सरकार ने अमरनाथ यात्रा रोकते वक्त कश्मीर पर बोला था झूठ तो अब कैसे करें इस सच पर यकीं!
विदेशी मीडिया में कश्मीर में बिगड़ते हालातों को लेकर जो खबरें आती हैं भारत सरकार उनका खंडन कर रही है। सुरक्षाकर्मी चप्पे-चप्पे पर हैं, अब कहा जा रहा है कि कुछ आत्मघाती आतंकवादी देश में प्रवेश कर चुके हैं। कहीं इस समाचार से कुछ छिपाने की साजिश तो नहीं...
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
देश के गृहमंत्री, जम्मू कश्मीर प्रशासन और पुलिस सभी लगातार कह रहे हैं कि एक भी गोली नहीं चली, सभी जगह शान्ति है और सब सामान्य है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जगह-जगह फोटो खिंचाकर यही साबित करना चाह रहे हैं। चलिए मान लिया कि एक भी गोली नहीं चली, जनता खुश है और अमन-चैन है।
पर जरा याद कीजिये 2 अगस्त का दिन। इस दिन सभी समाचार बता रहे थे, अमरनाथ यात्रा स्थगित कर दी गयी है, सभी यात्रियों को जल्दी से जल्दी घाटी छोड़ने को कहा गया है। जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा निर्देश जारी किये थे।
इसके अनुसार अमरनाथ यात्रियों पर बड़े हमले के सुराग मिले थे, आतंकवादी आ चुके थे और कश्मीर घाटी की सुरक्षा व्यवस्था ठीक नहीं थी। केंद्र सरकार के अधिकारियों ने भी कहा था कि जम्मू कश्मीर प्रशासन का यह निर्देश गंभीर है और कश्मीर घाटी की स्थिति बदतर है।
विशिष्ट खतरे की धमकी देकर अमरनाथ यात्रा को दो सप्ताह पहले ही ख़त्म करा दिया गया। इसके बाद तो एयरलाइन और प्राइवेट बसों ने खूब कमाई की। यही नहीं, केंद्र और कश्मीर के सुरक्षा अधिकारियों ने तो अमरनाथ के उत्तरी मार्ग से पाकिस्तान के आर्डिनेंस फैक्ट्री में बना एंटी-पर्सनल लैंडमाइन और 1.5 किलोमीटर तक असरदार स्नाइपर राइफल भी गुफा से 3 किलोमीटर पहले संगम टॉप से बरामद कर दिया था।
ठीक इसी समय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार अमरनाथ के दूसरे मार्ग, दक्षिणी मार्ग से गुफा से 14 किलोमीटर पहले अत्याधुनिक विस्फोटक यंत्र भी बरामद किया गया था। मीडिया ने इन खबरों को बार-बार और लगातार दिखाया। सरकारी सूत्र भी इन घटनाओं को लगातार दुहराते रहे।
पर सोचिये, अमरनाथ यात्रा को रोकने का यही कारण था जिसका दावा सरकार लगातार कर रही थी क्योंकि इसके बाद क्या हुआ पूरी दुनिया ने देख लिया। सवाल यह है कि अगर उस समय सरकार झूठ बोल रही थी तो आज कश्मीर की स्थिति पर सच ही कह रही हो, इसपर कैसे विश्वास किये जा सकता है?
दूसरी तरफ क्या यह अमरनाथ यात्रा के पूरे मार्ग पर दिनरात चौकसी करते सुरक्षाकर्मियों का अपमान नहीं था? पूरी दुनिया यह मान बैठी कि आतंकवादी सुरक्षाकर्मियों के बाद भी अमरनाथ गुफा के पास पहुँच चुके हैं, यानी यह सुरक्षा की चूक है। यदि उस दिन सरकार ने झूठ कहा था तब आज सच कह रही है इसे कैसे माना जा सकता है?
शुक्रवार 9 अगस्त से लगातार छोटी-मोटी घटनाओं की चर्चा की जा रही है, पर इसकी संख्या नहीं बताई जा रही है। जो खबरें आ रहीं हैं उन्हें सरकार ही प्रचारित कर रही है और जो विदेशी मीडिया में खबरें आती हैं उनका खंडन कर रही है। सुरक्षाकर्मी चप्पे-चप्पे पर हैं, अब कहा जा रहा है की कुछ आत्मघाती आतंकवादी देश में प्रवेश कर चुके हैं। कहीं इस समाचार से कुछ छिपाने की साजिश तो नहीं है?