Begin typing your search above and press return to search.
आंदोलन

ईंट भट्टा मालिक पीटकर करवाता था बंधुआ मजदूरों से काम

Prema Negi
2 July 2019 9:16 AM IST
ईंट भट्टा मालिक पीटकर करवाता था बंधुआ मजदूरों से काम
x

प्रतीकात्मक फोटो

मानव तस्कर अन्य राज्यों में काम दिलाने के नाम पर गरीब मजदूरों को ये कहकर ले जाते हैं कि 1000 ईंट बनाने का मिलेगा 660 रुपए, मगर अपना कमीशन लेकर हो जाते हैं फरार, मजदूर बहुत कम पैसे में काम करने के लिए कर दिये जाते हैं बाध्य

जनज्वार। मानव तस्कर जुगल एवं अखिलेश ने बिहार के बांका, नालंदा सहित कई जिलों में अपने दो नंबर का काम फैलाया। इसी के तहत कई मजदूरों को उन्होंने एडवांस मजदूरी राशि देकर अपने चंगुल में फांसा। यह राशि किसी परिवार को 10,000 तो किसी परिवार को 15,000 रुपये तक दी गई। किसी मज़दूर ने अपने परिवार के लिए राशन तो किसी ने पुराना कर्ज उतारने या हारी—बीमारी के कारण एडवांस ले ही लिया था।

गर इस एडवांस के कर्ज को उतारने में मज़दूर अकेले नहीं, बल्कि पूरा का पूरा परिवार पथेरे में ईंट पाथने के लिए लग गया। बावजूद इसके पूरे 10 माह बीत जाने के बाद भी मालिक का कहना है कि इन पर अभी भी कर्ज है। एक परिवार के पांच से ज्यादा सदस्य प्रतिदिन 14 घंटे से ज्यादा काम करते थे। आखिर पूरा परिवार लगभग सालभर में इतना कर्ज क्यों नहीं चुका पायेगा। मगर यहां मानव तस्करों ने मजदूरों के अशिक्षित होने का लाभ उठाया और मनमानी जगह अंगूठा लगवाया।

भी 21 मजदूर परिवारों के लगभग 80 मज़दूर जिनमें महिलाए एवं बच्चे भी शामिल हैं, को कमला BKO (ईंट—भट्टा) गांव दीवाना, पहवा, कुरुक्षेत्र, हरियाणा में अखिलेश एवं जुगल ने झिंकू नाम के ईंट भट्टा मालिक के हाथों बेच दिया। यहां मजदूरों को प्रति परिवार न्यूनतम मजदूरी से बहुत कम 1000—1500 तक प्रति सप्ताह या इससे भी कम सिर्फ पेट भरने के लिए पैसे दिये जाते थे।

गता गांव की पूनम देवी कहती है, कृषि मजदूरी के काम से लगभग एक महीने के लिए 200 रुपए प्रतिदन पुरुष तथा 100 रुपए महिला को रोजगार मिल पाता है। वहीं मुक्त बंधुआ मजदूर लक्ष्मी ने बताया कि मनरेगा में भी केवल एक या दो महीने तक ही 100 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से काम मिल पाता है, जिसमें भी 14 वर्ष तक के बच्चों को भी स्कूल की सुविधा नहीं मिलती और काम पर साथ लाना पड़ता है।

संजय ने बताया कि कंस्ट्रक्शन के काम में रोज 10 घंटे काम करके केवल पुरुष 250 रूपए तक प्राप्त कर पाते हैं। ऐसे में इन्हें मानव तस्कर 6 महीने अन्य राज्यों में काम दिलाने के नाम पर गरीब मजदूरों को ये कहकर बहलाते हैं कि 1000 ईंट बनाने का 660 रुपए मिलेगा। किंतु बाद में ये अपना कमीशन लेकर भाग जाते हैं। मजदूर 15 दिन काम के केवल 1000-1500 रुपए प्रति परिवार निम्न राशि में काम करने के लिए बाध्य कर दिए जाते हैं। बच्चों की पढ़ाई छूट जाती है। सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक काम करना पड़ता है जिसमें बच्चे भी काम करते हैं।

ढ़े—लिखे न होने कि वजह से मालिक व ठेकेदारों ने इनसे किसी काग़ज़ पर अंगूठे का निशान लेकर अपना काम पक्का कर डाला। इतना ही नहीं जब जब मज़दूरों ने अपनी मजदूरी को लेकर सवाल उठाया, ईंट भट्टा मालिक, ठेकेदार, मुंशी सहित उनके गुंडों ने उन्हें पीटा।

ज़दूर अपने परिवार साथ होने के कारण अकेले भागकर भी नहीं जा सकते, क्योंकि उनका परिवार तो भट्टे में फंसा था। मार खा-खाकर काम करने को मजबूर मज़दूरों की हालत की जानकारी मदन कुमार नाम के व्यक्ति को मिली, तो उन्होंने इसकी जानकारी दिल्ली स्थित सामाजिक संगठन नेशनल कैंपेन कमेटी फोर ईरेडिकेशन ऑफ बांडेड लेबर को दी।

स मामले में मानव तस्करी से पीड़ित बंधुआ मज़दूरों को मुक्त कराने के लिए मजदूरों के लिए काम करने वाले संगठन नेशनल कैंपेन कमेटी फोर ईरेडिकेशन ऑफ बांडेड लेबर ने डीएम कुरुक्षेत्र, एसडीएम पेहवा को शिकायत भेजी तथा प्रशासन से समन्वय करके ह्यूमन राइट्स लॉ नेटवर्क, बंधुआ मुक्ति मोर्चा, नेशनल कैंपेन कमेटी फोर ईरेडिकेशन ऑफ बांडेड लेबर की टीम लेकर 28 जून को पैहवा एसडीएम कार्यालय पहुंच गए। एसडीएम ने तहसीलदार, फूड एंड सप्लाई ऑफिसर, श्रम अधिकारी एवं संबंधित थाने को टीम के साथ कमला BKO भट्टे पर भेजा, जहां मज़दूर डरे हुए तथा भट्टे के पास छुपे हुए मिले।

टीम द्वारा मज़दूरों के 21 परिवारों के बयान लिए गए, जिसमें लगभग 20-25 पुरुष, 18-20 महिलाएं एवं बच्चे मिलाकर 80 सदस्य थे। भट्टे से मज़दूरों को निकालकर रेलवे स्टेशन कुरुक्षेत्र पर छोड़कर प्रशासन ने अपना पल्ला झाड़ा कि हमने आज तक बहुत सारे मामलों में रेस्क्यू किया, पर बयान लिखने के काम को कभी नहीं किया।

1 जुलाई से पीड़ित मजदूर जंतर मंतर पर सामाजिक संगठन बंधुआ मुक्ति मोर्चा के बैनर तले धरना प्रदर्शन कर सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस धरने के माध्यम से केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री, मुख्य सचिव बिहार एवं हरियाणा सरकार, कुरुक्षेत्र कलेक्टर से मुक्ति प्रमाण पत्र एवं तत्काल सहायता राशि (बंधुआ मजदूरों को पुनर्वास की योजना 2016) एवं पुलिस सुरक्षा के साथ उनके अपने राज्य बिहार में उनकी सम्मान के साथ वापसी की मांग को लेकर मज़दूर न्याय मांग रहे हैं।

स मामले में बंधुआ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने राज्य के मुख्य सचिव एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से अपील की कि मुक्त किए गए बंधुआ मजदूरों को तुरंत राहत दी जाए।

Next Story

विविध