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राजनीति

पश्चिम बंगाल : शुभेंदु अधिकारी ने विधायक पद से दिया इस्तीफा, अब बस तृणमूल से इस्तीफा बाकी

Janjwar Desk
16 Dec 2020 1:29 PM GMT
पश्चिम बंगाल : शुभेंदु अधिकारी ने विधायक पद से दिया इस्तीफा, अब बस तृणमूल से इस्तीफा बाकी
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शुभेंदु अधिकारी. 

शुभेंदु के विधायक पद से इस्तीफे के बाद यह बहुत स्पष्ट हो गया है कि वे भाजपा में शामिल होंगे, हालांकि इस बात की क्षीण संभावना भी है कि वे क्षेत्रीय दल गठित कर सकते हैं...

जनज्वार। तृणमूल कांग्रेस के असंतुष्ट नेता शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में अब सिर्फ उनकी तृणमूल कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा बाकी है। विधायक पद से उनके इस्तीफा देने से यह बहुत स्पष्ट हो गया है कि जल्द ही वे किसी अन्य दल में शामिल होंगे या अपनी पार्टी का ऐलान करेंगे। हालांकि प्रबल संभावना इस बात की है कि वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे।

संभावना है कि इस सप्ताह के अंत में भाजपा नेता व गृह मंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे के दौरान वे भगवा पार्टी में शामिल हों। हालांकि यह भी संभावना है कि शनिवार को अमित शाह के कोलकाता दौरे से पहले शुभेंदु अधिकारी उनसे मुलाकात करने दिल्ली जाएं।

शुभेंदु अधिकारी बुधवार शाम जब अपना इस्तीफा सौंपने विधानसभा पहुंचे तो स्पीकर विमान बनर्जी से उनकी मुलाकात नहीं हो सकी, ऐसे में उन्होंने सचिव को अपना इस्तीफा सौंपा और इस संबंध में स्पीकर को इ-मेल किया। हालांकि बाद में स्पीकर विमान बनर्जी ने कहा है कि नियमों के अनुसार, शुभेंदु को स्पीकर को ही इस्तीफा सौंपना होगा, क्योंकि सचिव को इस्तीफा लेने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा है कि उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं हुआ है।

शुभेंदु अधिकारी ने इससे पहले मंगलवार को ममता बनर्जी के बाहरी-भीतरी के बयानों पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि हम सब पहले भारतीय हैं, उसके बाद बंगाली या कुछ और हैं।

शुभेंदु अधिकारी के पास ममता बनर्जी सरकार में मंत्री पद के अलावा कुछ बोर्डाें की जिम्मेवारी थी, जिससे उन्होंने बारी-बारी से इस्तीफा दिया। इस बीच उन्हें मनाने की कोशिशें होती रहीं। चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर ने भी बीच में उनसे मुलाकात की, लेकिन बात नहीं बनी। उनके परिवार का बंगाल की राजनीति में खासा रसूख हैं और उनके पिता शिशिर अधिकारी व भाई दिब्येंदु अधिकारी भी तृणमूल से लोकसभा सांसद हैं। अधिकारी परिवार का बंगाल के 60 से 65 विधानसभा सीटों पर खासा प्रभाव है। ऐसे में उनके तृणमूल छोड़ने से ममता बनर्जी को राजनीतिक नुकसान होने की बात कही जा रही है।

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