BJP नेता की बेटियों ने वीडियो जारी कर कहा - पापा ने मार डाला मम्मी को, पुलिस ने दर्ज किया हत्या का मुकदमा
BJP नेता की बेटियों ने वीडियो जारी कर कहा - पापा ने मार डाला मम्मी को, पुलिस ने दर्ज किया आत्महत्या का मामला
बांदा से आशीष सागर दीक्षित की रिपोर्ट
BJP : उत्तर प्रदेश के बांदा जिले (Banda) की राजनीति में सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) के चर्चित युवा चेहरों में शामिल श्वेता सिंह गौर (Shweta Singh Gaur) ने 27 अप्रैल को कथित तौर पर आत्महत्या की थी। वह जसपुरा ब्लाक के वार्ड-12 से जिला पंचायत सदस्य थीं। इस घटना के पीछे का कारण एक दिन पहले रात को पति व बीजेपी के क्षेत्रीय कद्दावर नेता दीपक सिंह गौर से झगड़ा माना जा रहा है। कुछ माह पहले से दोनों युवा नेताओं (पति-पत्नी) में लगातार विवाद चल रहा था। यह अंतत: श्वेता की मौत तक जा पहुंचा। श्वेता की मौत को लेकर रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं। इस कथित खुदकुशी के मामले में दीपक सिंह गौर (Deepak Singh Gaur) के खास मित्र राजेश सिंह (लुकतरा) का भी नाम सामने आ रहा है।
श्वेता सिंह की मौत को लेकर उनके कर्वी चित्रकूट निवासी परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनकी खुशदिल बेटी को पति द्वारा आपसी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा व अनैतिक रूप से बेटा पैदा करने के लिए सिलसिलेवार किए जा रहे उत्पीड़न के चलते मारा गया है। श्वेता सिंह गौर के भाई ओमकार सिंह की तहरीर पर नगर कोतवाली बांदा में 28 अप्रैल को रात्रि 2 बजे (मुकदमा अपराध संख्या-306/2022 धारा 302,498-ए, दहेज प्रथा निषेध अधिनियम धारा 3 व 4) लिखाई गई रिपोर्ट भी इस बात की प्रथम दृष्टया पुष्टि करती है।
परिवार आज भी यही मानकर चल रहा है कि उनकी बेटी को ससुरालवालों ने मार दिया है और उनकी हिम्मती दुलारी बिटिया श्वेता कभी आत्महत्या नहीं कर सकती है। बता दें कि कथित खुदकुशी से एक दिन पहले सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली श्वेता सिंह गौर ने अपने फेसबुक प्रोफाइल की अंतिम पोस्ट में लिखा था कि 'घायल नागिन, घायल शेरनी, अपमानित स्त्री से हमेशा डरना चाहिए।' यह चंद पंक्तियां स्थानीय मीडिया के लिए मंथन व समाज के लिए चर्चा का विषय बन गई हैं।
एक ऐसा महिला युवा चेहरा जो विगत एक वर्ष में बांदा की राजनीति में अपने दम से उभरा। उसके आगे बढ़ते कदम कथित तौर पर दीपक सिंह गौर समेत आसपास रहने वाले हर राजनीतिक व्यक्ति को प्रतिस्पर्धी बना रहे थे। उनके लिए भी श्वेता सिंह ईर्ष्या का विषय बन चुकी थीं। परिवार में वो सबकुछ था जो एक रसूखदार और संसाधन संपन्न घर की बुनियाद होती है।
दीपक सिंह गौर मूल रूप से बांदा के जसपुरा क्षेत्र से ग्राम मरझा का रहवासी है। उसके पिता राज बहादुर सिंह सेवानिवृत्त डीआईजी हैं। वहीं बड़ा भाई धनंजय सिंह लखनऊ उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं। इसके अलावा उसके एक करीबी रिश्तेदार बांदा के सिविल लाइन एरिया से फौजदारी के स्थानीय बड़े वकील रहे हैं। दीपक सिंह गौर के रिश्तेदारों में पैलानी से बसपा नेता व मौरम कारोबारी जयराम सिंह बछेउरा भी हैं जो हाल ही में तिंदवारी विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं।
