Gujrat Chunav 2022 : पहले चरण में कम वोटिंग ने बिगाड़ा खेल, अब दूसरे चरण पर सबकी नजर
Gujrat Chunav 2022 : कम वोटिंग से सकते में भाजपा नेतृत्व, जानें क्यों?
गुजरात में पहले चरण में मतदान के बाद बदले सियासी रुझानों पर धीरेंद्र मिश्र का विश्लेषण
Gujrat Chunav 2022 : गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 19 जिलों की 89 सीटों पर एक दिसंबर को मतदान ( First phase Voting ) संपन्न हो गया। इसी के साथ 788 प्रत्याशियों की किस्मत भी ईवीएम ( EVM ) में कैद हो गई। ताजा अपडेट के मुताबिक पहले चरण में 63.14 फीसदी मतदान का अनुमान है। 2017 में इन्हीं सीटों पर 68.38 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया था। मतदान कम होना भाजपा ( BJP ) के लिए शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है।
मतदान कम होना चिंता का विषय क्यों?
पिछले चुनाव यानि 2017 की तुलना में इस बार सवा पांच फीसदी मतदान पहले चरण में कम ( less voting ) हुआ। बताया जा रहा है कि शहरी क्षेत्रों ( Urban ) की तुलना में ग्रामीण ( rural ) क्षेत्रों में औसतन मतदान का प्रतिशत ज्यादा रहा है। इतना ही नहीं इस बार पिछले 10 साल की सबसे कम वोटिंग हुई है। पहले चरण में ग्रामीण और आदिवासी वोटरों ने बड़ी संख्या में मतदान किया जबकि शहरी वोटर्स ने इतना जोश नहीं दिखाया। पाटीदार बहुल क्षेत्र में कम मतदान और आदिवासी-ओबीसी बहुल सीटों पर ज्यादा मतदान कैंडिडेट ही नहीं बल्कि राजनीतिक दलों को भी असमंजस में डाल दिया है। चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक जामनगर जिले के धराफा, नर्मदा जिले के सामोट और भरूच जिले के केसर गांव ने इस बार पूरी तरह से चुनाव का बहिष्कार किया है।
2017 में BJP को 15 सीटों का हुआ था नुकसान
पहले चरण में 89 सीटों पर मतदान कम होना और ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान का प्रतिशत ज्यादा होना भाजपा को चिंता में डालने वाला है। ऐसा इसलिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस की पकड़ अच्छी है। फिर जिन क्षेत्रों में एक दिसंबर को मतदान हुए हैं, उन क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति भाजपा ( BJP ) की तुलना में अच्छी है। 2017 के चुनाव में 2012 की तुलना में करीब 4% कम वोटिंग से भाजपा को इस क्षेत्र में 15 सीटों का नुकसान हुआ था। इस क्षेत्र में पाटीदार, ओबीसी और आदिवासी वोट निर्णायक माने जाते हैं। इन 89 सीटों में 32 पाटीदार बहुल और 16 आदिवासी बहुल सीटें हैं। सिर्फ दो जिलों नर्मदा और तापी में 70% से ज्यादा वोटिंग हुई है। 9 जिलों में वोटिंग 50% से 60% के बीच हुई है। ओवरऑल वोटिंग को देखें तो महानगरों, पाटीदारों के इलाकों में कम, लेकिन आदिवासियों के इलाकों में ज्यादा वोटिंग हुई है। 2017 के मुकाबले एक भी जिले में ज्यादा वोटिंग नहीं हुई है। शहरी क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है लेकिन शहरों में भी 11% वोटिंग कम हुई है। दरअसल, इस बार तीसरी ताकत आम आदमी पार्टी के आने से भी भाजपा-कांग्रेस की सीटें घट-बढ़ सकती हैं। मोरबी केबल ब्रिज हादसे के बाद चर्चा में आए मोरबी में 67.65% वोट पड़े हैं। यहां 2017 में 73.66% और 2012 में 74.9% वोटिंग हुई थी।
वोटिंग बढ़ने पर भाजपा की सीटों में हुई थी बढ़ोतरी
अगर हम 2007 विधानसभा चुनाव की बात करें तो 61 प्रतिशत मतदान होने पर भाजपा के झोली में 89 में से 61 सीटें आई। थी। कांग्रेस के खाते में 24 और चार अन्य के खाते में गई थीे 2012 में मतदान प्रतिशत 61 से 72.37 फीसदी होने पर भाजपा की सीटों 61 से बढ़कर 63 हो गई थी। कांग्रेस को 24 के बदले 22 तो चार अन्य के खाते में गई थी। इसी तरह 2017 मतदान प्रतिशत 72.37 से घटकर 68.38 रहने पर भाजपा की सीटें 63 से 48 पर आकर सिमट गई थी। वहीं कांग्रेस 22 से बढ़कर 38 पर पहुंच गई। तीन सीटें अन्य के खाते में गई थी। अगर इस रुझान को सही मानें तो इस बार पांच फीसदी से ज्यादा मतदान कम हुआ है। ऐसे में भाजपा की सीटें पहले से कम होने का अनुमान लगाना मुनासिब ही माना जाएगा।
89 सीटों पर औसतन 63% वोटिंग
गुजरात में पहले चरण के लिए कच्छ, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात की कुल 89 सीटों पर 63.14 फीसदी वोट पड़े। ताप्ती जिले में सबसे ज्यादा 72.32 फीसदी मतदान हुआ। चुनाव आयोग के मुताबिक तापी जिले में शाम 5 बजे तक सबसे अधिक 72.32 फीसदी वोटिंग हुई जबकि 68.09 फीसदी वोटिंग के साथ नर्मदा दूसरे नंबर पर और 64.84 फीसदी के साथ डांग तीसरे नंबर पर रहा है।
ऐसा रहा मतदान का प्रतिशत
