पुणे में मेट्रो निर्माण में हो रही मनमानी से आम जनता हलकान, महानगर निगम और मेट्रो अधिकारियों के बीच नहीं कोई तालमेल
जहां जनता झेल रही है ट्रैफिक समस्या, वहीं नगर निगम अधिकारियों को नहीं पता कि कैसे मिली मेट्रो को निर्माण की अनुमति, मेट्रो प्रशासन महानगर निगम के अधिकारियों को साथ लेकर नहीं कर रहा काम, खामियाजा भुगत रही है आम जनता, पिछले दस सालों से प्रस्तावित है पुणे में मेट्रो निर्माण कार्य
पुणे से रामदास तांबे की रिपोर्ट
स्मार्ट सिटी कहलाने वाले पिम्परी चिंचवड़ में मेट्रो ट्रेन के निर्माण कार्य के वजह से यातायात में काफी बाधाएँ आ रही हैं। मेट्रो प्रशासन पूरे तरीके से मनमानीपूर्ण काम कर रहा है, लेकिन इस मनमानी से पिम्परी चिंचवड़ शहरवासियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि पुणे शहर में पिछले दस साल से मेट्रो प्रस्तावित है, मगर जिस गति से निर्माण कार्य हो रहा है उससे अभी भी ऐसा नहीं लगता कि यह बहुत जल्द बन जाएगी।
पिम्परी चिंचवड़ में महानगर निगम भवन के सामने से पहले मेट्रो का जो रूट तय किया गया था, उस रूट में दिक्कतें आ रही थीं, इसलिए मार्ग बदलकर मेट्रो प्रशासन ने बीआरटीएस के मार्ग पर ही उत्खनन करके खम्भे का निर्माण शुरू कर दिया। जब बीआरटीएस मार्ग पर उत्खनन की बात महानगर निगम प्रशासन अधिकारियों के संज्ञान में आई तो उन्होंने निर्माण कार्य को रोक दिया।
इसके बारे में पिम्परी चिंचवड़ महानगर निगम के उप अभियंता तथा बीआरटीएस के प्रवक्ता विजय भोजने बताते हैं, हमने एक्सप्रेस मार्ग के बीच में मेट्रो प्रशासन को अनुमति दी थी, लेकिन जब पता चला कि पिम्परी चिंचवड़ महानगर निगम के मुख्य कार्यालय के सामने से मेट्रो की लाइन जाएगी, तो हमें हस्तक्षेप करना पड़ा। क्योंकि मेट्रो वहां से अपनी लाइन ले जा रही थी, जहां फुटपाथ और सर्विस रोड पर सेवा वाहनियाँ होती हैं, वो फुटिंग के बीच आ रही थी, इसलिए निर्माण रोक दिया गया।
भोजने आगे कहते हैं, मेट्रो को टैक्निकल रूप से काम आगे बढ़ाने में दिक्कत हो रही थी। अब अगर उस जगह मेट्रो का पिलर बनाया जाएगा तो बीआरटीएस कॉरिडोर के सामने मुश्किलें आ सकती हैं, इसलिए हमने निर्माण कार्य पर रोक लगाई है। इस बारे में महानगर निगम के आयुक्त के साथ चर्चा के बाद ठोस निर्णय मेट्रो को अवगत कराएंगे। उस निर्माण के लिए मेट्रो के साथ चर्चा करके उसके लिए कुछ उपाय किए जाएंगे, जिससे कि मुद्दे को सुलझाया जा सके। यदि ऐसा नहीं हुआ तो चीजें जैसे पहले थीं, वैसे ही रहेंगी।
हालांकि भोजने यह कहना नहीं भूलते कि मेट्रो को टर्न लेने में दिक्कत हो रही है तो कुछ जगह हमें भी उनको सहयोग देना होगा। लेकिन जब इस संवाददाता ने पूछा कि बीआरटीएस मार्ग निर्माण से पहले मेट्रो प्रशासन ने महानगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक की थी या किसी अन्य तरीके से अनुमति मांगी गई थी? तो भोजने कहते हैं, हमारे वरिष्ठ अधिकारी ने इस संबंध में बात की होगी। उन्होंने प्रिंसिपल सोच करके अनुमति दी होगी, ऐसा मुझे लगता है। लेकिन आयुक्त के साथ बात करके परामर्श करने के बाद ही इसका खुलासा हो सकता है। यानी की मेट्रो प्रशासन महानगर निगम के अधिकारियों को साथ लेकर काम नहीं कर रहा है और गलतियां लोगों को भुगतनी पड़ रही हैं।
