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राजनीति

5 साल से आवारा पशुओं से तबाह होते रहे यूपी के किसान, अब हार के डर से चुनाव में मोदी ने माना 'समस्या'

Janjwar Desk
21 Feb 2022 7:04 AM GMT
5 साल से आवारा पशुओं से तबाह होते रहे यूपी के किसान, अब हार के डर से चुनाव में मोदी ने माना समस्या
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UP Election 2022 : मंदिर, मस्जिद, जिन्ना, पाकिस्तान, अब्बाजान, चचाजान और हिंदू-मुसलमान जैसे निरर्थक मुद्दों ने बेरोजगारी, गरीबी, खेती-किसानी और आवारा पशु जैसी गंभीर समस्याओं को गौण बना दिया। जबकि योगी सरकार के कार्यकाल में आवारा पशुओं की समस्या लोगों के सामने एक आपदा के रूप में उभरकर सामने आई है।

UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ( Uttar Pradesh Assembly Elections 2022 ) को लेकर सियासी जंग के चौथे चरण के अंतिम दौर में है। सरकार एक तरफ अपने कामों को गिनाकर जनता से वोट देने की अपील कर रही है तो विपक्ष सरकार की खामियों को मतदाताओं के सामने रखकर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। खास बात यह है कि इस बार मंदिर, मस्जिद, जिन्ना, पाकिस्तान, अब्बाजान, चचाजान और हिंदू-मुसलमान जैसे निरर्थक मुद्दों ने बेरोजगारी, गरीबी, खेती-किसानी, आवारा पशु जैसी गंभीर समस्याओं गौण बना दिया है। जबकि योगी सरकार के कार्यकाल में आवारा पशुओं ( Stray animals ) की बड़ी समस्या ( Big Problems ) लोगों के सामने एक आपदा के रूप में उभरकर सामने आई है।

आवारा पशुओं को पीएम ने माना बड़ी समस्या

देर से ही सही यूपी विधानसभा चुनाव ( UP election 2022 ) में हार के डर से पीएम मोदी ( PM Narendra Modi ) ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आवारा पशुओं ( Stray Animals ) की समस्या को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने उन्नाव में कहा कि खुले में घूम रहे पशुओं से जो परेशानी होती उसे दूर करने के लिए 10 मार्च के बाद नई व्यवस्था बनाई जाएगी

उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) में यह मुद्दा सबसे बड़ा है। ऐसा इसलिए कि गांवों के किसान छुट्टा जानवरों से इतना परेशान हो चुके हैं कि वह इस मुद्दे को सबसे बड़ा बताते हैं। पूर्वांचल हो या वेस्ट हर जगह के लोग इससे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। पूर्वांचल में जौनपुर, बनारस, गाजीपुर, चंदौली, मऊ, आजमगढ़, बलिया सहित आवारा जानवरों से पूरा यूपी त्रस्त है। आवारा पशु गांवों में किसानों के फसल बर्बाद कर रहे हैं। शहरों में आए दिन लोग आवारा पशुओं के शिकार होते हैं।

UP में सबसे ज्यादा तादाद में आवारा पशुधन

साल 2019 में उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग ने एक सर्वे कराया था। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में आवारा जानवरों की संख्या 7 लाख 33 हजार 606 है। अगर पूरे भारत की बात करें तो यह संख्या 52 लाख से ज्यादा है। 16 जुलाई 2018 को 'द वाशिंगटन पोस्ट' में छपी एक खबर के अनुसार भारत में लगभग 52 लाख छुट्टा गाय सड़कों पर घूमती हैं। 20वीं पशुधन गणना से पता चलता है कि देश में 50.21 लाख आवारा गोवंश सड़कों पर घूम रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा राजस्थान में जिनकी संख्या 12.72 लाख और दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में 11.84 लाख गोवंश सड़कों पर घूम रहे हैं। उत्तर प्रदेश का किसान इस वक्त इन्हीं आवारा पशुओं की वजह से सबसे ज्यादा समस्याग्रस्त है।

