन्हें अपने अधिकारों के लिये बार बार आंदोलन करना पड़ता है। पहले तो वह अपनी समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए सड़क पर आते हैं, फिर उन्हें सरकार से फैसला करवाने के लिए आंदोलन करना पड़ता है। किसानों को सरकार के लिखित फैसले को लागू करने के लिए तक आंदोलन करना पड़ रहा है।'

Janjwar Team

Janjwar Team

    Next Story

    विविध