श्वेता सिंह की चार बहनों में से एक जयराम सिंह के भाई की धर्मपत्नी हैं। चित्रकूट के कर्वी में श्वेता सिंह का मायका है। पिता धर्मवीर सिंह सेल टैक्स अफसर (सेवानिवृत्त) व अब अधिवक्ता हैं। भाई भी आर्थिक रूप से सक्षम हैं। दीपक व श्वेता की तीन मासूम बेटियां क्रमशः गौरी, मित्तो व अविष्का हैं। एक बेटी लखनऊ हॉस्टल में इसी साल पढ़ने भेजी गई है वहीं दो छोटी बेटियों को यही बांदा में पढ़ाया जा रहा था। श्वेता सिंह गौर ने राजनीति में आने के बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और देखना भी नहीं चाहती थीं।
बताते चलें कि दीपक सिंह गौर शराब कारोबारी भी है। उसने कारोबार व रसूख को बढ़ाने के लिए जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। फिर क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा तो जीत गया। दीपक बीजेपी के किसान मोर्चा का जिला उपाध्यक्ष भी रहा है। इस बार उसने जिला पंचायत सदस्य में क्षेत्र की महिला सीट वार्ड- 12 से श्वेता सिंह गौर को चुनाव मैदान में उतारा और वो जीत भी गईं। फिर श्वेता सिंह ने अपना राजनीतिक प्रतिनिधि पति दीपक सिंह को बना दिया।
गृहिणी से राजनीतिक सफर
समाजशास्त्र में परास्नातक श्वेता सिंह गौर यूं तो हर आम महिला की तरह घर परिवार संभाल रही थीं। सबसे घुल मिलकर रहने वाली हंसमुख श्वेता सिंह मिलनसार व्यक्तित्व की धनी थीं। यही हुनर उनके पति ने राजनीति में प्रयोग किया और पत्नी के कंधों पर अपने राजनीतिक भविष्य के सपनों की उड़ान का भार डाल दिया। मृतक व पति की यातना से पीड़ित श्वेता सिंह ने भी पति की दी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और बांदा में चमकती राजनीति को अपने इर्दगिर्द रहने के लिए मजबूर कर दिया।
क्षेत्र के हर राजनीतिक कार्यक्रम में बढ़चढ़कर हिस्सा लेना और पार्टी के दिल्ली तक बैठे नेताओं से राजनीतिक संपर्क स्थापित करने की निपुणता उनमें आ चुकी थीं। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच किसी कार्यक्रम में उनका राजनीतिक कद चर्चा का विषय बनता था। दीपक पत्नी के प्रतिनिधि मात्र बनकर दिखते नजर आते और उनकी प्रभुता श्वेता के सामने बौनी साबित होने लगी थी।
जसपुरा के वाशिंदे श्वेता सिंह में क्षत्रिय समाज से भावी विधायक या सांसद की तस्वीर में देखने लगे थे। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा के टिकट पर तिंदवारी से विधायक, फिर जलशक्ति राज्यमंत्री बने रामकेष निषाद को श्वेता सिंह गौर बड़े भाई की तरह मानती थीं। मंत्री जी ने भी उन्हें वही सम्मान दिया लेकिन आज श्वेता की आकस्मिक मृत्यु के बाद बांदा में भाजपा व अन्य दलों की सहानुभूति श्वेता के साथ उतनी खड़ी नजर नहीं आती जितनी दीपक के साथ है।
यह अलग बात है कि मीडिया के भारी दबाव में मुख्यारोपी दीपक सिंह गौर को पुलिस ने 29 अप्रैल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। उन्हें पुलिस प्रशासन ने थाना मटौंध के इचौली तिराहे से बरामद दिखाया है। बड़े ही नाटकीय ढंग से उसकी आनन-फानन में गिरफ्तारी की गई। वहीं तीन अन्य अभियुक्त क्रमशः जेठ अधिवक्ता धनंजय सिंह, ससुर सेवानिवृत्त डीआईजी राजबहादुर सिंह, सास पुष्पा सिंह अभी विवेचना के दायरे में हैं।
