UP Election 2022 : कुंडा से हमेशा निर्दलीय चुनाव क्यों लड़ते हैं राजा भैया, क्या है कहानी?
धीरेंद्र मिश्र/नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की सरगर्मी के बीच एक बार फिर कुंडा से निर्दलीय विधायक राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह सुर्खियों में हैं। इस बार चर्चा में आने की वजह यूपी विधानससभा चुनाव और हाल ही में मुलायम सिंह यादव से उनकी मुलाकात है। उसके बाद से माना जा रहा है कि वो सपा से हाथ मिला सकते हैं। लेकिन उनको लेकर एक बात और अहम है कि वो हमेशा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ही चुनाव लड़ते हैं, पर क्यों?
यूपी के सियासी गलियारों में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को लेकर भी तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। राजा भैया प्रतापगढ़ के कुंडा से सात बार निर्दलीय चुनाव जीतकर रिकॉर्ड बना चुके हैं। एक बार जब राजा भैया से हमेशा निर्दलीय चुनाव लड़ने को लेकर सवाल पूछा गया कि निर्दलीय ही क्यों? जब आप सरकार में शामिल रहे हैं, कैबिनेट मंत्री तक रहे हैं तो निर्दलीय ही चुनाव क्यों लड़ना चाहते हैं?
इस सवाल पर राजा भैया ने कहा था कि यूनिवर्सिटी एजुकेशन के दिनों में भी मैं बिना किसी दल के राजनीति में सक्रिय रहता था। यूनिवर्सिटी से निकला तो संयोग ऐसा बना कि चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया। अब कोई दल नहीं मिला तो निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर गए। जीत भी मिल गई, तो किसी पार्टी में शामिल होने के बारे में सोचा ही नहीं।
अयोध्या पहुंकर फूंका चुनावी बिगुल
हाल ही में राजा भैया ने अयोध्या पहुंकर चुनावी बिगुल फूंका था। यहां उनसे गठबंधन को लेकर पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि समान विचारधारा वाली कोई भी पार्टी साथ आ सकती है। अब जहां तक गठबंधन का सवाल है तो हमने किसी से कोई फिलहाल बातचीत नहीं की है। आगे देखा जाएगा कि हम कौन-सी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
संघ के कार्यकर्ता थे राजा भैया के पिता
यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके राजा भैया के पिता राजा उदय प्रताप सिंह राजनीति से हमेशा दूर ही रहे, लेकिन वह राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहे। कुंडा में राजा भैया के परिवार का लगभग एकतरफा वर्चस्व रहा है। 2012 के चुनाव में राजा भैया ने 88 हजार से भी ज्यादा मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जो अपने आप में बड़ी जीत थी।
साल 2010 में भी हुई थी जेल
बीएसपी की सरकार यानि मायावती के मुख्यमंत्री रहने के दौरान राजा भैया को जेल जाना पड़ा था, लेकिन मुलायम सिंह के सीएम बनते ही वह जेल से बाहर आ गए थे और उन्हें कैबिनेट में भी जगह दी गई थी। जानकारी के मुताबिक साल 2002 में बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार के समय झांसी के विधायक पूरण सिंह मंडेला के अपहरण के मामले में राजा भैया को जेल भी जाना पड़ा था। तब लगभग ढाई साल के बाद राजा भैया जेल से बाहर आ पाए थे। मायावती के शासनकाल में राजा भैया पर पोटा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी, जिसे केंद्र में कांग्रेस की सरकार आने के बाद समाप्त कर दिया गया था। राजा भैया की बेंती कोठी पर हुई छापेमारी में तालाब से हजारों नरकंकाल मिले थे। राजा भैया को साल 2010 में भी जेल जाना पड़ा था। 2010 में भी हुई थी जेल तब भी प्रदेश में मायावती की सरकार थी। 19 दिसम्बर 2010 को ब्लॉक प्रमुख के चुनाव के दौरान बीडीसी सदस्य के अपहरण का मामला हुआ। बसपा नेता मनोज शुक्ला और राजा भैया के बीच अदावत थी। हाईवे पर लगभग दो घंटे तक गोलीबारी की घटना हुई। इस मामले में राजा भैया, एमएलसी गोपालजी ,विधायक विनोद सरोज और कौशांबी के तत्कालीन सांसद शैलेन्द्र को भी पूरी रात पुलिस ने कुंडा कोतवाली में बैठाया था। अगले दिन यानी 20 दिसंबर को मुकदमा दर्ज हुआ और राजा भैया को जेल जाना पड़ा।
डीएसपी जियाउल हक की हत्या मामले में उछला था राजा भैया का नाम
राजा भैया जब जेल से छूटे, तब वहां अखिलेश यादव, राज ठाकरे, वरुण गांधी और योगी आदित्यनाथ भी पहुंचे थे। 3 मार्च 2013 को हुई क्षेत्राधिकारी (सीओ) जियाउल हक की हत्या के मामले में भी राजा भैया का नाम आया था। इसके बाद राजा भैया को अखिलेश मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। इस मामले में सीबीआई जांच के बाद उन्हें क्लीनचिट मिल गई थी और राजा भैया को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया था।
गबन का भी है आरोप
राजा भैया पर खाद्य एवं रसद मंत्री रहते करोड़ों रुपए के गबन का भी आरोप लगा था। इस घोटाले की जांच अब भी चल रही है। राजा भैया पर यादव सिंह यादव के मामले में भी आरोप लगे। ब्लैक मनी से जुड़े इस मामले में उनकी पत्नी भानवी, एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह के नाम भी सामने आए थे. इस मामले की जांच भी एसआईटी कर रही है।
संगीन धाराओं में 47 मुकदमे
कुंडा से विधायक राजा भैया के खिलाफ कुंडा के साथ ही महेशगंज, प्रयागराज, रायबरेली के ऊंचाहार और राजधानी लखनऊ में हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, अपहरण समेत अन्य संगीन धाराओं में 47 मुकदमे दर्ज हैं। कुछ मुकदमों में राजा भैया को न्यायालय से राहत मिल चुकी है, तो कुछ मुकदमे शासन-सत्ता के दबाव में वापस हो चुके हैं।
राजा भैया के खिलाफ दर्ज मुकदमा क्यों वापस लिया?
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी सरकार से मुकदमे वापस लिए जाने के कारण पूछे थे। इस मामले में योगी सरकार की ओर से कहा गया है कि राजा भैया से जुड़ा कोई मुकदमा वापस नहीं हुआ है। सरकार की ओर से मुकदमा वापस लिए जाने संबंधी खबरों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार के गठन के बाद राजा भैया से जुड़ा एक भी मुकदमा वापस नहीं लिया गया है।