ODF घोषित गांव की महिला शौच करने गयी खेत में, अचानक हुई डिलीवरी और नवजात को उठा ले गए जानवर
जनज्वार, आगरा। 23 जून को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर काशी और गोरक्ष प्रांत की वर्चुअल जनसंवाद रैली में योगी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कह रहे थे कि पूरे हिदुस्तान में उत्तर प्रदेश एक नंबर पर विराजमान है। स्वच्छता अभियान की योजनाओं के क्रियान्वयन में भी उत्तर प्रदेश ने कीर्तिमान स्थापित किया है और शौचालय निर्माण में भी पहले स्थान पर है। वहीं हकीकत में शौचालय के अभाव में खुले में शौच करने गयी एक गर्भवती महिला को जंगल में ही डिलीवरी हो गयी और उसके बच्चे को जंगली जानवर उठाकर ले गये।
नेताजी 23 जून को स्वच्छ और यूपी के शौचालय के मामले में नंबर वन प्रदेश होने का दावा कर रहे थे, और उसी रात को शौचालय के अभाव में आगरा की एक गर्भवती महिला चंबल के जंगल में शौच करने गयी और वहीं प्रसव हो गया, उसके बच्चे को जंगली जानवर खा गये।
ओपन डिफेक्शन फ्री यूपी का दावा करने वाले नेताओं-प्रशासकों से इतर हकीकत में हकीकत क्या है, ये उनसे पूछिये जो भुक्तभोगी हैं। शौचालय के बिना खुले में शौच करने गयी उस गर्भवती महिला से पूछिये जिसकी अचानक वहीं पर डिलीवरी हो गयी और उसके नवजात कलेजे के टुकड़े को जंगली जानवर उठाकर ले गया।
यह घटना आगरा जनपद के पिनाहट थाना क्षेत्र की है। जिस जोधापुरा गांव की यह घटना है इसे सरकार द्वारा ओडीएफ यानी ओपन डिफेक्शन फ्री गांव घोषित किया हुआ है, मगर आंकड़ों से दूर शौचालय के अभाव में खुले में शौच के लिए गई गर्भवती महिला को अचानक तेज प्रसव पीड़ा हुई और दर्द इतना बढ़ गया कि महिला का वहीं खुले में प्रसव हो गया। वो बेहोश होकर वहीं गिर पड़ी। इसी बीच खुले में महिला के नवजात बच्चे को जंगली जानवर खींचकर ले गये और उसे अपना निवाला बना लिया।
बाह एसडीएम अब्दुल बासित जो इस मामले की जांच भी कर रहे हैं, उनसे जनज्वार ने इस घटना के बारे में पूछा तो वो कहते हैं, गर्भवती महिला शिल्पी रात को किसी को बिना बताये शौच के लिए निकली थी, जहां उसका प्रसव हो गया। वो बेहोश हो गयी तो पता नहीं चला कि बच्चा कहां गया।'
ओडीएफ गांव घोषित होने के बावजूद महिला को खुले में शौच के लिए क्यों जाना पड़ा? के जवाब में एसडीएम अब्दुल बासित कहते हैं, 'यह कुल 12 घरों का मजरा हैं, जिनमें से 11 घरों में शौचालय बना हुआ है, सिर्फ पीड़िता के पति यानी सुनील चौधरी के घर शौचालय नहीं है। सुनील पहले अपने पिता के पास पिनहट में रहते थे, शादी होने के बाद यहां आकर एक छोटा सा मकान बनाकर रहने लगे। इनके सारे डॉक्यूमेंट आधार वगैरह पिनहट कस्बे के हैं, जब ब्लॉक वाले इनके पास गये और कहा कि आप अपने सारे डॉक्यूमेंट गांव के बना लीजिये तो ये नहीं बनवा पाये, जिस कारण इनके घर शौचालय नहीं बन पाया। जब तक उसके डॉक्यूमेंट में एड्रेस नहीं बदल जायेगा, आखिर ब्लॉक वाले शौचालय कैसे बनवा देंगे।'
ऐसे में चचिहा को ओडीएफ कैसे घोषित किया? पर एसडीएम कहते हैं, 'इस बारे में ब्लॉक वाले बता सकते हैं, मगर जहां तक सुनील चौधरी के घर शौचालय न बनने की बात है उसने अपनी तरफ से कोई प्रयास नहीं किये, इस बारे में मेरी बीडीओ, ब्लॉक स्तर पर अन्य अधिकारियों से बात हुई थी। सुनील एक बार अपना एड्रेस बदलने की प्रकिया शुरू कर दें, उसके बाद ब्लॉक वाले उनके घर शौचालय निर्माण करवा देंगे।'
वहीं इस संबंध में जनज्वार की पिनहट एसओ केपी सिंह बताते हैं, 'यह घटना बिल्कुल सही है। सुनील कुमार की पत्नी शिल्पी चौहान 8 महीने की गर्भवती थी, शौच के लिए वह 23 जून की रात 8 बजे बीहड़ में शौच के लिए गयी थी। जब काफी देर तक वह घर नहीं लौटी तो परिजन चिंतित हुए और उसे ढूंढ़ने के लिए गये। वहां उन्हें वह बेहोशी की हालत में मिली। क्योंकि वह लगभग 2 घंटे तक वहां बेहोश पड़ी रही तो हो सकता है कि बच्चे को कोई जंगली जानवर उठाकर ले गया हो। हमें इस घटना की जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली तो मैं खुद उनके घर गया था। हमारे पास इस बारे में किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई है और अब इस मामले की जांच एसडीएम बाह कर रहे हैं।'
पीड़ित शिल्पी के साथ घटित इस घटना के बाद ग्रामीणों में जबर्दस्त आक्रोश है। ग्रामीण इस मामले में कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ग्राम प्रधान के खिलाफ भी ग्रामीणों में गुस्सा भरा हुआ है।
पीड़ित महिला के परिजनों का कहना है कि जब काफी देर तक वह घर नहीं पहुंची तो उन्हें चिंता हुई और महिला का भाई ढूंढ़ते हुए जंगल के किनारे पहुंचा तो देखा महिला का प्रसव हो चुका है, मगर बच्चा वहां पर मौजूद नहीं है। बेहोशी की हालत में परिजन महिला को घर ले आये।
जन्म के बाद अपने नवजात को एक नजर देखने से भी वंचित रही पीड़िता के पति सुनील चौहान कहते हैं, ग्राम पंचायत चचिहा ओडीएफ घोषित हो गई है, मगर आज तक उनके यहां शौचालय नहीं बनाया गया। कई बार ग्राम प्रधान से कहा गया, फिर भी शौचालय नहीं बनाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि इस ग्राम पंचायत में अधिकतर ग्रामीणों के घर शौचालय का निर्माण नहीं किया गया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान ने अपने चहेतों के यहां ही शौचालय बनवाये हैं, जिसके चलते आज भी गाँव की महिलायें खुले में शौच को मजबूर हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि बिना जांच के ग्राम पंचायत को आखिर ओडीएफ घोषित कैसे कर दिया गया।