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक अमरेली में 52.93, भरूच में 63.28, भावनगर में 57.81, बोटाद में 57.15, डांग में 64.84, देवभूमि द्वारका 59.11, गिर सोमनाथ 60.46, जामनगर में 53.98, जूनागढ़ में 56.95, कच्छ में 54.91, मोरबी में 67.60, नर्मदा में 68.09, नवसारी में 65.91, पोरबंदर में 53.84, राजकोट में 50.48, सूरत में 57.83, सुरेंद्र नगर में 60.71, तापी 72.32 और वलसाड में 65.24 फीसदी वोट पड़े।
सौराष्ट्र-कच्छ में घटा मतदान
सौराष्ट्र-कच्छ क्षेत्र के 12 जिलों की 54 सीटों पर इस बार 58 फीसदी मतदान हुआ है जबकि 2017 में 65 फीसदी मतदान हुआ था। वहीं, दक्षिण गुजरात की बात करें तो सात जिलों की 35 सीटों पर 66 फीसदी मतदान हुआ है जबकि 2017 में 70 फीसदी मतदान हुआ था। यानि सौराष्ट्र-कच्छ के इलाके की सीटों पर पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में 7 फीसदी कम वोटिंग रही जबकि दक्षिण गुजरात की सीटों पर 4 फीसदी कम मतदान हुआ। सौराष्ट्र-कच्छ के 12 जिलों में सिर्फ मोरबी में ही 54 फीसदी वोट पड़े हैं जबकि अन्य जिलों में 50 फीसदी से भी कम वोटिंग हुई है।
2017 विधानसभा चुनाव के नजरिए से देखें तो पहले चरण की सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था। सौराष्ट्र-कच्छ इलाके में भाजपा पर कांग्रेस भारी पड़ी थी। जबकि दक्षिण गुजरात में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था। पहले चरण की जिन 89 सीटों पर चुनाव हुए हैं। उन पर 2017 के चुनाव में बीजेपी 48 सीटें जीती थीं तो कांग्रेस 38, बीटीपी 2 और एनसीपी को एक सीट मिली थी। 2012 के चुनावी नतीजे को देखें तो 89 सीटों में से भाजपा को 63, कांग्रेस 22 और अन्य को चार सीटें मिली थीं इस तरह से कांग्रेस को फायदा और बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था।
2017 में कांग्रेस ने 89 में से 38 सीटों पर लगभग 42 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी। भाजपा ने 49 फीसदी वोट शेयर के साथ 48 सीटों पर कब्जा जमाया था। हालांकि, 2012 के चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच का अंतर बहुत बड़ा था। तब बीजेपी 48 प्रतिशत की तुलना में कांग्रेस ( Congress ) से 10 प्रतिशत ज्यादा वोट मिले थे। वोट फीसदी का असर सीटों पर भी दिखा था, लेकिन 2017 में कांग्रेस को 10 फीसदी वोट का इजाफा हुआ था। 2019 लोकसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी ने 89 में से 85 सीटों पर करीब 62 प्रतिशत वोट शेयर के साथ बढ़त बनाई थी।
2017 में भाजपा का इन इलाकों में रहा था खराब प्रदर्शन
2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा का सबसे खराब प्रदर्शन सौराष्ट्र के इलाके में रहा था। पहले चरण की 19 जिलों में से भाजपा 7 जिलों में खाता नहीं खोल सकी थी। अमरेली, नर्मदा, डांग्स, तापी, अरावली, मोरबी और गिर सोमनाथ जिले में भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। अमरेली में कुल पांच, गिर सोमनाथ में चार, अरावली और मोरबी में तीन-तीन, नर्मदा और तापी में दो-दो और डांग्स में एक सीट है। इन सभी जगह कांग्रेस को जीत मिली थी। सुरेंद्रनगर, जूनागढ़ और जामनगर में भी कांग्रेस भाजपा से ज्यादा सीटें जीती थी। सुरेंद्रनगर जिले की पांच में से चार, जूनागढ़ जिले की पांच से चार और जामनगर जिले की पांच में से तीन सीटें कांग्रेस जीती थी।
इसके उलट पहले चरण में पोरबंदर इकलौता जिला था जहां पर कांग्रेस का खाता नहीं खुला था। भाजपा यहां की दोनों ही सीटें जीतने में कामयाब रही थी। कच्छ, राजकोट, भावनगर, भरूच, सूरत, नवसारी और बलसाड़ में भाजपा कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही थी। सूरत की 16 में से भाजपा 15 सीटें जीती थी और कांग्रेस को महज एक सीट मिली थी। भाजपा की सत्ता में वापसी में सूरत का सबसे अहम योगदान रहा था।
Gujrat Assembly Election 2022 : इस गुजरात विधानसभा का माहौल अलग है। आप और एआईएमआईएम की एंट्री ने चुनाव को पेचीदा बना दिया है। भाजपा के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी फैक्टर चरम पर है। इसके अलावा मोरबी सहित कुछ ऐसी घटनाएं भी हुई हैं जो भाजपा के अनुकूल नहीं है।माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी ( AAP ) इस बार कांग्रेस ( Congress ) के साथ भाजपा को भी नुकसान पहुंचाने की स्थिति में है। कहने का मतलब है कि भाजपा ( BJP ) के लिए अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए केवल एक दिन का समय शेष है। अगर भाजपा ऐसा कर पाई तो ठीक नहीं तो चुनाव परिणाम चौंकाने वाला हो सकता है।