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दुनिया

टर्की-आर्मोनिया टकराव : 50 हजार लोगों की मौत के बाद फिर नए सिरे से तनाव बढने की आशंका

Janjwar Desk
30 Sep 2020 7:17 AM GMT
टर्की-आर्मोनिया टकराव : 50 हजार लोगों की मौत के बाद फिर नए सिरे से तनाव बढने की आशंका
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File Photo.

सवाल उठता है यदि टर्की ने अर्मेनियन फाइटर प्लेन पर निशाना साधा है तो वह इससे मुकर क्यूँ रहा है और यदि टर्की में ऐसा कुछ नहीं किया है तो फिर आर्मेनिया फर्जी आरोप क्यों लगा रहा है?

जनज्वार। टर्की ने मार गिराया है आर्मेनिया का फाइटर प्लेन। ऐसा दावा आर्मेनिया ने किया है जबकि टर्की ने इस तरह की किसी भी कार्रवाई से या इस तरह की कार्रवाई में अपनी संलिप्तता से पूरी तरह इनकार किया है। ज्ञात रहे थे अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच जमीन के एक टुकड़े को लेकर बहुत पुराना विवाद है और वह विवाद अब काफी तूल पकड़ चुका है। पिछले दिनों आर्मेनिया ने अजरबैजान के कुछ टैंक और फाइटर प्लेन उड़ा दिए थे। जिसके बाद से दोनों देशों ने बाकायदा युद्ध घोषित कर रखा है, अब तक दोनों तरफ के 50 से अधिक नागरिक मारे जा चुके हैं।


टर्की के मुकरने की वजह?

सवाल उठता है यदि टर्की ने अर्मेनियन फाइटर प्लेन पर निशाना साधा है तो वह इससे मुकर क्यूँ रहा है और यदि टर्की में ऐसा कुछ नहीं किया है तो फिर आर्मेनिया फर्जी आरोप क्यों लगा रहा है? इसका सीधा-सा जवाब यह है कि एक तरफ टर्की नाटो ट्रीटी का हिस्सा है वहीं दूसरी तरफ अर्मेनिया रशियन लीड csto (collective treaty organisation) संगठन का हिस्सा है। जिस तरह नाटो का आर्टिकल 5 कहता है कि नाटो के तहत आने वाले देश पर यदि कोई हमला करता है तो सारे देश मिलकर उसका मुकाबला करेंगे उसी तरह csto में भी प्रावधान है । कहने का तात्पर्य है कि यदि तुर्की खुलेआम अजरबैजान की मदद करता है या उसकी तरफ से आर्मेनिया पर हमला करता है तो संधि के तहत रशिया को भी ट्रीटी के तहत आर्मेनिया की मदद के लिए आना पड़ेगा। यदि रशिया आर्मेनिया की तरफ से टर्की पर हमला करता है तो ट्रीटी से बंधे नाटो देशों को भी टर्की की मदद के लिए जंग में उतरना पड़ेगा और यदि ऐसा होता है तृतीय विश्व युद्ध की शुरुआत होगी। कालांतर में भी जो 2-2 विशुद्ध हुए हैं उनकी शुरुआत इसी तरह हुई थी जब एक ही देश में कई-कई देशों से एक ही तरह की ट्रीटी साइन कर रखी थी, कोई किसी की मदद के लिए आया कोई किसी की मदद के लिए आया और नतीजा भयंकर युद्ध और भीषण नरसंहार हुआ।


विश्व युद्ध की बात एक आशंका मात्र है, परंतु यदि अभी तक देखा जाए तो रशिया का स्टैंड हमेशा काफी नपा तुला और संयमित रहा है। रशिया ने बड़े संयम से बयान दिया कि हम मामले को समझ रहे हैं देख रहे हैं, इस घटना के पहले भी रशिया ने अज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच सुलह समझौते की बात कही थी। रही बात रशिया के इस जंग में उतरने की तो मुझे याद है सीरिया के बॉर्डर पर टर्की ने लगभग 2 साल पहले भी सीधे रशिया के दो फाइटर एयरक्राफ्ट मार गिराए थे, इसमें पायलट भी मारे गए थे परंतु व्लादिमार पुतिन और कर एर्दोगान ने बीच का रास्ता निकाल लिया और किसी भी संभावित जंग को टाल दिया। बात यदि रशिया और टर्की की करें तो इन दोनों के बीच में अमेरिका के विरुद्ध गजब की सहमति है परंतु इसके विपरीत लीबिया से लेकर सीरिया तक, यूक्रेन से लेकर अर्मेनिया तक यह दोनों एक-दूसरे से टकराते रहे हैं। देखने वाली बात यह होगी कि यह टकराव का चरम है या इसके बाद भी टर्की और रशिया मिल बैठकर मामले को सुलझा लेंगे ।

(नोट : अभी यह तय नहीं है कि टर्की ने सच में आर्मेनिया पर हमला किया है या आर्मेनिया सीएसटीओ कंट्रीज को युद्ध में घसीटने के लिए तथा टर्की एवं अजरबैजान पर दबाव बनाने के लिए यह आरोप लगा रहा है।)

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