बिजली कटौती की अफवाह फैलाने पर देश में पहली बार दर्ज हुआ राजद्रोह का मुकदमा
देश में ऐसा पहली बार हुआ होगा जब बिजली कटौती की अफवाह फैलाने पर किसी सरकार ने मुकदमा दर्ज किया है, वह भी राजद्रोह का, मजेदार यह है कि मुकदमा दर्ज करने वाली सरकार का नाम है 'कांग्रेस'...
जनज्वार, रायपुर। पिछले दिनों जब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया को एक वीडियो जारी करने के मामले में गिरफ्तार किया तो राहुल गांधी ने एक कायदे की बात कही। राहुल गांधी के अनुसार, 'अगर मेरे खिलाफ लिखे झूठे मामलों में गिरफ्तारियां होने लगें तो जेलें भर जाएंगी।'
जाहिर तौर पर सभी ने राहुल के इस बयान का स्वागत किया और कहा कि बेशक ऐसी गिरफ्तारियां कर भाजपा की सरकारें प्रशासनिक तानाशाही को प्रश्रय दे रही हैं। पर प्रशासनिक तानाशाही और गिरफ्तारी का इससे भी भयानक मामला राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की छत्तीसगढ़ सरकार में आया है, जो अपने आप इतिहास में पहली बार हुआ जान पड़ता है।
छत्तीसगढ़ में बिजली कटौती को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने के मामले में एक व्यक्ति को बुधवार 12 जून को गिरफ्तार कर लिया गया। उसके खिलाफ आईपीसी के तहत राजद्रोह की धारा 124 ए और सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार की धारा 505/1/2 के तहत कार्रवाई की गई। माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां सरकार के खिलाफ बोलने पर ऐसी कार्यवाही हुई है।
गौरतलब है कि यह कार्रवाई बिजली कंपनी के शिकायत पर की गयी है। आरोपी मांगेलाल अग्रवाल राजनांदगांव जिले के मुसरा डोंगरगढ़ के रहने वाले हैं। वायरल वीडियो में मांगेलाल अग्रवाल कह रहे हैं, 'एक इन्वर्टर कंपनी के साथ छत्तीसगढ़ सरकार की सेटिंग हो गई है। इसके लिए राज्य सरकार को पैसा दिया गया है। करार के मुताबिक घंटे- 2 घंटे में 10 से 15 मिनट के लिए लाईट कटौती होती रहेगी, तो इन्वर्टर बिक्री बढ़ेगी।'
बिजली कंपनी सीएसईबी के चेयरमैन शैलेंद्र शुक्ला का कहना है, 'सभी से आग्रह कि कंपनी के कर्मचारी बिजली आपूर्ति के लिए रातोदिन जुटे हुए हैं। लोग कटौती संबंधी भ्रामक खबरों से दूर रहें, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।' बिजली कंपनी का कहना है कि मांगेलाल अग्रवाल वीडियो में विद्वेष फैलाने वाले वाली बात कर रहे थे। वीडियो जब्त कर लिया गया है।
वहीं बिजली कंपनी के विधिक सलाहकार एनकेपी सिंह का कहना है, 'मांगेलाल अग्रवाल ने जो किया है ये सरकार या उसके उपक्रम के खिलाफ दुष्प्रचार है और राजद्रोह का मामला है।'
क्या है आईपीसी की धारा 124 (ए)
अगर कोई व्यक्ति सरकार या सरकारी संस्थाओं के खिलाफ या विरोध में सामग्री लिखता या बोलता है, या ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, जिसमें राष्ट्रीय गरिमा या राष्ट्र की क्षति होती लगती है तो राजद्रोह हो सकता है। इसके अलावा वह राष्ट्रीय चिन्हों या संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है। इस कानून में आजीवन या 3 साल की सजा हो सकती है।