साल 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाके में यूपी की कुल आबादी का लगभग 77 फ़ीसदी हिस्सा रहता है। इनमें से अधिकांश लोग खेती—किसानी पर निर्भर हैं। अवारा पशु खेती-किसानी को ही चट कर रहा है। योगी सरकार ने इसी की सबसे ज्यादा उपेक्षा की है। मौजूदा सरकार को आवारा पशुओं के मुद्दे को गंभीरता से लेना होगा। अगर यूपी के ग्रामीण मतदाताओं ने इसे गंभीरता से ले लिया तो 2022 के विधानसभा चुनाव में योगी सरकार की वापसी मुश्किल है।

योगी गौवंश के नाम पर कर रहे हैं 'राजनीति'

अब सवाल उठता है कि उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार इन अवारा पशुओं के लिए क्या किया। तो इसका जवाब यह है कि 6 अगस्त 2019 को उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने 'मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना' को मंजूरी दी थी। इस योजना के तहत प्रदेश सरकार आवारा पशुओं को पालने वाले लोगों को प्रतिदिन 30 रुपए देती है। इस योजना पर राज्य सरकार ने लगभग 109.5 करोड़ खर्च होने का अनुमान लगाया था। इंडियास्पेंड में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार 25 सितंबर 2021 तक 98,205 गोवंश 53,522 लोगों को दिए। अगर हम उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की संख्या से तुलना करें तो यह ऊँट मुंह में जीरा जैसा है।

कहां से शुरू हुई आवारा पशुओं की समस्या

ऐसा नहीं है कि उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या बीते 5-6 सालों से ही है। लेकिन यह भ्ज्ञी उतना ही बड़ा सच है कि बीते चार-पांच सालों में इस समस्या ने यूपी में विस्फोटक रूप धारण कर लिया है। ऐसा इसलिए कि 2017 में योगी आदित्यनाथ ने सीएम का पद संभालते ही कुछ बड़े फैसले लिए। यूपी के सैकड़ों अवैध बूचड़खानों को बंद कर दिया। जून 2020 में उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने गोवध निवारण संशोधन अध्यादेश पारित किया, जिसके मुताबिक गोवध करने वालों को 10 साल की सजा और 5 लाख रुपए जुर्माना भरना पड़ सकता है। सरकार का यह कदम तारीफ के काबिल रहा। पर गायों के लिए बने आश्रय सही ढंग से काम करने के लिए सरकार ने योजनाबद्ध तरीके से काम नहीं किया। इसके बावजूद योगी ने एक जनसभा में कहा था कि ये पहली सरकार है, जिसने प्रदेश के अंदर अवैध बूचड़खानों को पूरी तरह प्रतिबंधित कर गो-तस्करी को यूपी में प्रतिबंधित किया है। अब कोई व्यक्ति गो-हत्या की बात तो दूर, गाय से अगर क्रूरता भी करेगा उसकी जगह जेल में होगी।

UP Election 2022: इससे पहले यूपी के लोग अनुपयोगी पशुओं को कसाईयों के हाथ बेच देते थे, जहां दूध न देने वाली इन गायों, बैलों व भैसों का इस्तेमाल मीट के लिए होता था। कानून बनने के बाद ऐसा न होने से अनुपयोगी पशु भी आवारा पशु में तब्दील हो गए। यही वजह है कि योगी की गौवंश नीति भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बनकर उभरी हैं।

अवारा पशुओं ने किसानों के सपने को तोड़ा : Akhilesh Yadav

चुनाव के मौसम में जनता के साथ विपक्ष के लिए यह बड़ा मुदृदा बन गया है। समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव का दावा है कि 'भाजपा की नीतियों की वजह से प्रदेश में लाखों आवारा मवेशियों ने किसानों के सपनों को तोड़ दिया है। बूचड़खाना बंद कर लाखों युवाओं को बेरोजगार कर दिया। मीट कारोबार ठप हो गया। अब इससे जुड़ी लोग ही भाजपा को सबक सिखाएंगे।

BJP ने सिर्फ मुसीबतें बढ़ाईं : प्रियंका गांधी

कांग्रेस पार्टी नेता प्रियंका गांधी का तो यहां तक दावा है कि पिछले साढ़े चार सालों में भाजपा सरकार ने सिर्फ लोगों की मुसीबतें बढ़ाईं हैं। जनहित में काम नहीं किया। युवा बेरोजगारों तो भगवान भरोसे छोड़ दिया।

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