मोदीराज में डॉलर के मुकाबले रुपया गिरने का बन रहा नया रिकार्ड-बढ़ रहा अरबपतियों का मुनाफा, अंधभक्तों की नजर में सब चंगा !
मोदी सरकार के 8 साल के राज में 4 कराेड़ से ज्यादा लोगों के नाम काटे गये राशन कार्ड से, आधार से जुड़ने पर हटाये गये ये नाम
डूबती अर्थव्यवस्था का जश्न कैसे मना रहा है हमारा देश बता रहे हैं महेंद्र पांडेय
Despite tall claims of poverty eradication by PM Modi, the poor remain the poor but ultra-rich are thriving at fast pace. हाल में ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा है कि वैश्विक मंदी या दूसरे कारणों से भी भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई खतरा नहीं है। यहाँ अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत तंत्र है और मैक्रोईकनामिक्स का आधार व्यापक है।
प्रधानमंत्री मोदी भी लगातार अर्थव्यवस्था पर अपनी पीठ थपथपाते हैं और जनता को पाँच खरब डॉलर वाली अर्थव्यवस्था और पाँचवीं से तीसरे स्थान पर जाती सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का ख्वाब दिखाते हैं। इन सबके बीच जनता महंगाई से बेहाल है, शेयर बाजार रोज धराशाई हो रहा है, महंगाई इंडेक्स रिकार्ड स्तर पर पहुँच रहा है और डॉलर के मुकाबले रुपया गिरने का नया रिकार्ड स्थापित हो रहा है। इन सबके बीच अरबपतियों का मुनाफा बढ़ता जा रहा है, फिर भी मोदी सरकार और अंधभक्तों की नजर में सब चंगा है।
पिछले एक महीने से भी अधिक समय से एम अमेरिकी डॉलर की मभारतीय रुपये में कीमत 84 रुपये से अधिक बनी हुई है। फिलहाल यह 84.5 रुपये के लगभग है। प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी के शब्दों में जब रुपये की कीमत गिरती है तब देश की इज्जत भी गिरती है। अब अमृत काल के स्वर्णिम अध्याय में विकसित भारत का राग अलापते और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का ख्वाब देखते देश में रुपया गिरना वैश्विक महाशक्ति का प्रतीक बन गया है।
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स भी अक्टूबर 2024 में 196.80 पॉइंट्स के रिकार्ड स्तर तक पहुँच गया, पर सत्ता और अंधभक्तों की नजर में कहीं महंगाई नहीं है। सितंबर 2024 में यह इंडेक्स 194.20 पॉइंट्स पर था। वर्ष 2011 से 2024 के बीच कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स का औसत 138.29 रहा – न्यूनतम फरवरी 2011 में 86.81 पॉइंट्स और अधिकतम अक्टूबर 2024 में 196.80 पॉइंट्स रहा। यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि मनमोहन सिंह सरकार के समय महंगाई के मुद्दे पर सड़कों पर उतरने वाली जनता अब कई गुना अधिक महंगाई पर भी शांत है, यही नहीं अधिकतर लोग तो अब बाकायदा प्रचार भी करने लगे हैं कि महंगाई से ही विकास आता है।
मोदी सरकार ने कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स को काबू करने के लिए इसका आधार वर्ष भी बदल कर 2012 कर दिया, आंकड़ों की बाजीगरी भी दिखाई, पर महंगाई चारों तरफ नजर आ रही है। खाद्य मुद्रास्फीति 10.87 प्रतिशत के रिकार्ड स्तर तक पहुँच चुकी है, जबकि खुदरा मुद्रास्फीति 6.21 प्रतिशत है, जो पिछले 14 महीनों में सर्वाधिक है। खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर 2024 में 5.5 प्रतिशत ही थी।
इन सबके बीच शेयर मार्केट रोजाना रिकार्ड गहराईयां छू रहा है। देश पर कर्ज का बोझ एक नए रिकार्ड स्तर तक पहुँच गया है। देश में वर्ष 2024 में कुल 334 अरबपति हैं, जिनकी सम्मिलित संपत्ति का मूल्य 159 लाख करोड़ रुपये है, यह राशि देश के सकल घरेलू उत्पाद के आधे से भी अधिक है। देश के अरबपतियों की संख्या किस कदर बढ़ रही है इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2014 में इनकी संख्या महज 109 थी और वर्ष 2023 में इनकी संख्या 259 थी।
सत्ता भले ही सबके विकास का नारा लगाती हो, पर तथ्य यह है कि वर्ष 2023 में भी 81 करोड़ लोगों को सरकार मुफ़्त अनाज दे रही थी, और वर्ष 2024 में भी मुफ़्त अनाज वालों की संख्या वही है। सरकार जितने किसानों को 500 रुपये महीने वर्ष 2023 में दे रही थी, वर्ष 2024 में भी संख्या वही है। जाहिर है तमाम दावों और पोस्टरों के बाद भी देश में गरीबों की संख्या जस की तस है, जबकि अरबपतियों की संख्या एक वर्ष के भीतर ही 259 से 334 तक पहुँच गई। यही, प्रधानमंत्री मोदी का अमृत काल के स्वर्णिम अध्याय का आर्थिक विकास है।