अंबेडकर जयंती पर आज गिरफ्तारी देंगे गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े
पिछले हफ्ते भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले पर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को एक हफ्ते के भीतर सरेंडर करने को कहा था..
जनज्वार ब्यूरो, दिल्ली। भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और प्रोफेसर व लेखक आनंद तेलतुंबड़े को 14 अप्रैल को सरेंडर करना है। बता दें कि पिछले हफ्ते भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले पर हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को एक हफ्ते के भीतर सरेंडर करने को कहा था।
ऐसे में इन दोनों के समर्थकों ने तय किया कि गिरफ्तारी 14 अप्रैल को दी जाये, जिससे कि भीमा कोरेगांव का मायने और मतलब भी जनता के बीच जाये और गिरफ्तारी का महत्व भी बने।
यह भी पढ़ें : संघी नेताओं, भाजपा सरकार और पुलिस की मिलीभगत का परिणाम कोरेगांव—भीमा में दलितों पर हिंसा
गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े को सुप्रीम कोर्ट ने अब तक गिरफ्तारी से राहत दे रखी थी, मगर अब उन्हें जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करना होगा। सुप्रीम कोर्ट की दी हुई मोहलत आज 14 अप्रैल को ही खत्म हो रही है।
वहीं उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने आह्वान करते हुए अपने ट्वीट में लिखा, 'हमारी मांग में शामिल हों -आनंद को गिरफ्तार न करो। अंबेडकर जयंती पर आनंद तेलतुम्बडे की गिरफ्तारी राष्ट्रीय शर्म है। चलो एकजुट हो जाएं और ट्वीट का उपयोग करें।'
यह भी पढ़ें : भीमा-कोरेगांव हिंसा के लिए क्या सोशल मीडिया है जिम्मेदार
जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद ने अपने ट्वीटर हैंडल से लिखा, 'महामारी के बीच इन प्रमुख सार्वजनिक बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार रक्षकों को गिरफ्तार करना अमानवीय है और इसे रोकने की जरूरत है!'
सीपीआई एमएल नेता कविता कृष्णन ने ट्वीट में लिखा, अंबेडकरवादी बौद्धिक और कार्यकर्ता प्रोफ़ेसर आनंद तेलतुम्बडे को अंबेडकर जयंती पर कल (बिना किसी अपराध के) गिरफ्तार किया जाना है? आनंद को गिरफ्तार मत करो। गौतम को गिरफ्तार मत करो। सुधा, रोना, शोमा, अरुण, सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करें।
यह भी पढ़ें — जनज्वार एक्सक्लूसिव : पत्रकार आशीष गुप्ता ने व्हाट्सएप जासूसी मामले को लेकर मुंबई पुलिस पर जाहिर किया संदेह
इतिहासकार एस इरफान हबीब ने लिखा, हम भारतीयों के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता। बाबा साहब के साथ उनका पारिवारिक जुड़ाव रहा है, आनंद तेलतुंबड़े एक गंभीर विचारक और कार्यकर्ता हैं, जो सम्मान के हकदार हैं, गिरफ्तारी के नहीं।
Nothing can be more shameful for us Indians. His familial association with Baba sahib apart, Anand Teltumbde is a serious thinker and activist who deserves respect not arrest. https://t.co/a30eRg2ZtJ
— S lrfan Habib (@irfhabib) April 13, 2020
दें कि 1 जनवरी 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में हिंसा को लेकर गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबड़े और कई अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुणे पुलिस ने केस दर्ज किया था। उन पर माओवादियों से संबंध होने का आरोप लगा। पुणे पुलिस के मुताबिक, 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित यलगार परिषद के सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों ने अगले दिन भीमा कोरेगांव में जातिगत हिंसा भड़का दी थी। पुलिस के मुताबिक, सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन था।