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जनज्वार विशेष

राम रहीम के सबसे ज्यादा अनुयायी दलित—पिछड़ी जाति से

Janjwar Team
28 Aug 2017 12:37 AM IST
राम रहीम के सबसे ज्यादा अनुयायी दलित—पिछड़ी जाति से
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राम रहीम के कुछ ऐसे अभियान रहे हैं जिसके कारण उसकी चंगुल में सबसे ज्यादा महिलाएं, दलित और पिछड़े फंसते आए हैं

सिरसा से एन सिंह की खास रिपोर्ट

डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1948 में राधा स्वामी पंथ के गुरु सावन शाह जी के शिष्य मस्ताना जी महाराज ने की थी। सावन शाह जी महाराज ने मस्ताना जी को हरियाणा के सिरसा जिले के बागड़ में जाकर अलग से अपना पंथ बनाने की जिम्मेवारी सौंपी।

वर्ष 1948 में मस्ताना जी ने सिरसा के रेतीले टीलों पर आश्रम बनाया। कहा जाता है कि मस्ताना जी महाराज लोगों को पैसा, सोना, चांदी इत्यादि बांटा करते थे ताकि लोग राम नाम जपने की ओर आकर्षित हों क्योंकि तब लोग इसे फालतू का काम समझते थे।

28 फरवरी 1960 को शाह सतनाम सिंह जी को गद्दी सौंप कर 18 अप्रैल 1960 को दुनिया से चले गए।

यहां से डेरे के विस्तार में बदलाव आया, जहां शाह मस्तान जी आश्रम में ही लोगों को दीक्षा देते थे वहीं शाह सतनाम जी यहां से बाहर जाकर सत्संग करने लगे, नाम दान देने लगे और विभिन्न जगहों पर आश्रमों स्थापना की। एक रिकॉर्ड के अनुसार उन्होंने 27 साल 4 महीने गद्दी पर रहते हुए 2250 जगहों पर सत्संग किए। हरियाणा पंजाब में बराबर इनके समर्थक रहे। उक्त दोनों ही सन्त सादा जीवन व सादे वस्त्रों से जीवन निर्वाह करते थे।

23 अप्रैल 1990 वो शाह सतनाम जी महाराज ने गुरमीत राम रहीम सिंह जी को गद्दी सौंप दी। दोनों सन्त लगभग 20 महीने इकक्ठे गद्दी पर नाम चर्चा करते रहे। 13 दिसंबर 1991 को शाह सतनाम सिंह के निधन उपरान्त युवा संत गुरमीत सिंह ने डेरे का विस्तार तेज गति से किया।

गुरमीत राम रहीम का जन्म राजस्थान के श्री गुरुसर मोडिया नाम के गांव में 15 अगस्त 1967 को हुआ। गुरमीत सिंह उर्फ बाबा राम रहीम के पिता का नाम मघर सिंह और माता का नाम नसीब कौर है। राम रहीम 7 वर्ष की आयु से ये डेरे के शिष्य बन गए।

नब्बे का दशक गुरमीत सिंह राम रहीम के लिए शोहरत भरा रहा। गुरमीत इस बात को समझ चुका था कि उसे राजनीतिक तातक भी चाहिए। बढ़ती ताकत के साथ डेरे ने राजनीति में दखल शुरू कर दिया। पंजाब में राजनीतिक पार्टियों के बीच चर्चा में रहे। लेकिन वर्ष 2002 के आरंभ में डेरा की एक साध्वी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को पत्र लिखा। बताया कि उसके साथ और उस जैसी तमाम साध्वी के साथ राम रहीम रोज बलात्कार करते हैं। इस चिट्ठी ने पहली बार राम रहीम के कुकर्मो समाज के सामने ला दिया।

इस चिट्ठी के कारण हरियाणा भर में जबरदस्त आन्दोलन चला। डेरा समर्थकों ने साध्वी का पक्ष लेने वाले लोगों पर हमले किए। सरकार आन्दोलन के सामने झुकी और इसकी सीबीआई जांच सौंपी गई। हालांकि राजनीतिक पाटियों का स्थानीय नेत्तृव सीबीआई जांच के विरोध में खड़ा हुआ और हर कोशिश की जांच सीबीआई को न जाए। गुरमीत ने ओप्रकाश चौटाला के पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल को ठुकराते हुए कांग्रेस को 2005 में समर्थन दिया। नाराज होकर ओमप्रकाश चौटाला ने सिरसा सच्चा आश्रम को गउशाला बना डालने की बात कही। लेकिन कांग्रेस सत्ता में आई, कांग्रेस नतमस्तक हुई, बाबा गुरमीत का कद मजबुत हुआ, साध्वी यौन शोषण का केस फाईलों की धुल खाने लगा।

