PM ने क्यों कहा - मुस्लिम बहनें आशीर्वाद देने निकली हैं, कहीं मोदी को भी तो नहीं हो गया 'सियासी बयार' का अहसास!
मुस्लिम बहनें आशीर्वाद देने निकली हैं, कहीं मोदी को भी तो नहीं हो गया सियासी बयार का अहसास!
UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए सुबह सात बजे से मतदान जारी है। इस बीच पीएम ( PM Nrendra Modi ) , सीएम ( CM Yogi Adityanath ) और अखिलेश ( Akhilesh Yadav ) के बयानों से कई तरह की सियासी बातें पुख्ता होती नजर आने लगी हैं। इनमें पहली बात यह है कि सीएम आदित्यनाथ योगी ने 80-20 को लेकर सफाई पेश की। दूसरी बात ये कि पीएम मोदी ने कानपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि मुस्लिम बहनें आज मन बनाकर घर से आशीर्वाद देने निकली हैं। तीसरी बात ये कि अखिलेश यादव ने कहा कि सीएम योगी के चेहरे पर अभी से 12 बज गए हैं। लेकिन तीनों के मायने अलग-अलग हैं, पर तीनों के संकेत एक जैसे हैं, इस बार बदलाव होने वाला है।
तो क्या यह मान लें कि तीनों राजनेताओं को सियासी हवाओं को रुख क्या है, इस बात को सात चरणों वाले चुनाव के दूसरे चरण में ही अभाव हो गया है। ये बात अलग है कि सभी नेता अपनी पार्टी के हितों के लिहाज को ध्यान में रखते हुए बयान दें रहे हैं। ताकि सातवें चरण तक कार्यकर्ताओं का मनोबल न टूटे। सही मायने में कार्यकर्ताओं का मनोबल एक ऐसा कारक जिसके दम पर राजनीतिक दल सत्ता तक पहुंच बना पाते हैं।
अगर हम पहले सपा कार्यकर्ताओं की बात करें तो उनके लिए सातवें चरण तक मैदान में डटे पहले चरण की तरह जरूरी है। ताकि वो ताजा संकेतों के मुताबिक सत्ता की दहलीज तक पहुंच सकें। अगर वो आगे के चरणों में ढीले पर गए तो अभी तक के दो चरणों का मजा किरकिरा हो सकता है। वहीं भाजपा ( BJP ) की बात करें तो उनके लिए अंतिम चरण तक मजबूती से डटे रहना अब मजबूरी है। ऐसा इसलिए कि पहले दो चरण में भाजपा के पक्ष में कहीं से कोई संकेत राहत के नहीं मिले हैं। जन साधारण में यह आम धारना है कि दो चरणों में 113 सीटों पर भाजपा बहुत पीछे छूट गई हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा के लिए कमबैक करना कार्यकर्ताओं के मनोबल पर ही निर्भर करता है।
फिलहाल, हम बात करते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) की। आज यानि सोमवार को कानपुर रैली को संबोधित करते हुए उन्हें मुस्लिम बहनें क्यों याद आई गई? भाजपा के लोग तो कहते हैं कि मुस्लिम मतदाता ( Muslim Voters ) उन्हें वोट नहीं करते, न ही हम उनके वोट के भरोसे चुनावी मैदान में उतरते हैं। तो फिर पीएम मोदी ने क्यों कहा कि मुस्लिम बहनें आज अपने घर से मन बनाकर निकली हैं। वो भी भाजपा को आशीर्वाद देने। मतलब साफ है, भाजपा को लगने लगा है कि वोट चाहे कहीं से मिले, उसे हासिल करना जरूरी है। ऐसा इसलिए कि भाजपा ( BJP ) की नैया डगमगाने लगी है। ऐसे में तिनके का सहारा भी नैया पार लगाने वाला साबित हो सकता है। साफ है, पीएम मोदी ने यही सोचकर आज अपनी मुस्लिम बहनों को याद किया है। फिर, मोदी और शाह के लिहाज से इसमें कोई बुराई भी नहीं हैं, ऐसा इसलिए कि दोनों का व्यक्तित्व स्रूड राजनेताओं वाली है। यानि सख्त सियासी मिजाज के नेताओं वाली। ऐसे में, वोट कहीं से भी उसे लपक लेना पहली शर्त होती हैं
लेकिन, यूपी में इस बार सियासी बयार कह रही है कि इस बार ऐसा होने वाला नहीं है। पश्चिम बंगाल की तरह यूपी में भी मुस्लिम मतदाताओं का रुझान सपा की ओर है। ऐसा यूपी में पहली बार नहीं हो रहा है। ऐसा कई बार इससे पहले भी हो चुका है। जब भी सपा या बसपा की सरकार यूपी में 1990 के बाद बनी, उसके पीछे मुस्लिम मतदाताओं का रुझान ही अहम कारक रहा। जब मुस्लिम मतदाओं ( Muslim Voters ) ने सपा को वोट किया तो मुलायम सिंह और अखिलेश सीएम बने, जिस बार उन्होंने बसपा के पक्ष में मतदान किया तो मायावती प्रदेश की सीएम बनीं।
मुस्लिम मतदाताओं की बात छोड़ भी दें तो यूपी के मतदाता इस बार भाजपा से कई मसले पर नाराज चल रहे हैं। इनमें किसान आंदोलन से उपजा असंतोष, युवाओं में बेरोजगारी, महंगाई की मार, भाजपा द्वारा किए गए वादों का पूरा न होना और कोरोना महामारी जैसे कारक अहम माने जा रहे हैं। इसके अलावे भी कई ऐसे कारण हैं जिसकी वजह से भाजपा से लोग नाराज हैं। न तो पीएम मोदी की लोकप्रियता काम कर रही है, न सीएम योगी की सख्त मिजाज वाले सीएम की छवि। यही वजह है कि सियासी माहौल इस बात के संकेत अभी से देने लगे हैं कि यूपी में परिवर्तन की लहर है और भाजपा सरकार जा रही है।
UP Election 2022 : इस बार केवल मुस्लिम ही नहीं जाट मतदाताओं का रुख भी क्या है, इसे बताने की जरूरत नहीं है। सपा के हौसले यूं ही बुलंद नहीं हैं। फिर दलित मतदाताओं का एक खास तबका भी इस बार सपा को समर्थन देने का मन बना चुका है। अखिलेश यादव ब्राह्मण वोट बैंक में परशुराम जयंती और मंदिर बनाकर पहले ही सेंध लगा चुके हैं। यही वो तबका है जो मोदी—योगी सरकार से नाराज भी है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यूपी में बदलाव की बयार है।