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MP पुलिस की पिटाई से हुई किसान की मौत, कमलनाथ बोले शिव 'राज' में शुरू हो चुकी है दरिंदगी और बर्बरता
मरने से पहले बने अपने वीडियो में पीड़ित किसान बंसीलाल कह रहे हैं कि जब मैंने जुए के बारे में जानकारी होने से इनकार किया, तो पुलिस वालों ने जोरदार पिटाई शुरू कर दी। उन्होंने मुझे लाठियों से इतना पीटा कि मैं बेहोश हो गया...
भोपाल, जनज्वार। जितनी ज्यादा समाज में कोरोना वायरस की भयावहता बढ़ती जा रही है, उससे कहीं ज्यादा खौफ लोगों में पुलिस का बन रहा है। इसकी वजहें भी हैं। इस दौरान कई ऐसी घटनायें सामने आयी हैं, जिनमें पुलिसिया प्रताड़ना खुलकर सामने आयी है। हाल की घटना उत्तर प्रदेश की है, जहां बिस्किट लेने घर से बाहर निकलने 22 साल के रिजवान को पुलिस ने इतना पीटा कि इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी। अब ताजा मामला मध्य प्रदेश से सामने आ रहा है, जहां पुलिस की पिटाई से एक किसान की मौत हो गयी, जिसके बाद 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के जबलपुर में चार दिन पहले कोरोनोवायरस लॉकडाउन के दौरान कथित तौर पर पुलिस की पिटाई से घायल 50 साल के किसान बंसीलाल कुशवाहा की सोमवार 20 अप्रैल को मौत हो गई। इस मामले में जबलपुर के गोरा बाजार पुलिस स्टेशन में तैनात एक एएसआई, एक हेड कांस्टेबल और चार सिपाहियों समेत 6 पुलिसकर्मियों को पुलिस अधीक्षक ने निलंबित कर दिया है। वहीं 20 अप्रैल की देर शाम जबलपुर के एसपी अमित सिंह का भी तबादला हो गया।
इस मामले में एएसपी-जबलपुर संजीव उइके का कहना है, "प्रारंभिक जांच से पता चला है कि किसान को एक बीमारी के इलाज के लिए 19 अप्रैल को एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसने स्थानीय पुलिस या उच्च अधिकारियों से कोई शिकायत नहीं की थी। उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है। अगर उसमें ये बात आई कि पुलिस की पिटाई से किसान की मौत हुई है तो उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।'
किसान बंसीलाल कुशवाहा के साथ पुलिसिया प्रताड़ना की वारदात 16 अप्रैल की शाम को सामने आयी थी। जानकारी के मुताबिक जब 50 वर्षीय किसान बंशी कुशवाह अपने खेतों को पानी देकर घर लौट रहे थे, तब पुलिस ने उन पर हमला किया।
मरने से पहले बनाये गये एक वीडियो में बंसीलाल कुशवाहा जबलपुर पुलिस पर आरोप लगा रहे हैं कि गोरा बाजार पुलिस स्टेशन के छह पुलिसकर्मियों ने उन्हे रोका, जब वो अपने खेतों से लौट रहे थे और इलाके में चल रहे जुए के धंधे के बारे में पूछने लगे। बंसीलाल का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
मरने से पहले बने अपने वीडियो में पीड़ित किसान बंसीलाल कह रहे हैं, "जब मैंने जुए के बारे में जानकारी होने से इनकार किया, तो पुलिस वालों ने जोरदार पिटाई शुरू कर दी। उन्होंने मुझे लाठियों से पीटा, जिसके बाद मैं बेहोश हो गया और पड़ोसी मुझे घर लेकर आए।'
गौरतलब है कि रविवार 19 अप्रैल को बंसीलाल की हालत काफी खराब होने लगी तो उन्हें सिटी हॉस्पिटल नागरथ चौक ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान सोमवार 20 अप्रैल की तड़के उनकी मौत हो गयी।
इस मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कहते हैं, 'जबलपुर में शिवराज सरकार की पुलिस ने एक 50 वर्षीय बंशी कुशवाह नाम के किसान की बेरहमी से उस समय पिटाई की, जब वो अपने खेत में बंधी गाय को चारा—पानी देकर लौट रहा था। इस बेरहमी से पिटाई से उस ग़रीब किसान की मौत हो गयी। शिवराज सरकार के आते ही प्रदेश में किसानों पर दमन प्रारंभ हो गया है। लॉकडाउन का पालन हो लेकिन एक किसान जब अपनी भूखी प्यासी गाय को चारा पानी देकर घर लौट रहा हो, तो उसकी कारण जाने बिना बेरहमी से पिटाई, यह तो दरिंदगी व बर्बरता है।'
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इस मामले में मृतक बंसीलाल के भाई विष्णु कुशवाहा कहते हैं, वो तिलहरी में शासकीय स्कूल के पास रहते हैं। उनका खेत भी घर के पीछे से लगा हुआ है। गुरुवार 16 अप्रैल की रात करीब 8.30 बजे बड़े भाई बंशीलाल शाम से लापता गाय को खोजने घर से निकले थे। वो खेत के आसपास घूमते हुए गाय को खोजते रहे और करीब एक घंटे बाद लौटकर घर आ रहे थे। उन्हें खेत से निकलते ही एक जीप व सफेद रंग के दुपहिया वाहन से आए 7-8 पुलिसकर्मियों ने रोक लिया।
विष्णु कुशवाहा आगे कहते हैं, 'मेरे बड़े भाई ने इतनी रात गये पुलिस को खेत से आने का कारण गाय खोजना बताया, मगर फिर भी पुलिस उनसे पूछती रही कि जुआ कहां चल रहा है? मगर मेरे भैया को कुछ पता नहीं था तो भला वो इसकी जानकारी कहां से देते, कुछ न बताने पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें डंडों से पीटना शुरू कर दिया। उनकी चींखें सुनकर पास के घरों से लोग बाहर निकल आए, लेकिन पुलिसकर्मियों का किसी ने विरोध नहीं किया। पुलिसकर्मी खुलेआम मेरे भैया को पीटते रहे और तब तक मारा जब तक वे बेहोश नहीं हो गए।
मृतक बंसीलाल कुशवाहा के परिजन कहते हैं, जिस दिन बंसीलाल को पुलिस ने पीटा, पड़ोसियों की सहायता से हम उन्हें मौके से उठाकर घर ले गए और रात में वहीं रखा। दूसरे दिन सुबह से उन्हें हाथ-पैर, पुठ्ठों और कमर के नीचे आई चोटों से बहुत दर्द होने के साथ ही खून निकलना शुरू हो गया। लॉकडाउन होने से हम लोग उनके लिए दवायें लेकर आ गये। बड़े भाई को दर्दनिवारक दवाओं से कुछ आराम लगा, लेकिन शनिवार 18 अप्रैल को सुबह से दर्द से परेशान रहे और दोपहर तीन बजे वे जमीन पर गिरे और खून की उल्टियां करने लगे। तब हम उन्हें पड़ोसी के मालवाहक ऑटो में उन्हें लेकर सीधे सिटी अस्पताल पहुंचे। लेकिन रविवार-सोमवार की रात करीब 3.30 बजे उनकी मौत हो गई।