CAA-NRC आंदोलन के बाद गिरफ्तार आइसा नेता नितिन का परिवार लगा रहा न्याय की गुहार, 80 साल के बुजुर्ग दादाजी का रो-रोकर बुरा हाल
photo : social media
जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के घण्टाघर में पिछले साल मार्च महीने में CAA-NRC प्रोटेस्ट के दौरान तमाम औरतों, पुरुषों सहित छात्रों को आंदोलन का बहाना बना लपेटे में लिया गया था। आंदोलन में हिंसा फैलाने के नाम पर तमाम धारायें लगा जेल में बंद किये लोगों के पीछे बचे थे उनके सिसकते परिवार, जो न्याय की गुहार लगा रहे हैं। ऐसा ही है एक शख्स है लखनऊ का नितिन राज। नितिन और. उसका परिवार आज भी CAA-NRC आंदोलन की त्रासदी से दो-चार हो रहा है।
15 मार्च 2020 को लखनऊ राजाजीपुरम का रहने वाला 23 वर्षीय छात्र नितिन राज घर मे अपने दोस्त से मिलने जाने की बात कहकर गया था। जो वापस नहीं लौटा। परिवार वालों ने उसे फोन किया तो वह बन्द हो गया। परिजनों ने देर शाम तक उसकी तलाश की। काफी खोजबीन के बाद भी नितिन नहीं मिला तो हताश परेशान परिजनों के पास लखनऊ के ठाकुरगंज थाने से फोन आया कि नितिन को गिरफ्तार कर लिया गया है।
गिरफ्तारी की बात सुनकर परिजन ठाकुरगंज थाने पहुंचे। थाने पहुंचने पर उन्हें पता चला कि उनके पुत्र नितिन राज पर ठाकुरगंज थाने में नितिन रॉय के नाम से मुकदमा संख्या 142/2020 के तहत IPC की धारा 145/147/149/188/283/353/505ख/427 सहित 66, IT एक्ट और 7 क्रिमिनल एक्ट लगाया गया है। परिजनों ने उसका गुनाह पूछा तो पता चला कि वह घण्टाघर में पोस्टर लगा रहा था।
कलम और कॉपी किताबों की दुनिया मे रहने वाला नितिन राज AISA (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) का प्रदेश उपाध्यक्ष भी है, जिसपर लखनऊ की ठाकुरगंज पुलिस ने नितिन रॉय के नाम से अजमानतीय और गंभीर प्रकृति का मामला दर्ज कर जेल भेज दिया। नितिन पर नारे लगाने, उपद्रव करने तथा सीढ़ियों पर कब्जा कर पोस्टर इत्यादि लगाए जाने का आरोप है। इसी दौरान 21 मार्च को लॉकडाउन लग गया।
31 मार्च 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन और कोरोना महामारी का हवाला देते हुए सभी प्रोटेस्टर्स को अस्थाई जमानत यानी पैरोल पर छोड़े जाने का आदेश दिया, जिसके बाद नितिन घर आ सका। हाल ही कि 12 जनवरी 2021 को नितिन जमानत लेने के सिलसिले में कैसरबाग स्थित लखनऊ न्यायालय जाता है, जहां से उसको पुनः गिरफ्तार कर रामस्वरूप डिग्री कॉलेज में बनी अस्थाई जेल में 14 दिन के लिए क्वारन्टीन कर दिया गया।
नितिन के परिवार में 53 वर्षीय पिता वेदप्रकाश, 46 वर्षीय मां, बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली उसकी बहन और 80 वर्षीय दादाजी सुंदरलाल बेहद परेशान हैं। जनज्वार से बात करते हुए नितिन के पिता की आवाज भारी हो जाती है। हमारे समझाने पर उनका दिल थोड़ा मजबूत हुआ तो बताया गया कि नितिन के दादाजी बहुत परेशान हैं, आप एक बार उनसे बात करके थोड़ी दिलासा दे दें। नितिन के दादाजी सुंदरलाल फोन पकड़ते ही रोने लगते हैं और रोते-रोते कहते हैं कि, 'बेटा पुलिस ने हमाये बच्चे को फालतू में पकड़ा है।'
इस पूरे मामले में AIPWA की मीना सिंह ने जनज्वार से बात करते हुए कहा कि 'भाजपा सरकार विपक्षहीन सत्ता चलाना चाह रही है जो राजतंत्र का चरित्र है। इसलिए यदि छात्र CAA-NRC के खिलाफ आंदोलन करते हुए सरकार की आलोचना करते हैं तो उनको देशद्रोही कहते हुए भाजपा सरकार यूएपीए व रासुका जैसी धाराओं में फंसाकर जेल भेज रही है। क्या अपने लोकतांत्रिक व संवैधानिक अधिकारों के लिए लड़ना योगी सरकार में अपराध हो गया है?'
मीना सिंह आगे कहती हैं 'लखनऊ के घंटाघर पर चले CAA-NRC विरोधी आंदोलन में शामिल होने मात्र पर AISA के प्रदेश उपाध्यक्ष नितिन राज पर फर्जी मुकदमे लादकर जेल भेज दिया गया था। कोविड के चलते सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वे पैरोल पर बाहर आये थे। नितिन राज ने जब 12 जनवरी को लखनऊ कोर्ट में जमानत याचिका डाली तो योगी सरकार की पुलिस ने नए बेबुनियाद आरोप रिपोर्ट में डालते हुए सत्ता के दबाव में उनकी याचिका खारिज कराकर फिर से जेल भिजवा दिया।'
मीना सिंह कहती , नितिन राज ने जब से योगी और उनकी दमनकारी नीतियों वाली सरकार को काला झंडा दिखाया है तब से वह योगी सरकार की आंखों के कांटे बने हुए हैं और मुख्यमंत्री योगी उनसे दुश्मन की तरह व्यवहार कर रहे हैं।