उत्तराखण्ड हाईकोर्ट का आदेश मातृ सदन को सौंपा जाए जीडी अग्रवाल का पार्थिव शरीर
जीडी अग्रवाल के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के मामले में मातृ सदन आश्रम की बड़ी जीत, हाईकोर्ट ने कहा 8 घंटे के भीतर मातृ सदन को दर्शन और रीति-रिवाज के लिए सौंपो जीडी अग्रवाल का पार्थिव शरीर
ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद स्वामी सांनद के मांगों को लेकर और तपस्या के उसी क्रम को आगे बढ़ाते 24 अक्टूबर से हैं अनशन पर और ब्रह्मचारी पुण्यानंद ने छोड़ दिया है अन्न
जनज्वार। उत्तराखण्ड के नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिया है कि वे जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद जी का पार्थिव शरीर 8 घंटे के भीतर मातृ सदन को सौंप दे।
इस मामले के अधिवक्ता अजयवीर पुंडीर और याचिकाकर्ता डॉ. विजय वर्मा थे। जीडी अग्रवाल का पार्थिव शरीर मातृ सदन को सौंपे जाने के आदेश को हाईकोर्ट नैनीताल द्वारा जारी कर दिए जाने के बाद अधिवक्ता अजयवीर पुंडीर और याचिकाकर्ता डॉ. विजय वर्मा ने बड़ी जीत बताते हुए कहा कि 'हाईकोर्ट उत्तराखंड ने हिंदू धर्म के नाम से राज करने वाली सरकार को तगड़ा झटका दिया है। स्वामी सानंद के दिवंगत शरीर को आठ घंटे में मातृ सदन पहुंचाने और हिंदू रीति रिवाज के अनुसार उनका अंतिम संस्कार करने के 72 घंटों तक अंतिम दर्शन करने के बाद एम्स को उनका पार्थिव शरीर लेने की इजाजत कोर्ट द्वारा दी गई है।'
गौरतलब है कि गंगा की अविरलता के लिए लगातार 112 दिन का अनशन के बाद गंगापुत्र प्रो जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की ऋषिकेश एम्स में 11 अक्टूबर को मौत हो गई।
अस्पताल जाने के 24 घंटे के भीतर हुई जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की मौत के बाद लगातार उनके समर्थक सवाल उठा रहे हैं कि आखिर उनकी मौत कैसे हो गई। जीडी अग्रवाल की मौत को उनका सहयोगी मातृ सदन साफतौर पर संदेहास्पद और हत्या करार देता आ रहा है। इसके साथ ही कुछ अन्य लोग उनका पार्थिव शरीर मातृ सदन को सौंपने को लेकर लगातार आंदोलनरत थे।
मातृ सदन के हरिद्वार आश्रम में जनज्वार से हुई मुलाकात में सदन के मुख्य संत स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा था हमारी पहली लड़ाई सानंद जी के पार्थिव शरीर को आश्रम में लाने की है और उसे हम छुट्टियों के बाद हाईकोर्ट के खुलते ही ले आएंगे।
गौरतलब है कि प्रशासन ने मातृ सदन के तमाम प्रयासों के बावजूद स्वामी सानंद का पार्थिव शरीर नहीं दिया था। एम्स प्रशासन ने कहा था कि जीडी अग्रवाल अपना शरीर खुद मेडिकल कॉलेज को दान दे चुके हैं इसलिए हम उनका शरीर किसी को नहीं सौंपेंगे। इतना ही नहीं जलपुरुष राजेंद्र सिंह को तक उनके अंतिम दर्शन के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी थी।
मातृ सदन के सबसे युवा संत आत्मबोधानंद 24 अक्टूबर से आमरण अनशन पर हैं। ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने स्वामी सानंद की तपस्या और गंगा बचाने की मांगों को जारी रखने के लिए अनशन किया है। 24 अक्टूबर से ही ब्रह्मचारी पूर्णियानंद अन्न त्याग कर चुके हैं।