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दिहाड़ी मजदूरों के बाद आत्महत्या करने वालों में सर्वाधिक घरेलू महिलायें, तीसरे नंबर पर बेरोजगारों ने दी जान

Janjwar Desk
10 Sep 2020 5:43 AM GMT
दिहाड़ी मजदूरों के बाद आत्महत्या करने वालों में सर्वाधिक घरेलू महिलायें, तीसरे नंबर पर बेरोजगारों ने दी जान
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file photo

देश में आत्महत्या करने वाले पुरुषों की संख्या ऐसा करने वाली महिलाओं से दोगुनी से भी अधिक है। पुरुषों में सबसे अधिक दिहाड़ी श्रमिक व कारोबारी आत्महत्या करते हैं। बैंककरप्सी व कर्ज के कारण भी बड़ी संख्या में लोग जान दे रहे हैं...

जनज्वार। राष्ट्रीय अपराध नियंत्रण ब्यूरो द्वारा हाल में 2019 के लिए जारी किए गए आत्महत्या के इस आंकड़े इस मायने में चौंकाने वाले हैं कि ऐसा करने वाले सबसे अधिक दिहाड़ी श्रमिक व कारोबारी हैं। बैंक करप्सी व कर्ज के बोझ के कारण ही आत्महत्या करने वाला का प्रतिशत कुल आत्महत्या के मामले में 4.2 है।

एनसीबी के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की। इसमें पुरुषों की संख्या 97,613 है, जबकि महिलाओं की संख्या 41,493 है। पुरुष वर्ग में सबसे अधिक 29,092 लोगों ने आत्महत्या की। वहीं, स्वरोजगार यानी अपना बिजनेस व छोटे कारोबार करने वाले 14, 319 लोगों ने आत्महत्या की। पुरुष वर्ग में बेरोजगारों की आत्महत्या के मामलों की हिस्सेदारी तीसरे नंबर पर है। इस वर्ष 11,599 बेरोजगारों ने आत्महत्या की।

बैंक करप्सी व कर्ज नहीं चुका जाने की वजह से भी उत्पन्न मानसिक तनाव के कारण देश में आत्महत्या की बड़ी संख्या में घटनाएं घटित हो रही हैं। ऐसा करने वालों का प्रतिशत 4.2 है यानी ऐसा करने वालों की संख्या कुल 1.39 लाख में 5200 से अधिक है।

महिलाओं की बात करें तो उनमें आत्महत्या करने वाली घरेलू महिलाओं की संख्या अधिक है। 2019 में कुल 41,493 महिलाओं ने आत्महत्या की। इसमें घरेलू महिलाओं की संख्या 21,359 है। दूसरे नंबर पर पढाई करने वाली लड़कियां हैं। इस वर्ष 4,772 महिलाओं ने आत्महत्या की। महिलाओं ने आत्महत्या करने वालों में तीसरे नंबर पर मजदूर हैं। इनकी संख्या 3467 है।

एनसीआरबी पेश व उनके कार्यक्षेत्र के अनुसार, नौ श्रेणियों में लोगों को बांटकर आत्महत्या के मामलों का अध्ययन करता है। ये श्रेणियां हैं: दिहाड़ी श्रमिक, घरेलू महिला, स्वरोजगारी, बेरोजगार, प्रोफेशनल व सेलरी पाने वाला वर्ग, कृषि क्षेत्र में काम कर रहे लोग, छात्र, सेवानिव्त्त लोग और अन्य पेशों में काम कर रहे लोग।

2019 के आंकड़ों के अनुसार, कुल आत्महत्या के मामलों में 23.4 प्रतिशत हिस्सेदारी दिहाड़ी श्रमिकों की थी और घरेलू महिलाओं का प्रतिशत 15.4 था। स्वरोजगार करने वाले लोगों प्रतिशत 11.6 था और कुल आत्हत्या करने वालों में 10.1 प्रतिशत ऐसे लोग थे जो बेरोजगार थे। प्रोफेशनल व सेलरी पाने वाले लोगों का प्रतिशत 9.1 था।

कृषि क्षेत्र में रोजगार पा रहे लोगों व छात्रों के द्वारा आत्महत्या करने का प्रतिशत कुल बराबर रहा है। दोनों का प्रतिशत 7.4 रहा है। रिटायर्ड लोगों का प्रतिशत 0.9 है जबकि अन्य पेशे के लोगों का प्रतिशत 14.7 प्रतिशत है।

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