अहमदाबाद प्लेन क्रेश में लोहा भी पिघला लेकिन श्रीमदभगवद्गीता सुरक्षित, क्या ये है वाकई कोई चमत्कार?

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति से जुड़े तर्कशास्त्री उत्तम जोगदंड की टिप्पणी
Ahmedabad Plane Crash and Bhagwat Geeta : अहमदाबाद में घटित भीषण विमान दुर्घटना में सैकड़ों विमान यात्री तथा कई डॉक्टर्स की मृत्यु पर सारा देश शोक मना रहा है और मृतकों के परिवारजनों के प्रति संवेदना व्यक्त कर रहा है। ऐसे में विविध माध्यमों में यह समाचार प्रसारित हुआ है कि इस विमान हादसे में लोहा भी पिघला, लेकिन श्रीमदभगवद्गीता का एक पन्ना भी नहीं जला। साथ में यह दावा किया जा रहा है कि इतनी भीषण आग में श्रीमदभगवद्गीता का सुरक्षित रहना यह चमत्कार है।
लोगों के श्रीमदभगवद्गीता के प्रति आस्था का सम्मान करते हुए जिस परिस्थिति में और जिस तरीक़े से इस दावे को प्रसारित, बल्कि वायरल किया जा रहा है उसकी व्यावहारिक ज्ञान (कॉमन सेंस) और तर्क के आधार पर जांच करना आवश्यक है। यह इसलिए आवश्यक है की लोगों की आस्था अंधविश्वास में न बदल जाए। तो इस विषय में कुछ मुद्दों पर चर्चा करते हैं।
एक चैनल में प्रसारित समाचार के अनुसार दुर्घटनास्थल पर उपस्थित चैनल की संवाददाता हाथ में श्रीमदभगवद्गीता लेकर खड़े एक व्यक्ति से गदगद होकर और गीता को प्रणाम करते हुए पूछ रही हैं कि क्या ये (गीता) किसी पैसेंजर की हो सकती है? तब वह व्यक्ति कहते हैं, 'मे बी हो सकता है, ये हम नहीं बता सकते...' इसका अर्थ ये है कि यह गीता उस दुर्घटनाग्रस्त एआई171 विमान के किसी यात्री की ही है। इस बात का कोई भी पुख्ता सबूत ही उपलब्ध नहीं है। वह व्यक्ति स्वयं भी यह दावा आत्मविश्वास के साथ नहीं करता कि गीता किसी विमान यात्री की ही है। ऐसी स्थिति में इस चमत्कार के दावे नींव ही खोखली बन जाती है।
दावा किया जाता है कि यह गीता दुर्घटनाग्रस्त विमान के मलबे में मिल गयी, लेकिन इसका भी कोई प्रमाण अब तक उपलब्ध नहीं है या उस बात की पुष्टि करने वाला वीडियो चित्रण भी अब तक उपलब्ध नहीं है। प्रसारित वीडियो में केवल यह दिखाया गया है कि वह व्यक्ति गीता को हाथ में लिए कैमरे के सामने खड़े होकर बाइट दे रहे हैं। जब गीता विमान के मलबे से ही मिली इस दावे की पुष्टि नहीं हो पा रही है, तब शायद यह भी कहा जा सकता है कि बाद में संबंधित व्यक्ति द्वारा या उस के किसी मित्र द्वारा यह ग्रंथ वहाँ लाया गया और फिर दावा किया गया कि वह मलबे से ही मिला। और यह भी हो सकता है कि दुर्घटनास्थल पर, जो एक होस्टल है, पहले से ही वह गीता उपलब्ध थी और बाद में उस पर विमान का मलबा आकर गिर गया।
अगर यह ग्रंथ उस दुर्घटनाग्रस्त विमान में था तो वह किसी न किसी के हाथ में होगा या किसी के बैग में रखा होगा। तो वह ग्रंथ जिसका था वह यात्री कौन है? वह कहाँ है? उस का इस हादसे में क्या हुआ? वह अगर बच नहीं गया तो इसका मतलब यह होता है गीता को साथ में ले जाने के बाद भी उस की जान चली गयी।
जो व्यक्ति गीता को हाथ में लिए चैनल को बाइट दे रहे हैं, उनका परिचय क्या है? क्या वे जाँच दल के प्रतिनिधि हैं? सामान्यतः ऐसे हादसे के परिसर में जाँच दल के कर्मचारियों के अलावा अन्य लोगों को प्रवेश वर्जित होता है। अगर ये शख़्स जाँच दल के प्रतिनिधि नहीं है, तो उन्हें वहाँ उपस्थित रहने की अनुमति किसने दी? अगर इस दुर्घटना की जाँच में इस तरह कोई भी ऐरा गैरा भाग ले रहा है, मलबे में से प्राप्त वस्तुओं को कैमरे के सामने प्रदर्शित करके बाइट दे रहा है, तो साफ है कि यह जाँच गंभीरतापूर्वक नहीं हो रही है। मलबे का आवश्यक भाग, पुर्जा कोई भी ले जा सकता है या कोई नई चीज मलबे में डाल सकता है, जिस कारण जाँच दोषपूर्ण हो सकती है और जाँच का मूल उद्देश्य ही असफल हो सकता है। इसके अलावा मृतकों के मलबे में फँसे बहुमूल्य वस्तुओं को चुराया भी जा सकता है।