पुलिस अधीक्षक बांदा अभिनंदन सिंह ने मीडिया को साफतौर पर कहा कि हम निष्पक्ष जांच कर रहे हैं। विवेचना में पर्याप्त साक्ष्य के अनुसार ही विधिक कार्यवाही की जाएगी। मृतक श्वेता सिंह का अंतिम राजनीतिक कार्यक्रम हाल ही में जसपुरा के ग्राम गरड़िया पुरवा में चंद्रावल नदी की सफाई का था। इसमें वह जलशक्ति राज्यमंत्री व क्षेत्रीय नेताओं के साथ उपस्थित थी। इसकी कुछ तस्वीरों को उन्होंने सोशल मीडिया में साझा किया था। श्वेता सिंह फेसबुक, इंस्टाग्राम में सक्रिय रहती थीं।
इधर कुछ दिनों से उनके फेसबुक पेज पर मार्मिक भाषा में चंद शब्दों से लिखे जा रहे पोस्ट यह बतलाने को पर्याप्त थे कि परिवार या निजी जीवन में बड़ी उथलपुथल चल रही है। बावजूद इसके उन्होंने कभी खुलकर पार्टी नेताओं व समाज मे दीपक के साथ अपने बिगड़े रिश्तों को उजागर नहीं किया था।
बेटी गौरी ने की पिता से बगावत
श्वेता सिंह की मौत के बाद उनकी तीन बेटियां गहरे सदमे में हैं। बेटी गौरी ने अपनी मौसी करिश्मा व भाई ओमकार सिंह के साथ अपने पिता दीपक सिंह गौर के खिलाफ खुलकर बगावती तेवर अपना लिए। बेटी के आक्रामक स्वर ने मां को न्याय दिलाने की बड़ी भूमिका का निर्वहन किया। बेटी गौरी का कुछ हद तक साथ बहन मित्तो ने भी दिया।
दोनों बहनों ने मीडिया को बताया कि 'मेरी मां को पापा, बाबा, दादी के द्वारा उत्पीड़ित किया जाता था, यह लोग उन्हें प्रताड़ित करते थे। मम्मी को सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जाता था, बाबा व पापा (दीपक) मां को गालियां देते थे। मम्मा पर अनैतिक रूप से बेटा पैदा करने का दबाव डाला जाता था। बाबा कहते थे बेटियों को प्राइमरी स्कूल में पढ़ाओ। इन्हें बेटा चाहिए, इन सबने मिलकर मेरी मां को मार डाला। पापा शराब पीकर मम्मा से लड़ते थे। इन सबको जेल भिजवाओ। मोदी-योगी जी, प्लीज मेरी मम्मी को न्याय दिलाइये...आदि।
सोशल मीडिया में दीपक के वीडियो
श्वेता सिंह गौर की मौत के ठीक एक दिन बाद 28 अप्रैल को दीपक सिंह गौर से हुए उनके विवाद के कुछ निजी वीडियो परिवार द्वारा पत्रकारों को दिए गए। यह आग की तरह सोशल मीडिया में फैल गए। इनमें दीपक द्वारा श्वेता सिंह को वो सबकुछ कहा गया जो खबरों में लिखना मुनासिब नहीं है। रंगीनमिजाज शराबी पति किस तरह अपनी मर्दानगी के अहंकार में एक स्त्री के वजूद को शर्मसार कर सकता है। वहीं इस पितृसत्तात्मक समाज में पुरुष हिंसा का शिकार एक औरत, मां, पत्नी व हमसफर कैसे पर पुरुष के सामने बेइज्जत की जाती है और बन्द कमरे में उसकी क्या मर्यादा हिंसक पति रखता है, यह वीडियो स्पष्ट कर रहे हैं।
वहीं मरने से पहले श्वेता सिंह ने भाई व जेठानी को 26 अप्रैल की रात 10 बजे मोबाइल फोन से टेक्सट मैसेज में लिखा कि 'इन दिनों मेरे साथ अगर कुछ होता है तो इन सबका जिम्मेदार दीपक सिंह होगा। मैं जिंदा रही तो मिलूंगी, नहीं, मैं आने वाले समय मे अब किसी से कुछ कह नहीं पाऊंगी। मैं टूट गई हूं, मुझे रोज-रोज सताया जा रहा है। मुझे इतना टॉर्चर किया जा रहा है कि ऐसा लगता है मैं खुद ही कुछ कर लूं।' इस पर भाई ने रिप्लाई उत्तर दिया अब क्या हो गया, फिर शुरू हो गया क्या उनका ? तुम ऐसा वैसा कुछ सोचना भी नहीं। श्वेता इस मैसेज के साथ दुनिया को अलविदा कह देगी यह किसने सोचा था लेकिन यही हो गया। परिवार में ऐसी अनहोनी की कल्पना तक किसी ने कभी नहीं की थी।