भाजपा की पूरी कैबिनेट नमस्तक थी बाबा के सामने
वर्ष 2015 चुनावों में बाबा गुरमीत समझ चुके थे कि अब कांग्रेस नहीं केन्द्र में भाजपा सरकार उसे बचा सकती है। खुला समर्थन भाजपा को दिया गया। पोलिंग बुथ पर डेरा समर्थक रहे और भाजपा के समर्थन में वोट पड़ा। अब भाजपा जीती। भाजपा नतमस्तक नहीं, दण्डवत हुई। बाबा सरकार के ब्रांड अंबेडसर बने, सरकार के मंत्री डेरा को वित्तिय मदद देने से पीछे नहीं हटे। भाजपा नेताओं ने लाखों की राशी दान में दी। हरियाणा भर के नामचर्चा घर में जाकर विधायक दण्डवत हुए। जीत के बाद मुख्यमंत्री से लेकर पुरी कैबिनेट डेरा में जाकर बाबा को धन्यवाद करने पहुंची।

अनुयायी में 90 फीसदी दलित, पिछड़े और महिलाएं
हरियाणा में डेरा के अनुयायी बहुसंख्या में पिछडे व दलित समुदाय से है। इसका कारण यहां पर बराबरी व समानता का पाठ पढ़ाया जाना रहा है। पारंपरिक गुरूद्वारों पर जाट सिखों का कब्जा है, इस कारण इन्हें पूजा—पाठ के दौरान भी जातिय उत्पीड़न और असम्मान झेलना पड़ता है। गुरूद्वारे चूंकि राजनीतिक ताकत के भी केंद्र होते हैं, इसलिए इन जातियों के लिए बाबा का डेरा राजनीतिक ताकत का नया केंद्र बना। इसके अलावा इन गरीबी औ अशिक्षा के कारण आबादी का एक हिस्सा नशे के चंगुल में था, जिसे बाबा के यहां छुड़वाया जाता था। इस कारण इनमें बाबा की पैठ तेज हुई। अपने सत्संग में राम रहीम — दलित संत रविदास, प्रतिशील संत परंपरा के कबीर और नानक की शिक्षाओं का जमकर प्रचार करते रहे। पंजाब में भी बाबा का आधार अधिकतर मजहबी सिख व पिछडों में ही माना जाता है। गौर करने की खास बात ये रही कि बाबा की कार सेवा में अधिकतर यही दलित व पिछड़े वर्ग के लोग रहे, जिन्होंने बाबा के साम्राज्य को अपने मेहनत और खून-पसीने से मजबुत किया।

महिलाओं के आकर्षण का कारण
महिलाएं जो समाजिक घुटन का शिकार थीं, डेरा में उन्हें महत्व दिया जाता था, समानता—स्वतंत्रता दी जाती थी। बीड़ी,शराब, जर्दा, अफीम व मांस से छुड़वाने के चमत्कारी दावे पर महिलाओं की भारी भीड़ डेरे पर उमड़ी। साध्वी बलात्कार कांड में बलात्कारी साबित होने के बाद राम रहीम ने संचार माध्यमों में महिलाओं को बाबा ने ढाल बनाया व पुरूषों की बजाए महिलाओं ने ही खुल कर मरने—मारने की बात कही। पंचकुला में महिलाएं है अधिक उपद्रव करती नजर आईं और देशद्रोह का मुकदमा भी सबसे पहले महिला के खिलाफ ही दर्ज हुआ।

