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आंदोलन

750 किलो प्याज बिकी 1050 रुपये में, किसान ने प्याज का पैसा भेजा प्रधानमंत्री को

Prema Negi
3 Dec 2018 2:28 PM GMT
750 किलो प्याज बिकी 1050 रुपये में, किसान ने प्याज का पैसा भेजा प्रधानमंत्री को
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प्रधानमंत्री को पूरी फसल का 1064 रुपए भेजने वाले संजय हैं वो किसान जिन्हें कृषि मंत्रालय ने किया था 'प्रगतिशील किसानों' के बतौर चयनित और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से 2010 में ये मिले थे भारत के खुशहाल किसान के रूप में....

जनज्वार। महाराष्ट्र के नासिक के किसान संजय साठे ने इस सीजन में साढ़े सात क्विंटल प्याज उगाई, जिसकी कीमत मंडी में 1 रुपये प्रति किलो थी। मोल तोल करने के बाद 1.40 रुपये प्रति किलो पर बात बनी और उन्हें अपनी पूरी फसल के लिए कुल 1,064 रुपये मिले।

इसे क्या कहा जाए कि एक किसान को अपनी पूरी सीजन की मेहनत का यह मेहनताना मिलता है। इस स्थिति में किसान आत्महत्या नहीं करेगा तो फिर करेगा। मगर संजय साठे ने कुछ और किया। प्रधानमंत्री मोदी को देश के किसानों की असल दयनीय हालत का आईना दिखाने के लिए उन्होंने 54 रुपये का अतिरिक्त खर्च कर इस रकम को प्रधानमंत्री आपदा कोष को दान कर दिया।

29—30 नवंबर को लाखों—लाख किसानों ने अपनी मांगों को लेकर राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान में व्यापक प्रदर्शन किया था। किसानों की सिर्फ दो मांगें थीं कि किसानों की पूर्ण कर्जामुक्ति और फसलों की लागत का डेढ़ गुना दाम दिया जाए।

अगर किसानों की ये मांगें पहले ही सरकार ने मान ली होतीं तो शायद एक किसान को 750 किलो प्याज के बदले सिर्फ 1000 रुपए नहीं मिलते। यह तो मात्र एक उदाहरण है देश के लाखों किसान इस त्रासदी को झेलने के लिए श्रापित हैं।

पीटीआई से बात करते हुए महाराष्ट्र के नासिक जिले स्थित निफाद तहसील के किसान संजय साठे ने कहा, "मैंने इस सीजन में 750 किलोग्राम प्याज का उत्पादन किया था, लेकिन पिछले हफ्ते थोक बाजार में प्याज सिर्फ 1 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही थी। अंतत: 1.40 रुपये प्रति किलो के की दर से सौदा तय हुआ तो 750 किलोग्राम के लिए 1,064 मिले जो पैसा मैंने देश के अन्नदाता की हकीकत का आईना दिखाने के लिए प्रधानमंत्री के पास भेज दिया है।

गौरतलब है कि यह वही नासिक है जहां भारत भर के प्याज का कुल 50 फीसदी उत्पादन होता है।

यह वो संजय साठे हैं जो तब चर्चा में आए थे जब 2010 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बातचीत के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा चुने गए 'प्रगतिशील किसानों' के दल में साठे शामिल थे।

4 महीने की जीतोड़ मेहनत का ईनाम था 750 किलो प्याज के बदले मिले 1064 रुपए मिलना। सवाल है कि जब आम इंसान 20 रुपए किलो प्याज खरीद रहा है तो आखिर यह 19 रुपये का मुनाफा कौन बिचौलिया कमा रहा है बीच में। क्यों नहीं सरकार इस तंत्र को बेहतर करती। कुछ ऐसी ही तो मांग है पीड़ित किसानों की। सवाल यह भी कि जब पूरे सीजन काम के बदले 1064 रुपए हाथ में आएंगे तो किसान आत्महत्या को मजबूर नहीं होगा तो क्या करेगा।

संजय साठे कहते हैं, चार महीने के परिश्रम का इतना कमजोर रिटर्न देखने में मेरे लिए बहुत दर्दनाक था। इसलिए मैंने पीएमओ के आपदा राहत कोष में 1,064 रुपये भेज दिए। हालांकि मुझे पैसे भेजने के लिए अतिरिक्त 54 रुपये का भुगतान करना पड़ा। मैं किसी भी राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व नहीं करता हूं। लेकिन मैं किसानों की पीड़ा के प्रति मोदी सरकार की उदासीनता के कारण नाराज हूं।

साठे द्वारा पीएमओ राहत कोष के लिए यह मनीऑर्डर 29 नवंबर को इंडिया पोस्ट के निफाद कार्यालय से भेजा गया था। इसे "नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री" के नाम से पोस्ट किया गया है।

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