उल्फा प्रमुख परेश बरूआ असम का नागरिक, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन का परिवार नहीं
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ममता बनर्जी बोलीं, मैं यह देखकर हैरान हूं एनआरसी के असम ड्रॉफ्ट में पूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के परिवार का नाम नहीं है शामिल...
जनज्वार। कल 30 जुलाई को असम में राष्ट्रीय नागरिक सिटिजन चार्ट NRCAssam जारी कर दिया गया, जो जारी होने के साथ ही सवालों के घेरे में आ गया। NRCAssam में 40 लाख लोगों को अवैध नागरिक घोषित करते हुए 2.89 करोड़ लोगों को असम का नागरिक माना है।
इसके और भी ज्यादा विवादों में आने और इसमें गड़बड़झाले की आशंका इसलिए भी है क्योंकि जहां इसमें सरकार द्वारा उग्रवादी घोषित उल्फा संगठन के प्रमुख परेश बरूआ का नाम शामिल है वहीं पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के बड़े भाई के परिवार यानी उनके भतीजे के परिवार का नाम शामिल नहीं किया गया है।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के बड़े भाई एकरामुद्दीन अली अहमद के परिवार का नाम इस लिस्ट में नहीं है। उनके भतीजे जियाउद्दीन अली अहमद के अनुसार न तो उनका और न ही परिवार के किसी सदस्य का नाम एनआरसी ड्राफ्ट में शामिल किया गया है।
गौरतलब है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही असम में जारी एनआरसी मसौदे पर सवाल उठाते हुए केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगा चुकी हैं कि मोदी सरकार एक गेम प्लान के तहत लोगों को अलग—थलग कर रही है। लोग अपने ही देश में शरणार्थी की तरह जीने को मजबूर होंगे। इस ड्रॉफ्ट में पासपोर्ट, आधार कार्ड और पहचान पत्र धारकों के नाम शामिल नहीं किये गये हैं। क्या सरकार जबरदस्ती लोगों को यहां से बेदखल करना चाहती है।
पूर्व राष्ट्रपति के भतीजे जियाउद्दीन अली अहमद के मुताबिक वे असम के कामरुप जिले में रंगिया गांव में रहते हैं। वे कुछ जरूरी दस्तावेज जिन्हें लेगेसी के तौर पर जमा करना था जमा नहीं कर पाए थे, जिस कारण उन्हें असम की नागरिकता नहीं दी गई है। अब मीडिया में खबर आने के बाद सरकार शायद कुछ करे।
NRCAssam में पूर्व राष्ट्रपति के परिजनों का नाम न होने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं यह देखकर हैरान हूं कि एनआरसी के असम ड्रॉफ्ट में पूर्व राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद के परिवार का नाम नहीं है। ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनका नाम सूची में नहीं है।
इसी मुद्दे पर दिल्ली पहुंची ममता ने प्रेस से कहा कि, यदि कहें कि बिहारी बंगाल में नहीं रह सकते हैं, दक्षिण भारतीय कहें कि उत्तर भारतीय वहां नहीं रह सकते औरर उत्तर भारतीय कहें कि दक्षिण भारतीय यहां नहीं रह सकते तो इस देश की स्थिति क्या होगी। यह सब नहीं होना चाहिए। हमारा देश एक है।
पूर्व राष्ट्रपति के परिजनों के अलावा सेना में वर्षों तक रहे अजमल हक का भी नाम इसमें शामिल नहीं किया गया है। कुछ समय पहले सेना के इस रिटायर्ड अधिकारी को फारेनर्स ट्रिब्युनल में तलब किया गया था, जहां उनसे उनकी असम नागरिकता के प्रमाण भी मांगे गए थे। जहां सेना अधिकारी के नाम लिस्ट में शामिल नहीं है, वहीं उनके 3 परिजनों को शामिल करना और भी हैरत में डालता है।
NRCAssam की लिस्ट में बीजेपी के एक विधायक अनंत कुमार मालो का नाम भी शामिल नहीं है। मालो दक्षिण अभयपुरी से भाजपा के विधायक हैं।
उल्फा के चीफ रहे परेश बरुआ का नाम इस लिस्ट में जरूर शामिल किया गया है, जबकि उसकी पत्नी और बच्चों के नाम लिस्ट में शामिल नहीं हैं। सवाल है कि अगर उल्फा प्रमुख का नाम इस लिस्ट में शामिल है तो पत्नी और बच्चों के नाम भी होने चाहिए थे क्योंकि वे यहीं पैदा हुए हैं।
अपनी तरफ से दी जा रही सफाई में शासन—प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि एनआरसी ड्राफ्ट में जिन लोगों के नाम छूट गए हैं, उन्हें जरूरी दस्तावेज मुहैया कराने के लिए एक मौका दिया जाएगा। मगर इसमें बहुत से वो लोग भयभीत और आशंकित हैं जिनके दस्तावेज बाढ़ या अन्य किसी तरह की आपदा में नष्ट और गायब हो चुके हैं।