बाबा की ग्रीन (s) वेलफेयर फोर्स
हत्या, बलात्कार, अपहरण और नपुंसक बनाने जैसे अपराधों के आरोपों से ध्यान हटाने के लिए उसने मानवता भलाई के काम करने शुरू किए। एक छुपे एजेंडे पर काम करते हुए विभिन्न राज्यों में आश्रमों की स्थापना की। ग्रीन (s) वेलफेयर फोर्स ने बाबा को देश—विदेश में प्रसिद्ध कर दिया। डेरे द्वारा 133 मानवता भलाई के काम चलाये गए। ग्रीन (s) वेलफेयर फोर्स में 80 हज़ार से अधिक सदस्य है। अच्छी छवि के लिए कुछ पैसा भलाई के कामों में बाबा अपने भक्तों से परमार्थ के नाम पर कमाई का कुछ हिस्सा डेरे के भलाई के कामों में प्रयोग करवाते रहें हैं या यूं कहिये अपनी झोली भरवाते रहे हैं।

देश और विदेशों में साम्राज्य
इसका साम्राज्य अमेरिका, कनाडा, इंग्लैड, आस्ट्रेलिया और यूएई में फैला है। अकेले हरियाणा में इसके 25 से 30 लाख अनुयायी बताए जाते हैं। वहीं दूनिया भर में करोड़ों की बात बताई जाती है। पर ऐसा जलवा दिखाने व ताकत मनवाने के लिए बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है। एक अनुमान के अनुसार इसकी एक दिन की आय 20 लाख के लगभग है और सिर्फ हरियाणा का सिरसा आश्रम 700 एकड़ में फैला है। 700 एकड़ जमीन के उत्पादन को खपाने के लिए खुद की फैक्ट्रियां स्थापित कीं। बाज़ार में एमएसजी के नाम से ब्रांड उतारा। आज इसके भक्त इसके आलावा कोई और इस्तेमाल नहीं करते।

अखबार शुरु किया, फिल्मी दुनिया में रखा कदम
पत्रकार की हत्या के बाद तमाम समाचार पत्रों ने डेरे की खबरों को लगाना बंद कर दिया, जिसके बाद डेरे ने खुद का समाचार पत्र 'दैनिक सच कहूँ' के नाम से शुरू किया। सभी चैनलों पर धार्मिक प्रवचन शुरू किया। इसके बाद बाबा ने खुद ही गाना गाना फिर वीडियो शूट करके संगत को दिया जाने लगा और फिर बाबा ने फिल्मों की दुनिया मे कदम रखा। अब तक बाबा की 5 फिल्में एमएसजी मैसेंजर(वैश्यावृति विषय पर), एमएसजी- 2 (आदिवासियों को मुख्य धारा में लाने के बारे में), हिन्द का नापाक को जवाब (सर्जिकल स्ट्राइक), एमएसजी द लाईन हार्ट व जट्टू इंजीनियर नाम से 5वीं फि़ल्म आयी, जिसने बाबा को तमाम विवादों के साथ चर्चा में रखा।

खुद पीठ थमथपाई भक्तों को पुरस्कार बांटे
डेरा सच्चा सौदा के नाम विभिन्न गतिविधियों में गिनीज़ बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड, नेशनल बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड समेत 60 से अधिक रिकॉर्ड दर्ज हैं। बाबा के भक्त उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं। विवाद बढ़ने पर खुद को भगवान का प्रतिनिधी घोषित किया।

जाम—ए—इंसा अभियान
बाबा सुर्खियों में तब आये जब उन्होंने जाम—ए—इंसा नाम से अभियान चलाया। इसमें अपने नाम की पीछे उपनाम हटाकर इंसा लगाने का आदेश दिया। पंजाब में सलाबतपुरा में जाम—ए—इंसा के दौरान बाबा जी ने गुरु गोबिंद सिंह जी की पोशाक से मिलती जुलती पोशाक पहन कर जाम पिलाया, जिसे सिख संगत ने गुरु गोबिंद सिंह का अपमान समझ और जाम—ए—इंसा को सिखों के अमृत चखाने के बराबर मान कर बाबा का खूब विरोध किया।

कौन—कौन से आरोप
साध्वी बलात्कार कांड, पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड, डेरे संस्थापक सदस्यों में से एक के गायब होने का मामला, मुँह बोली बेटी से नाज़ायज़ संबंध का मसला, डेरे के आसपास जमीन पर नजायज कब्ज़ा, सैकड़ों साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले समेत हर रोज आ रहे नए अपरध के मामले।

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