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नहीं रहे पर्यावरणविद और टेरी प्रमुख आर के पचौरी, 79 साल की उम्र में हुआ निधन

Vikash Rana
14 Feb 2020 11:07 AM IST
नहीं रहे पर्यावरणविद और टेरी प्रमुख आर के पचौरी, 79 साल की उम्र में हुआ निधन
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विश्व संस्था के सदस्यों व विज्ञानियों को संबोधित करते हुए श्री पचौरी ने पर्यावरण असंतुलन के प्रति गंभीर चिंताए जताई थी। विश्व में बढ़ते जल संकट को लेकर भी उन्होंने इस सत्र में गंभीर चिंता जताई थी...

जनज्वार। द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के संस्थापक और पूर्व प्रमुख आरके पचौरी का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। पचौरी को हृदय संबंधी बीमारी के चलते 11 फरवरी को जीवन रक्षक उपकरण पर रखा गया था। पचौरी की अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी। टेरी महानिदेशक अजय माथुर ने बयान जारी कर कहा कि पूरा टेरी परिवार दुख की इस घड़ी में पचौरी परिवार के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि टेरी पचौरी के अथक परिश्रम का परिणाम है। उन्होंने इस संस्था को विकसित करने और इसे एक प्रमुख वैश्विक संगठन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रके पचौरी इंटरगर्वमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के 2002 से 2015 तक चेयरमैन थे। उनके कार्यकाल में आईपीसीसी को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अनेक विषयों पर करीब 21 किताबें लिख चुके डॉ. पचौरी ने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जुड़े तमाम संस्थानों और फोरम में पचौरी ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। पर्यावरण के क्षेत्र में उनके महत्वूपर्ण योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

चौरी का जन्म 20 अगस्त 1940 को नैनीताल में हुआ था। बिहार के जमालपुर स्थित इंडियन रेलवे इंस्टिट्यूट ऑफ मेकैनिकल ऐंड इलेक्ट्रॉनिक इंजिनियरिंग से पढ़ाई की थी। डीएलडब्ल्यू वाराणसी से अपने करियर की शुरुआत करने वाले राजेन्द्र कुमार पचौरी ने अमेरिका के करोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी, रेलिग से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग और इकोनॉमिक्स में डॉक्ट्रेट की डिग्री हासिल की है। 1974 से 1975 तक को वह इसी यूनिवर्सिटी में इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे।

70 के दशक में अमेरिका में अध्ययन और अध्यापन के बाद पचौरी की स्वदेश वापसी हुई और उन्होंने स्टाफ एडमिनिस्ट्रेटिव कॉलेज ऑफ इंडिया में वरिष्ठ फैकल्टी के रूप में कार्य शुरू किया। इसके बाद 1981 में टाटा एनर्जी रिसर्च इस्टीटयूट के निदेशक का पद ग्रहण कर देश की विभिन्न संस्थाओं में अपना अनुभव बांटने के साथ ही आरके पचौरी ने कई विदेशी सरकारों को भी पर्यावरण के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दी। इस दौरान उन्होंने अनेक शोध-पत्रों के अलावा 21 पुस्तकें भी लिखी।

श्री पचौरी की कार्य क्षमता और पर्यावरण के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें 2002 में इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज का चेयरमैन बनवाया। श्री पचौरी के अनुसार पर्यावरण को बचाने के लिए समाजशास्त्री भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं, तभी धरती का कल्याण होगा।

ईपीसीसी के 24 सितंबर 2007 को शुरू हुए प्रारंभिक सत्र में इस विश्व संस्था के सदस्यों व विज्ञानियों को संबोधित करते हुए श्री पचौरी ने पर्यावरण असंतुलन के प्रति गंभीर चिंताए जताई थी। विश्व में बढ़ते जल संकट को लेकर भी उन्होंने इस सत्र में गंभीर चिंता जताई थी। यही नहीं, खाद्यान्न सुरक्षा के प्रति भी श्री पचौरी चिंतित दिखे। उनका मानना था कि पर्यावरण के बढ़ते असंतुलन को रोका न गया, तो आम आदमी को भोजन-पानी तक की किल्लत झेलनी पड़ सकती है।

2015 में पचौरी पर एक महिला सहकर्मी ने कथित रूप से यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद उन्होंने टेरी प्रमुख के से इस्तीफा दे दिया था।

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