मेट्रो प्रशासन की कार्यप्रणाली के प्रति शहरवासियों भी भारी नाराजगी व्याप्त है। शहरवासियों ने मेट्रो के खिलाफ आंदोलन छेड़ा हुआ था। लेकिन मेट्रो इनके विरोध पर कुछ भी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर रहा है। पिम्परी से निगड़ी तक मेट्रो चलायी जाए, की आम लोगों की मांग के साथ—साथ जन प्रतिनिधियों की मांग के बावजूद मेट्रो और महानगर निगम द्वारा कोई ठोस कदम उठाया नहीं जा रहा है।
इस बारे में मावल लोकसभा से सांसद श्रीरंग बारने कहते हैं, मेट्रो निगड़ी के भक्ति शक्ति चौक तक जाने के लिए काफी दिनों से मांग की जा रही है। इस विभाग का सदस्य होने के नाते मैंने लोकसभा, संसद में यह मुद्दा उठाया। इस विभाग के मंत्री हरदीपसिंह पुरी के साथ बैठक करके उसे मंत्रालय ने मंजूरी दी है। इसमें कुछ फंड की आवश्यकता है। अगर पिम्परी चिंचवड़ महानगर निगम ने इसमें सहयोग दिया तो निश्चित ही शहरवासियों की मांग पूरी होगी। यहां से मेरी राजनीतिक पार्टी नहीं है, दूसरी पार्टी है।
मगर असल सवाल है कि क्या ये श्रेयवाद की लड़ाई है या फिर लोगों की सुविधाओं की लड़ाई हैं। पिम्परी चिंचवड़ शहर की आबादी 25 लाख तक पहुंच चुकी है। इसलिए मेट्रो आ जाने से शहर के नजदीक के क्षेत्रों के नागरिकों को पुणे तक जाने में सुविधा प्राप्त होगी।
पिम्परी चिंचवड़ महानगर निगम के अधिकारियों, शहर के जन प्रतिनिधि अगर ठान लेंगे तो निश्चित ही मेट्रो निगड़ी तक जाएगी।
मेट्रो अधिकारियों और महानगर निगम के अधिकारियों का आपसी तालमेल न होना दर्शाता है कि मेट्रो के संबंध में कभी किसी तरह की बैठक ही नहीं की गई है, नहीं तो ऐसा क्यों होता कि दोनों विभाग एक दूसरे की योजनाओं और कार्य से अंजान बने रहते।
मेट्रो प्रशासन की परियोजना पूरी करने के लिए चल रही भागदौड़ बाकी प्रशासन के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। साथ ही महानगर निगम के अंतर्गत आने वाले मार्ग को भी बड़ा नुकसान पहुंचता है, लेकिन मेट्रो प्रशासन को से कुछ भी लेना देना नहीं है। गौर की बात तो ये है कि इसके पहले इसी मेट्रो प्रशासन पर बाकायदा उत्खनन करने पर पुणे जिला प्रशासन ने 21 लाख का जुर्माना लगाया था।
पूरे भारतवर्ष में बेस्ट सिटी अवार्ड से पिम्परी चिंचवड़ महानगर निगम को नवाजा गया है। हाल ही में बीजेपी सरकार ने पिछले दरवाजे से इस शहर को स्मार्ट सिटी में शामिल किया। एक साल पहले महानगर निगम में कद्दावर नेता शरद पवार की सत्ता थी। अच्छे दिन आने वाले हैं इस ख़ुशी में जनता ने पिम्परी चिंचवड़ में भी बीजेपी को सत्ता सौंप दी। मगर सत्ता में आने के बाद से सत्ताधारी पार्टी को मेट्रो की तरफ नजर डालने का समय तक नहीं है।