Begin typing your search above and press return to search.
शिक्षा

गोरखपुर में लगा बेरोजगार मेला, लेकिन भर्ती कंपनियां रहीं नदारद

Janjwar Team
11 Jun 2018 3:51 AM GMT
गोरखपुर में लगा बेरोजगार मेला, लेकिन भर्ती कंपनियां रहीं नदारद
x

सौ-सौ किलोमीटर से भी अधिक दूरी से आये बेरोजगार नौजवानों को गोरखपुर के बेरोजगार मेले में गर्मी मिली, पसीना मिला, पानी के लिए तरसना मिला लेकिन नहीं मिली तो वह कंपनियां जिनके लिए यह मेला था...

चक्रपाणि ओझा

गोरखपुर, जनज्वार। प्रधानमंत्री बनने से पहले मोदी दावा करते नहीं अघाते थे ​की देश से बेरोजगारी का नामोनिशान मिटा देंगे, हर युवा के पास रोजगार होगा, मगर यह सिवाय युवाओं को लॉलीपॉप दिखाने के कुछ नहीं था। क्योंकि असलियत में पढ़े—लिखे बेरोजगार युवा नौकरी के लिए दर—दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। हां, रोजगार के नाम पर अब हमारे प्रधानमंत्री समेत अन्य भाजपा नेता पढ़े लिखे नौजवानों को पकौड़ा बेचने की सलाह देते जरूर नजर आते हैं।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पिछले दो दिनों से आयोजित हुआ रोजगार मेला कल रविवार 10 जून को समाप्त हो गया। दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी कैम्पस में सरकार की पहल पर आईं देशी-विदेशी अनेक कंपनियों ने रोजगार देने के नाम पर पूर्वांचल के बेरोजगार युवाओं की बड़ी संख्या को लुभाने का प्रयास किया। बावजूद इसके हजारों नौजवानों को निराश होकर लौटना पड़ा।

जानकारी के मुताबिक पहले दिन कैंपस से तकरीबन 3300 युवाओं की नियुक्ति हो सकी है। दूसरे दिन का आलम यह रहा कि प्रचण्ड गर्मी के बावजूद दूरदराज से आये बेरोजगारों को धूप में घंटों लाइन में खड़े होकर अंदर जाने का इंतजार करना पड़ा।

दो दिवसीय मेले के आयोजक एवं सेवायोजन निदेशक प्रांजल यादव ने उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान कहा था कि दो दिवसीय इस रोजगार मेले में 121 कम्पनियां आ रही हैं। हमारा लक्ष्य गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़ मण्डल समेत आसपास के अन्य जिलों के भी 18 हजार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। जबकि शनिवार को ही 30 हजार युवाओं ने अपना पंजीकरण कराया था, मगर दूसरे दिन कंपनियों के न आने से हजारों की संख्या में युवाओं को निराशा हाथ लगी। पहले दिन भी 5 हजार से भी कम युवाओं को रोजगार मिलने की खबर है।

हद तो तब हो गई जब भरी दोपहरी में जलते हुए जब सैकड़ों नौजवान साक्षात्कार देने निर्धारित कक्ष में पहुंचे तो अधिकांश कंपनियों के प्रतिनिधि ही मौजूद नहीं रहे। निराश होकर बेरोजगार युवा अपने किस्मत को कोसते हुए घर वापस लौट गए।

आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, देवरिया आदि जिलों से चलकर सुबह मेला में अपनी योग्यता व किस्मत आजमाने पहुंचे हजारों नौजवानों के चेहरों पर अपने भविष्य को लेकर गहरी चिंता झलक रही थी। भयानक तो यह था कि स्नातक की पढ़ाई किये हुए युवा सुरक्षाकर्मी व अन्य ऐसे ही पदों के लिए आये थे।

सैकड़ों किलोमीटर से चलकर रोजगार की आस में यहां पहुंचे बेरोजगारों से जब बात की गई तो उनका कहना था कि पढ़ने के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिल रही है, तो इस मेले मे ही किस्मत आजमाने चले आये हैं। हालांकि इन बेरोजगारों की पीड़ा को देखकर किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को तकलीफ होनी लाजिमी है, मगर यहां मौजूद जिम्मेदारों को कोई खास फर्क नहीं दिख रह था।

बेरोजगारों की इतनी बड़ी संख्या पूरी शालीनता का परिचय देते हुए अपने धैर्य व साहस का परिचय दिया। मेले में उमड़ी युवाओं की भारी संख्या ने नौकरी व देश के युवाओं की दयनीय हालात को सबके सामने उजागर कर दिया। यह संख्या तो महज बानगी भर है। करोड़ों की संख्या में देश के बेरोजगार नौजवान नौकरी के लिए दर-दर की ठोंकरे खाने को अभिशप्त हैं।

सवाल यह है कि आखिर बेरोजगारों के साथ ऐसा कब तक होता रहेगा और देश का युवा कब तक देशी—विदेशी कंपनियों से नौकरी मांगता फिरेगा।

(चक्रपाणि ओझा मुक्त विचारधारा अखबार के संपादक हैं।)

Next Story

विविध