दुनिया में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करने वाली BJP में ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव लड़े जाते हैं मोदी के चेहरे पर
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
The concept of Democracy has changed in India, now it is Modicracy. चुनावों के नतीजे आ गए हैं। सबसे पहली बात जो इनसे उभरती है – चुनावों के दौरान राम और अयोध्या का महिमामंडन करने वाले प्रधानमंत्री, बीजेपी अध्यक्ष, बीजेपी प्रवक्ताओं के लिए अब राम और अयोध्या इतिहास बन गए हैं। फैजाबाद में बीजेपी के बुरी तरह हारने के बाद प्रधानमंत्री, बीजेपी अध्यक्ष या फिर दिन भर तमाम चैनलों पर डेरा जमाये बीजेपी प्रवक्ताओं ने राम, अयोध्या और जय श्री राम के नारे से दूरी बनाई रखी। बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी या बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने एक बार भी राम या अयोध्या का जिक्र नहीं किया।
बीजेपी द्वारा बहुमत नहीं हासिल करने और एनडीए द्वारा किसी तरह बहुमत के आंकड़े तक पहुँचने के बाद भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की मोदीभक्ति में कोई कमी नहीं आई, जाहिर है अगले पांच वर्षों तक मीडिया जन-मीडिया नहीं बल्कि दरबारी मीडिया ही बना रहेगा। शाम को मोदी के बीजेपी मुख्यालय पहुँचाने से ठीक पहले एक समाचार चैनल के संवाददाता ने रिपोर्टिंग करते हुए विशुद्ध दरबारी स्टाइल में बताया की मोदी जी के चेहरे की चमक, नूर और तेज पहले जैसे ही हैं – यह एक राष्ट्रीय चैनल की रिपोर्टिंग थी। दूसरी तरफ, बीजेपी मुख्यालय में भाषण देते प्रधानमंत्री मोदी पूरी तरह से थके और प्रभावहीन नजर आ रहे थे।
हमारे देश के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का विदेशों में खूब मजाक उड़ाया जाता है। हाल में ही ब्रिटिश कॉमेडियन जॉन ओलिवर द्वारा प्रस्तुत एक टीवी कार्यक्रम को हमारे देश में प्रतिबंधित किया गया है। इसके ऑफिशियल स्टेमिंग पार्टनर जिओसिनेमा हैं, जाहिर है अम्बानी का चैनल मोदी की आलोचना देश में प्रतिबंधित करेगा, तो दूसरी तरफ यूट्यूब ने भी इसे भारत में नहीं दिखाने का फैसला लिया है। इस कार्यक्रम में जॉन ओलिवर का यह कार्यक्रम देश में आम चुनाव, आर्थिक असमानता, अल्पसंख्यक विरोधी रवैया, सत्ता द्वारा किया जाने वाला अतिवाद और मीडिया सेंसरशिप पर था। जाहिर है मोदीराज में ऐसे कार्यक्रम प्रतिबंधित ही होंगे। इसमें बताया गया है भुखमरी और कुपोषण के वैश्विक इंडेक्स में मोदी जी का भारत सबसे निचले पायदान के देशों में शामिल है, फिर भी सरकार लगातार गरीबी हटाने की बात कर रहे हैं।
दरअसल मोदी सरकार गरीबी नहीं कम कर रही है, बल्कि बार-बार गरीबी की परिभाषा बदलकर गरीबों की संख्या कम कर रही है। जॉन ओलिवर ने कहा कि देश का मीडिया मोदी आधारित है और इसे केवल मोदी के गुणगान से ही मतलब है। सरकार के किसी भी नीति की क्रिटिकल आलोचना मीडिया में कभी नहीं की जाती है। आलोचना वाले मीडिया हाउस बहुत कम हैं, और ऐसी हरेक आलोचना के बाद सरकार ऐसे मीडिया संस्थानों पर और पत्रकारों पर आतंकवादियों की तरह टूट पड़ती है। यहाँ का मीडिया यह बताता है की प्रधानमंत्री मोदी आम किस तरह खाते हैं।
अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए शुरुआत में मोदी जी ने बहुत धैर्य दिखाया था, अपनी आदत से विपरीत अपने नाम “मोदी” से शुरू में पहरेज रखा और बीजेपी, एनडीए को अपने भाषणों में शामिल रखा, पर भाषण के अंतिम चरण में अपनी छाती पर अपनी ही उंगली रखकर मोदी की गारंटी, मोदी ये करेगा, मोदी वो करेगा – जैसे जुमले सामने आ ही गए। शुरू में लोकतंत्र और संविधान की भी चर्चा की, पर मोदी जी का लोकतंत्र जनता का कुछ नहीं है, बल्कि यह मोदीतंत्र है। इसका संविधान मोदी जी की जुबान है।
इस देश में कोई लोकतांत्रिक सरकार नहीं है। बीजेपी भले ही दुनिया में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करती हो, पर यहाँ तो ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक के हरेक चुनाव केवल नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़े जाते हैं और हरेक केन्द्रीय मंत्री या राज्यों के मुख्यमंत्री का केवल एक काम है – मोदी जी की स्तुति करना। लगभग सभी समाचार चैनल ओडिशा में बीजेपी की जीत को मोदी जी की ऐतिहासिक जीत बता रहे हैं।
मोदी जी के राज में लोकतंत्र महज मोदीतंत्र रह गया है। देश का संविधान, क़ानून व्यवस्था और सारा सामाजिक तानाबाना – सब बस मोदी जी के इशारे पर चल रहे हैं, और इस मोदीतंत्र का मेनस्ट्रीम मीडिया खुला समर्थन कर रहा है।