दीपक ने भी की थी आत्महत्या की कोशिश
खबरों की परतों पर ध्यान देंगे तो जानकारी मिलती है कि 26 अप्रैल को हुए पति-पत्नी के विवाद पर दीपक सिंह ने भी आत्महत्या का प्रयास किया था। इस कदम पर उनके पड़ोसी रिश्तेदार नगेन्द्र सिंह अपनी पत्नी के साथ घर आकर देर रात उन्हें समझाया। दोनों को शांत किया। दीपक और श्वेता ने साथ खाना खाया, फिर वे चले गए। सुबह मायके के नौकर छेदी लाल की मानें तो पुनः झगड़ा शुरू हुआ। इस पर दीपक ने श्वेता के दोनों मोबाइल फोन तोड़ दिए और बेटी अविष्का को स्कूल से लेने जाने की बात कहकर चले गए। फिर नहीं लौटे।
क्राइम सीन मुताबिक इधर इस दरमियान श्वेता सिंह गौर ने कमरा बन्द करके अपने दुपट्टे को पंखे से टांगकर खुदकुशी कर ली। करीब दो दिन दीपक ने पुलिस को छकाया और फरारी काट ली। इधर मायके वालों और ससुराल पक्ष में तनातनी होने लगी। हालात यह हुए कि बेटी गौरी ने बाबा राज बहादुर को मम्मा का शव पर हाथ नहीं लगाने दिया।
वहीं बीजेपी के क्षेत्रीय नेताओं का जमघट, सदर विधायक और बसपा नेता की पैरवी से जब सेवानिवृत्त डीआईजी ने यह भरोसा दिया कि दीपक की आधी संपति बेटियों के नाम लिखी जाएगी तब जाकर मृतक श्वेता का अंतिम संस्कार हो सका। अपने फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम तक श्वेता सिंह के लिखे मार्मिक पोस्ट व्हाट्सएप पर वायरल होने लगे। हर संवेदनशील व्यक्ति श्वेता को न्याय दिलाने की जद्दोजहद में मायके पक्ष के साथ खड़ा नजर आया। खबरों के दबाव ने पुलिस को बैकफुट पर ला दिया और दीपक की गिरफ्तारी हो सकी।
लखनऊ के दीपक की रंगीनमिजाजी
राजधानी लखनऊ में बीते माह दीपक सिंह गौर व तीन अन्य साथियों ने जो एकसाथ रंगीनमिजाजी की है उसकी बानगी में तीन ऑडियो संवाददाता के हाथ लगे हैं। ऑडियो व सूत्रानुसार यह बीते माह के हैं। दीपक किसी दलाल मोबाइल पर कहता है कि आपका नम्बर मुझे सुनील सिंह गौतम ने दिया था। दीपक उस दलाल से लखनऊ के नाका हिंडोला क्षेत्र में होटल एमजे इंटरनेशनल तक इंडियन व रसियन लड़की के बुकिंग की सौदेबाजी कर रहा है।
दलाल से मोलभाव करते हुए पता चलता है तीन तरह की लड़कियां है इंडियन, रसियन और मोरक्को। अन्ततः सौदा 23 हजार में दो लड़की एक इंडियन और एक रसियन पर तय होता है। दो लड़की और चार आदमी का खेल यह तीन ऑडियो बयान कर रही हैं। दीपक की बेटी गौरी ने पिता के शराबी व अय्याशी होने की बात सार्वजनिक रूप से मीडिया में जो बोली थीं वह ऑडियो उसको सही साबित करते हैं। उल्लेखनीय है दीपक होर्डिंग पर बीजेपी के नेता व बांदा में जनसेवक हैं। लेकिन इनका चाल-चरित्र कैसा है और एक नेता का कैसा होना चाहिए जब वह सेवानिवृत्त डीआईजी व अधिवक्ताओं के परिजनों, रिश्तेदारों से घिरा हो, यह बतलानी की आवश्यकता नहीं है। पार्टी में भी महिला, बेटियां हैं। पार्टी का नारा भी है- 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ'!
