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सिक्योरिटी

भीमा कोरेगांव हिंसा में आरोपित रोना विल्सन, गौतम नवलखा समेत 10 कैदी करेंगे स्टेन स्वामी की मौत के खिलाफ अनशन

Janjwar Desk
7 July 2021 4:16 AM GMT
भीमा कोरेगांव हिंसा में आरोपित रोना विल्सन, गौतम नवलखा समेत 10 कैदी करेंगे स्टेन स्वामी की मौत के खिलाफ अनशन
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(भीमा कोरेगांव हिंसा के लिए आरोपित जेल में बंद रोना विल्सन, गौतम नवलखा और अन्य ने कहा फादर स्टेन स्वामी की मौत एक सोची-समझी साजिश)

फादर स्टेन स्वामी के हिरासत में मौत से दुखी भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में तलोजा जेल में बंद 10 कैदी करेंगे एक दिवसीय अनशन, स्टेन स्वामी की मौत के लिए ठहराया एनआईए और जेल के पूर्व अधीक्षक को जिम्मेदार...

जनज्वार ब्यूरो। सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की हिरासत में निधन से लोगों में गुस्सा है। सरकार औऱ जांच एजेंसियों के प्रति रोष है। उनके निधन को लेकर मंगलवार 6 जुलाई को देश के कई शहरों में प्रदर्शन हुए, वहीं नबी मुंबई के तलोजा जेल में भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कैद 10 आरोपी बुधवार 7 जुलाई को एक दिन का अनशन कर रहे हैं। इन आरोपियों का कहना है कि फादर स्वामी की मौत एक सोची-समझी साजिश है। और इसके लिए एनआईए और तलोजा जेल के पूर्व अधीक्षक कौस्तुभ कुर्लेकर को जिम्मेदार बताया है।

भीमा कोरेगांव हिंसा के 10 आरोपी कैदियों का अनशन

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में तलोजा जेल में बंद 10 आरोपी 7 जुलाई को एकदिवसीय अनशन पर हैं। जेल में बंद आरोपियों के परिवारवालों के अनुसार, अनशन का निर्णय रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, सुधीर धवले, महेश राउत, अरुण फरेरा, वर्नोन गोंसाल्वेस, गौतम नवलखा, आनंद तेलतुम्बडे, रमेश गायचोर और सागर गोरखे ने लिया था। हालाँकि वे सभी आरोपी अलग-अलग बैरक में बंद हैं, लेकिन वे मंगलवार 6 जुलाई को एक-दूसरे से मिले और उन्होंने फादर स्टेन स्वामी को लेकर अपनी यादें साझा कीं। उन्होंने स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि देते हुए दो मिनट का मौन भी रखा।

आरोपियों द्वारा जारी एक बयान में, कहा गया कि फादर स्टेन स्वामी की मौत एक बहुत ही सोची समझी साजिश थी और उनलोगों ने फादर की मौत के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और तलोजा जेल के पूर्व अधीक्षक कौस्तुभ कुर्लेकर को दोषी ठहराया हैं। उनके बयान में कहा गया है, "एनआईए और पूर्व जेल अधीक्षक कुर्लेकर द्वारा फादर स्टेन को प्रताड़ित किया गया था और उन्हें परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ा गया था। चाहे वह फादर स्टेन के साथ अमानवीय व्यवहार हो या जेजे अस्पताल से तलोजा जेल में उनका जबरदस्ती स्थानांतरण। "

जेल में बंद आरोपियों ने कहा कि ये घटनाएं संस्थागत हत्या है और इसलिए एनआईए अधिकारियों और पूर्व जेल अधीक्षक कुर्लेकर को आरोपित किया जाना चाहिए. उनलोगों ने सख्त कार्रवाई औऱ दंड दिये जाने की मांग की। साथ ही फादर स्वामी की मौत की न्यायिक जांच की भी मांग की है। इन मांगों को सभी आरोपी बुधवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास भेजेंगे। बता दें कि मामले में तीनों महिला आरोपी सुधा भारद्वाज, शोमा सेन और ज्योति जगताप भायखला जेल में बंद हैं।

तलोजा जेल में थे फादर स्टेन स्वामी

महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी फादर स्टेन स्वामी की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में थी। उनपर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाकर गिरफ्तार किया गया था। बता दें कि महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को दलित समुदाय का एक कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, इस दौरान पथराव, तोड़फोड़ और गाड़ियों में आगजनी भी हुई थी। इस हिंसा के दौरान एक शख्स की मौत हुई थी और पुलिस को हालात पर काबू पाने के लिए आंसू गैस और लाठी चार्ज भी करना पड़ा।

जांच के दौरान ये बात सामने आय़ी कि कार्यक्रम के दौरान कथित भड़काऊ भाषण दिए गए जो हिंसा की वजह बने। फादर स्टेन स्वामी भी एल्गार परिषद से जुड़े थे और उनपर कथित तौर पर भड़काने का आरोप लगा था। 8 अक्टूबर 2020 को एनआईए ने उन्हें रांची स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर लिया।उनके खिलाफ UAPA (Unlawful Activities (Prevention) Act) यानि गैर-कानूनी गतिविधयां (रोकथाम) अधिनियम के तहत भी केस दर्ज किया गया था। इस मामले में एल्गार परिषद से जुड़े कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने कहा- हम दुखी और परेशान है

सामाजिक कार्यकर्ता और आदिवासी-दलितों के हित की बात करने वाले फादर स्टेन स्वामी के निधन पर पूरे देश से प्रतिक्रियाएं मिली। वहीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार (UN Human Rights) ने भी फादर स्टेन स्वामी के निधन पर दुख जताया।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने ट्वीट किया कि हम 84 साल के मानवाधिकार के रक्षक फादर स्टेन स्वामी के हिरासत में निधन पर दुखी और परेशान हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार ने अपने ट्वीट में सवाल उठाया कि कोविड-19 को देखते हुए कई देशों ने जेल में बंद कैदियों को रिहा किया। लेकिन फादर स्टेन के साथ ऐसा नहीं हुआ।

देश भर में प्रदर्शन

84 साल के सामाजिक औऱ मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी की कस्टडी में हुए मौत को उनके समर्थकों ने हिरासत में हुई हत्या करार दिया है। उनके निधन से लोगों में रोष है, सरकार और एनआईए की कार्यशैली के प्रति गुस्सा है। स्टेन स्वामी के निधन के बाद मंगलवार को बिहार-झारखंड समेत देश के कई राज्यों में प्रदर्शन हुए। बिहार के पटना, गया समेत कई शहरों में प्रदर्शन हुए। वही रांची में भी कार्यकर्ताओं ने इसे मौत नहीं न्यायिक हत्या बताया।

इसके साथ ही चंडीगढ़ और पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में भी लोगों ने सड़क पर उतर कर स्टेन स्वामी के निधन पर सरकार को घेरा और दिवंगत फादर स्टेन स्वामी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

उल्लेखनीय है कि तलोजा जेल में रहते हुए स्टेन स्वामी की तबीयत बिगड़ने लगी थी। तब उनकी तरफ से एनआईए कोर्ट में जमानत की अर्जी दी गई, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। फिर 26 अप्रैल को स्वामी ने बॉम्बे हाईकोर्ट में मेडिकल बेल की याचिका लगाई थी। मेडिकल रिपोर्ट पेश होने के बाद उन्हें पहले सरकारी अस्पताल में और बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी। वो कोरोना के संक्रमण से भी उबर गए थे। लेकिन 4 जुलाई की सुबह कार्डिएक अरेस्ट के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। अस्पताल के मुताबिक, 5 जुलाई दोपहर करीब डेढ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

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