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राजनीति

PM Modi In Kedarnath : 'पीएम मोदी की केदारनाथ यात्रा चुनावी प्रचार के नए हथकंडे से अधिक कुछ नहीं'

Janjwar Desk
5 Nov 2021 2:30 PM GMT
PM Modi In Kedarnath : पीएम मोदी की केदारनाथ यात्रा चुनावी प्रचार के नए हथकंडे से अधिक कुछ नहीं
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(केदारनाथ धाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी)

PM Modi In Kedarnath : इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि केदारनाथ में दिये गए भाषणों में केवल दो ही व्यक्तियों का महिमागान हो रहा था - आदि शंकराचार्य और नरेंद्र मोदी, वह और कुछ नहीं भाजपाई अंहकार का प्रकटीकरण और प्रदर्शन था।

PM Modi In Kedarnath। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Visit) को चुनावी प्रचार की यात्रा करार दिया है। भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इन्द्रेश मैखुरी ने कहा कि प्रधानमंत्री की केदारनाथ यात्रा भाजपा (BJP) के अहंकार और चुनावी प्रचार की यात्रा से अधिक कुछ नहीं है। केदारनाथ जैसे परिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील स्थान पर भीड़ जमा करके जनसभा करना न केवल हास्यास्पद है बल्कि अपने आप में एक प्रकृति विरोधी कृत्य है। परंतु अपने चुनावी लाभ के लिए भाजपा किसी भी सीमा को लांघने को तैयार है।

मैखुरी ने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री जैसे देश के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति से बाढ़ निर्माण, तटबंध और पुल जैसे मामूली कार्यों को उपलब्धि के तौर पर प्रचारित करवाया गया, वह भाजपा की चुनावी व्यग्रता को प्रदर्शित करता है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का भाषण तो सरकारी सूचना विभाग के प्रदेश भर में लगे विज्ञापन में वर्णित उपलब्धियों का मौखिक वर्णन मात्र था।

माले के गढ़वाल सचिव ने बयान जारी कर कहा कि केदारनाथ में दिये गए भाषणों में केवल दो ही व्यक्तियों का महिमागान हो रहा था- आदि शंकराचार्य और नरेंद्र मोदी, वह और कुछ नहीं भाजपाई अंहकार का प्रकटीकरण और प्रदर्शन था।

बयान में उन्होंने कहा कि 2013 की आपदा का वर्णन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ने अपने भाषणों में किया लेकिन यह विडंबना है कि उस आपदा के बाद हुई तबाही के लिए जिम्मेदार समझी गयी जिन सात जल विद्युत परियोजनाओं को उच्चतम न्यायालय ने बंद कर दिया था, उन्हें केंद्र सरकार पुनः शुरू करवाने की कोशिश कर रही है। यह निरंतर सिद्ध हो रहा है कि जिस बेतरतीब और अवैज्ञानिक तरीके से चार धाम सड़क परियोजना का निर्माण चल रहा है, वह उत्तराखंड के लिए विनाशकारी सिद्ध हो रहा है। एक तरफ 2013 का नाम लेकर सहानुभूति बटोरने की कोशिश और दूसरी तरफ तबाही की परियोजना को उपलब्धि के तौर पर प्रचारित करना, यह दोहरापन नहीं तो क्या है !

मैखुरी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने फिर "पहाड़ के पानी और पहाड़ के जवानी को पहाड़ के काम लाने " के जुमले को उछाला। हकीकत यह है कि भाजपा सरकार का बना पलायन आयोग ही यह बता रहा है कि उत्तराखंड में सर्वाधिक पलायन का कारण बेरोजगारी है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने नचिकेता का उदाहरण देते हुए यम से भी सवाल पूछने का उल्लेख किया, परंतु वे स्वयं प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करते ताकि सवालों का सामना नहीं करना पड़े और तमाम ऐसे विरोधी लोग जेलों में बंद हैं, जिन्होंने उनकी सरकार को असहज करने वाले सवाल पूछने की हिमाकत की। यह आश्चर्यजनक है कि केदारनाथ में हुई इस जनसभा में किसी ने उस देवस्थानम बोर्ड का नाम भी नहीं लिया जिसके खिलाफ महीनों से तीर्थ पुरोहित और अन्य हक-हकूकधारी लामबंद हैं।

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