अगर इस व्यक्ति को जाँच में शामिल होने के लिए विशेष अनुमति दी गयी थी तो क्या इस व्यक्ति द्वारा गीता को जाँच टिम के मुखिया को सौंप देना आवश्यक नहीं? बाद में गीता को अपने कब्जे में लेकर जाँच टिम के कप्तान उसे मीडिया के सामने प्रस्तुत करने के बारे में निर्णय ले सकते थे।
प्रदर्शित गीता का निरीक्षण करने पर पता चलता है कि उस का मुखपृष्ठ और उसके बाद वाले एक दो पन्ने कुछ फटे हुए हैं। मुखपृष्ठ पर जलने के या कालिख के कोई निशान साफ साफ नहीं दिखाई देते। अत्यधिक तापमान के कारण चमकीले मुखपृष्ठ पर बुलबुले आ जाने चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं देता। गीता बंद करने पर पन्नों की बाहरी परत का हिस्सा कुछ फीका काला सा दिखाई दे रहा है। उस व्यक्ति के हैंड ग्लोव्ज भी साफ—सुथरे लग रहे हैं। इससे यह प्रतीत होता है कि यह ग्रंथ उस विस्फोट/आग में झुलसा हुआ है ही नहीं। अतः इसकी फोरेंसिक जाँच भी की जानी चाहिए।
इससे पहले अन्य देशों में कई चर्च में लगी आग में बाइबल और किसी अन्य जगह लगी आग में कुरान ग्रंथ भी जले नहीं, ऐसे समाचार प्रसारित हुए हैं। गीता, बाइबल या कुरान इन में दो समान बातें हैं, (1) तीनों धार्मिक ग्रंथ हैं (2) तीनों कागज से बनी हुई बाईंडिंग की हुई किताबें हैं। धार्मिक लोगों ने तो इसे चमत्कार ही कहा था, लेकिन तर्कशास्त्रियों ने अपने निरीक्षण के बाद यह निष्कर्ष निकाला था कि आग में किसी भी किताब का ऊपरी हिस्सा कुछ हद तक जल सकता है, लेकिन अंदरूनी हिस्से/पन्नों तक ऑक्सीजन न पहुँच पाने के कारण वह जलते नहीं। इसमें कोई भी चमत्कार नहीं है।
ठीक उसी प्रकार यद्यपि चर्चा के लिए यह मान लिया जाये कि श्रीमदभगवद्गीता ग्रंथ विमान के अंदर था, तो उसका भी न जलना कोई चमत्कार नहीं बल्कि वह साधारण बात है। गीता, बाइबल या कुरान या रिचर्ड डौकिंस की ‘द गॉड डिल्युजन’ किताब हो, कोई प्रसिद्ध उपन्यास हो, अगर आग की चपेट में आ गए तो इन किताबों पर आग का लगभग समान असर पड़ेगा। ‘द गॉड डिल्युजन’ नास्तिकता विषय पर आधारित पुस्तक है इसलिए वह ज्यादा जलेगी, उपन्यास कम जलेंगे और गीता, बाइबल, कुरान धार्मिक ग्रंथ है इसलिए जलेंगे ही नहीं, यह वैज्ञानिक कसौटियों के अनुसार असंभव है।
अहमदाबाद विमान दुर्घटना में सुरक्षित रही गीता का चमत्कार कह कर जो उदात्तीकरण किया जा रहा है, उसका विरोध इसलिए किया जाना चाहिए कि;
—सैकड़ों लोगों की मौत के मातम में जब सारा देश डूबा हुआ है तब गीता के महात्म्य का प्रसार करने हेतु इस घटना का उपयोग करना मृतक और उन के रिश्तेदारों के प्रति असंवेदनशीलता दर्शाता है तथा देश के इस महत्वपूर्ण प्रश्न को दोयम ठहराता है।
—चमत्कार का दावा निरीक्षण, तर्क और विज्ञान की कसौटी पर खरा नहीं उतरता।
—बार बार यह दावा किया जाता है कि गीता एक जीवन मूल्य दर्शाने वाला ग्रंथ है। फिर उसे महान साबित करने के लिए चमत्कार के साथ जोड़ने की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही है? अतः यह गीता के पब्लिसिटी का स्टंट महसूस होता है जो पूर्ण रूप से अनावश्यक है। इससे गीता के सामाजिक धार्मिक मूल्यों का अवमूल्यन होकर या उन्हें अनदेखा करके लोगों द्वारा उसे एक चमत्कारी ग्रंथ माना जाएगा और ग्रंथ की पुजा शुरू होगी।
—एक साधारण घटना को चमत्कार के रूप में पेश करने पर भोले, धार्मिक लोग इसे सचमुच का चमत्कार मान कर अंधविश्वासी हो सकते हैं।
इस प्रकार के समाचार जब देश के बाहर जाते हैं और माध्यम क्रांति के कारण दुनिया में वायरल हो जाते हैं तब हमारे देश, धर्म, लोगों के बारे में अन्य देशों के लोगों की धारणा में बदलाव आ जाता है और देश, धर्म की प्रतिमा पर बुरा असर पड़ सकता है। जब देश की अधिकांश जनता तो गीता को उनका महान धार्मिक ग्रंथ मानती है, तब उसकी महानता और अधिक सिद्ध करने के लिए चमत्कार जैसे मार्ग अपनाने की क्या जरूरत है? इस पर सभी संबन्धित लोगों द्वारा विचार किया जाना चाहिए।