जम्मू-कश्मीर के गिरफ़्तार DSP दविंदर सिंह के तार कैसे जुड़े थे अफ़ज़ल गुरु से?
संसद पर आतंकी हमले की घटना में डीएसपी दविंदर सिंह की भूमिका पर भी उठाये गए थे सवाल, मगर नहीं की गयी थी इस पुलिस अधिकारी की भूमिका की जांच….
जनज्वार। जम्मू-कश्मीर पुलिस को आखिर स्वीकार करना पड़ा कि उनका अपना ही अधिकारी हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सैयद नवीद मुश्ताक़ और उसके साथी उग्रवादियों को घाटी से बाहर निकालने में मदद करता पकड़ा गया है। इस पुलिस अधिकारी का नाम दविंदर सिंह है और वो उप-पुलिस निरीक्षक के पद पर कार्यरत है।
उनकी तैनाती श्रीनगर एयरपोर्ट पर पुलिस की अपहरण विरोधी इकाई में थी। बृहस्पतिवार, 9 जनवरी को जम्मू-कश्मीर का दौरा करने आए 15 विदेशी राजनयिकों का श्रीनगर एयरपोर्ट पर स्वागत करने वालों में दविंदर सिंह भी थे। गौरतलब है कि दविंदर सिंह को पिछले साल ही वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक से नवाजा गया था।
दविंदर सिंह द्वारा उग्रवादियों को मदद करने की बात तब सामने आई जब शनिवार, 11 जनवरी शाम को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुलगाम ज़िले की वनपोह जाँच चौकी पर रोके गए एक निजी वाहन पर उग्रवादी नवीद मुश्ताक़ और उसके साथियों के साथ उप-पुलिस निरीक्षक दविंदर सिंह भी बैठा था। दविंदर सिंह सहित तीनों अतिवादियों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके पास से हथियार भी बरामद किये गए।
इस बड़ी गिरफ़्तारी पर पहले तो जम्मू-कश्मीर पुलिस चुप्पी ही साधी रही। शनिवार 11 जनवरी तक पुलिस का कोई व्यक्तव्य नहीं आया। 12 जनवरी को कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी।
उन्होंने बताया, "कल एक बहुत बड़े अभियान को अंजाम दिया गया। शोपिया के पुलिस निरीक्षक के पास जानकारी थी कि एक आई टेन कार, जिसमें दो अतिवादी सवार थे, शोपियां से जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग की ओर जा रही है। उन्होंने मुझे सूचित किया, और मैंने डीआईजी (दक्षिण कश्मीर) को जाँच चौकियां लगाने को कहा। एक गाड़ी की तलाशी लेने पर हमें ऐसे दो उग्रवादी दिखे, जिनकी पुलिस को तलाश थी। हमें उनके साथ एक उप-पुलिस निरीक्षक और एक वकील भी मिले। उन सभी को गिरफ़्तार कर लिया गया है।"
पुलिस महानिरीक्षक ने उप-पुलिस निरीक्षक की पहचान दविंदर सिंह के रूप में की। पुलिस सूत्रों ने जानकारी दी कि दविंदर सिंह की गिरफ्तारी के बाद उसके घर की तलाशी ली गयी। वहां से दो राइफलें बरामद हुईं। इनका ये भी कहना है कि उग्रवादी मुश्ताक और दविंदर सिंह के सम्बन्धों को गहराई से खंगालने की कोशिश की जा रही है।
जाँचकर्ताओं को संदेह है कि पुलिस अधिकारी उग्रवादियों के लिए "वाहक" का काम कर रहा था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का तो ये भी कहना है कि अब उग्रवाद विरोधी वे सभी अभियान संदेह के घेरे में आ गए हैं जिनमें दविंदर सिंह और उनके साथी शामिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि दविंदर सिंह पुलवामा में भी उप-पुलिस निरीक्षक रह चुका है।
यह भी कयास लगाया जा रहा है कि 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकी हमले के सन्दर्भ में दविंदर सिंह की भूमिका की जांच हो सकती है। गौरतलब है कि 2004 में अपने वकील सुशील कुमार को तिहाड़ जेल से लिखे पत्र में संसद पर आतंकी हमले के आरोपी अफ़ज़ल गुरु ने कहा था कि उप-पुलिस निरीक्षक दविंदर सिंह, जो उस समय हुमहामा में जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशिष्ट अभियान दल में कार्यरत थे।
मुझसे कहा कि मैं मुहम्मद नाम के पाकिस्तानी नागरिक, जिसकी बाद में संसद पर हमला करने वाले आतंकी के रूप में पहचान की गयी, को दिल्ली ले जाऊं, उसके रहने के लिए एक फ्लैट किराये पर लूं और उसके लिए एक गाड़ी खरीदूं। अपने पत्र में अफजल गुरु ने एक अन्य पुलिस अधिकारी शैंटी सिंह का भी नाम लिया था और कहा था कि दविंदर सिंह के साथ मिल कर ही शैंटी सिंह ने एसटीएफ़ शिविर में उसे यातना दी थी।
गौरतलब है कि संसद पर आतंकी हमले की घटना में दविंदर सिंह की भूमिका पर भी सवाल उठाये गए थे, लेकिन उसकी जांच नहीं की गयी थी।
प्रेसवार्ता में जब पुलिस महानिरीक्षक से इस बाबत सवाल किया गया तो उनका जवाब बस इतना सा था-"हमारे रिकॉर्ड में इस बारे में कोई जानकारी दर्ज नहीं है और न ही मुझे इस बारे में कुछ पता है... हम उससे इस बारे में बात करेंगे।"