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जनज्वार विशेष

महिला शिक्षिकाओं के स्कूल में कंडोम​ मिलने से सनसनी

Janjwar Team
5 Dec 2017 11:55 PM GMT
महिला शिक्षिकाओं के स्कूल में कंडोम​ मिलने से सनसनी
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आधी कहानी ये तस्वीर कह देगी और बाकी आपको रिपोर्ट पढ़कर समझ आ जाएगी कि मर्दों की बीमार मानसिकता औरतों को दोयम रखने के कौन—कौन से तिकड़म अख्तियार करती है...

उत्तराखंड, जनज्वार। उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के एक स्कूल में शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। घटना उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कपकोट इलाके के एक प्राइमरी स्कूल की है, जहां स्कूल के प्रांगण में उपयोग किया हुआ कंडोम मिला है।

आज सुबह जब कपकोट इलाके के प्राइमरी स्कूल में तैनात शिक्षिका गंघारिया मर्तोलिया स्कूल पहुंची तो वह यह दृश्य देखकर सन्न रह गयीं।

उन्होंने स्कूल में मिले उपयोग किए कंडोम की फोटो लगाते हुए अपने फेसबुक पर लिखा कि विद्यालय के प्रति गन्दी सोच! आज विद्यालय में किसी घटिया मानसिकता के व्यक्ति ने पेयजल टंकी के ऊपर यूज किये कण्डोम रख दिये, ना जाने क्या सोचकर!

वह आगे लिखती हैं, 'विकृत दिमागी उपज के कारण उसने यह सब किया। यहाँ स्टाफ के नाम पर एक आंगनबाड़ी और हम दो महिलायें ही है। इसका सीधा सम्बन्ध हम महिलाओं से है कि हम चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं चोरी-चकारी या इस तरह की गिरी हुई हरकत।'

शिक्षिका ने बताया कि इसकी सूचना बागेश्वर के थाना कपकोट और सीआरसी को दे दी गई है।

शिक्षिका गंघारिया मर्तोलिया कहती हैं, 'मैं जानती हूँ कि मैं किस हद तक आज दुःखी हुई हूँ, पर कोशिश है कल थाने में और एसडीएम के पास जाउं। मेरे पास बहुत छोटे बच्चे स्कूल में होते है। कल को कोई अनहोनी होती है तो कौन जिम्मेदार रहेगा?'

अपराधों में सबसे निचले पायदान पर गिने जाने वाले पहाड़ी राज्यों में से एक उत्तराखंड में औरतों के प्रति हिंसा की घटनाएं कम होती हैं। पर इस घटना ने शर्मसार किया है।

शिक्षिका के इस फेसबुक पोस्ट पर बड़ी संख्या में लोगों ने प्रतिक्रिया दी है और रखने वाले व्यक्ति को रोगी मानसिकता का कहा है।

पोस्ट पर दिनेश रावत लिखते हैं, 'ऐसी घटनाएं वास्तव में झकझोर कर रख देती हैं। समझ नहीें आता हमारा समाज इस प्रकार की मानसिक विच्छन्नता वाले लोगों से मुक्त होगा। फिर भी आपको पूरी हिम्मत व साहस के साथ आगे बढ़ना है। न जाने क्यों कुछ लोग विद्यालय को नशे के लिए आपना अड्डा बनाते हैं?'

पोस्ट पर प्रतिक्रिया करते हुए कमल पाण्डे लिखते हैं, 'किसी बाहर से आए व्यक्ति का काम नहीं है ये, स्थानीय लोगों की ही घिनौनी हरकत है। पहाड़ (देवभूमि) में ऐसे कृत्यों को नजरंदाज करने की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।'

खैर! पुलिस इस मामले की छानबीन कर रही है पर इससे एक बात तो साफ है कि औरतों के लिए अकेले स्कूलों जैसी जगहों पर भी काम करना आसान नहीं है और असामाजिक तत्व तरह—तरह से उन्हें दबाने और शोषित करने का प्रयास करते रहते हैं। ऐसे में जरूरी है कि स्थानीय स्तर पर इसके खिलाफ पुरजोर तरीके विरोध हो और लंपटों का सजा मिले।

उत्तराखंड में शिक्षक कंचन जोशी उनके पक्ष में पोस्ट शेयर करते हुए लिखते हैं, 'सर्वप्रथम तो ग्रामीणों को ही अपने बीच छिपे ऐसे असामाजिक तत्वों पर नकेल कसनी चाहिए। शिक्षा विभाग और पुलिस प्रशासन को भी त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए। ऐसे घटिया लोग ही महिलाओं और वंचित बच्चों तक शिक्षा नहीं पहुंचने देना चाहते।'

इस स्कूल में महिला कर्मचारी ही हैं, जिसमें एक आंगनबाड़ी कर्मचारी और दो शिक्षिकाएं हैं

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