कौन है राजेश सिंह
दीपक सिंह गौर के साथ मृतक पत्नी श्वेता सिंह का 20 अप्रैल को जो विवाद हुआ उसमें एक वीडियो में राजेश सिंह उर्फ राजेश मामा का नाम भी आया है। श्वेता सिंह दीपक द्वारा इस आदमी को घर पर लाकर शराब पिलाने से खफा थीं। पीड़िता ने दीपक से ऐसा करने को मना किया था लेकिन दीपक क्यों मानता उन्हें शराब पैग का हिस्सेदार ज्यादा प्रिय था। श्वेता के साथ कुछ ऐसा हुआ या होने के आसार थे जो वह राजेश से आशंकित थीं और दीपक से परिवार की इज्जत व सामाजिकता को बचाने की गुहार लगा रही थीं।
बांदा में राजेश सिंह को लेकर अजीब कौतूहल है। हर दिल अजीज यह जानने को बेताब है कि कौन है वो दोस्त जिसने परिवार में यह नासूर पैदा कर दिया। जानकारों की मानें तो राजेश सिंह ग्राम लुकतरा निवासी बीजेपी के नेता व पूर्व ब्लाक प्रमुख विशम्भर सिंह लालू का भाई है। वह दीपक के साथ लाल मौरम का काम करता था, श्वेता सिंह के घर आता था। राजेश सिंह का मकान भी इंद्रानगर में है और दीपक सिंह गौर भी यहीं रहते है। दोनों में जिगरी याराना शराब पीने का था जो वैवाहिक जीवन में जहर घोलता गया।
नगर कोतवाल राजेन्द्र सिंह राजावत की मानें तो जांच में हर वो व्यक्ति शामिल किया जाएगा जिनके नाम वायरल वीडियो में आ रहे हैं। श्वेता को अपनी बेटियों की चिंता थी इसलिए वो दीपक को समझा रही थी। पर नसीब में जिसके जो लिखा था- वो उसकी महफिल में काम आया....या यूं कहें कि सबकुछ सीखा हमने, न सीखी होशयारी....ये सच है दुनिया वालों कि हम हैं अनाड़ी।
श्वेता सिंह की इंस्टाग्राम में कुछ रील्स वीडियो और फेसबुक में करवाचौथ के पर्व पर दीपक के साथ उनकी खूबसूरत दम्पति की तस्वीर देखकर कभी नहीं लगता कि यह गाना झूठा हो सकता है टमैं सेहरा बांधके आऊंगा मेरा वादा है, मैं तेरी मांग सजाऊंगा मेरा वादा है " अलबत्ता यह होना भरेपूरे परिवार को किसी की नजर लगने जैसी हृदयाघात विडंबना है जिसने बांदा रहवासियों को झकझोर दिया था। न्यायालय कैसा न्याय करेगा यह वक्त और दलीलों की बात है लेकिन.....!
जेठ, ससुर और सास को बचाने की जद्दोजहद
सूत्रों की मानें तो बांदा के क्षत्रिय समाज के कद्दावर नेता व व्यक्ति इस मामले में लामबंद हो चुके हैं। वह दोनों परिवारों में आपसी समझौता कराकर सास-ससुर व जेठ को बचाना चाहते हैं। उनका कहना है यह निर्दोष है। पति के गुनाह की सजा बेगुनाहों को नहीं मिलना चाहिए। वैसे भी सेवानिवृत्त डीआईजी ससुर राजबहादुर सिंह ने दीपक की संपत्ति का आधा हिस्सा तीनों बेटियों के नाम करने का वचन दिया है। बुजुर्गों को इस मामले में नहीं घसीटा जाना चाहिए। देखना यह होगा कि मृतक श्वेता के परिजनों से आरोपियों को कितनी राहत मिलती है। तब जबकि तीनों बेटियों का भविष्य इन्ही लोगों के इर्दगिर्द आबाद होना है।
(जनता की पत्रकारिता करते हुए जनज्वार लगातार निष्पक्ष और निर्भीक रह सका है तो इसका सारा श्रेय जनज्वार के पाठकों और दर्शकों को ही जाता है। हम उन मुद्दों की पड़ताल करते हैं जिनसे मुख्यधारा का मीडिया अक्सर मुँह चुराता दिखाई देता है। हम उन कहानियों को पाठक के सामने ले कर आते हैं जिन्हें खोजने और प्रस्तुत करने में समय लगाना पड़ता है, संसाधन जुटाने पड़ते हैं और साहस दिखाना पड़ता है क्योंकि तथ्यों से अपने पाठकों और व्यापक समाज को रू-ब-रू कराने के लिए हम कटिबद्ध हैं।
हमारे द्वारा उद्घाटित रिपोर्ट्स और कहानियाँ अक्सर बदलाव का सबब बनती रही है। साथ ही सरकार और सरकारी अधिकारियों को मजबूर करती रही हैं कि वे नागरिकों को उन सभी चीजों और सेवाओं को मुहैया करवाएं जिनकी उन्हें दरकार है।
लाजिमी है कि इस तरह की जन-पत्रकारिता को जारी रखने के लिए हमें लगातार आपके मूल्यवान समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है। सहयोग राशि के रूप में आपके द्वारा बढ़ाया गया हर हाथ जनज्वार को अधिक साहस और वित्तीय सामर्थ्य देगा जिसका सीधा परिणाम यह होगा कि आपकी और आपके आस-पास रहने वाले लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित करने वाली हर ख़बर और रिपोर्ट को सामने लाने में जनज्वार कभी पीछे नहीं रहेगा, इसलिए आगे आयें और जनज्वार को आर्थिक सहयोग दें।)