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दुनिया

बाल श्रम खत्म करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष बने - कैलाश सत्यार्थी

Janjwar Desk
23 Sep 2021 8:33 AM GMT
बाल श्रम खत्म करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष बने - कैलाश सत्यार्थी
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('फेयर शेयर टू इंड चाइल्ड लेबर- सरवाइवर्स एंड लीडर्स ऑन सोशल प्रोटेक्शन' ऑनलाइन अंतर्राष्‍ट्रीय परिसंवाद का आयोजन)

Kailash Satyarthi : जाने-माने बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्‍यार्थी (Kailash Satyarthi) ने कहा, 'वैश्विक नेताओं में यह कहने का नैतिक साहस होना चाहिए कि हां, हम अपने बच्‍चों के लिए कुछ भी करने में असमर्थ रहे हैं और हम उसके लिए जिम्‍मेदार हैं....

नई दिल्ली। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) द्वारा संस्थापित संगठन 'लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन' द्वारा आयोजित अंतर्राष्‍ट्रीय परिसंवाद 'फेयर शेयर टू इंड चाइल्ड लेबर-सरवाइवर्स एंड लीडर्स ऑन सोशल प्रोटेक्शन' में वैश्विक नेताओं ने कोविड-19 महामारी के दौरान पूरी दुनिया में बाल मजदूरी और बच्चों के शोषण बढ़ने पर गंभीर चिंता जाहिर की।

वैश्विक नेताओं (Global Leaders) ने एक सुर में कहा कि हमें दुनियाभर के वंचित और हाशिए के बच्चों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी और विश्व समुदाय को गरीबी दूर करने के लिए तत्काल कारगर कदम उठाने होंगे। इस अतंर्राष्ट्रीय परिसंवाद में गरीब देशों के वंचित और हाशिए के बच्चों को संसाधनों का उचित हिस्सा (फेयर शेयर) देने और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक 'वैश्विक सामाजिक सुरक्षा कोष' स्थापित करने की भी मांग की गई।

परिसंवाद में आए महत्‍वपूर्ण सलाहों को कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) 28 सितम्‍बर 2021 को गरीबी उन्मूलन के लिए नौकरियों और सामाजिक सुरक्षा पर दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों की होने वाली बैठक में रखेंगे। यह बैठक संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस द्वारा अंतर्राष्‍ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के साथ मिलकर आयोजित की जा रही है। जिसमें कोविड-19 (Covid 19) के दौरान और उसके बाद दुनिया के विकास के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता के लिए की जाने वाली पहल पर बातचीत होगी।

'लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन' द्वारा 'फेयर शेयर टू इंड चाइल्ड लेबर- सरवाइवर्स एंड लीडर्स ऑन सोशल प्रोटेक्शन' नामक इस ऑनलाइन अंतर्राष्‍ट्रीय परिसंवाद का आयोजन अंतर्राष्‍ट्रीय श्रम संगठन (ILO) एवं स्‍वीडन सरकार और नार्वे के विदेश मंत्रालय ने संयुक्‍त रूप से किया। इसमें आईएलओ के महानिदेशक गाई राइडर, स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफन लोफवेन, नार्वे के अंतर्राष्ट्रीय विकास मंत्री डाग इंगे उलस्टीन, नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्‍यार्थी, तिमोर लेस्ते के पूर्व राष्ट्रपति और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता जोस रामोस होर्ता ने हिस्सा लिया।

इसके अलावा जर्मनी के फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ लेबर एंड सोशल अफेयर के परमानेंट स्टेट सेकेट्री बीजॉन बोहनिंग, प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और संयुक्त राष्ट्र संघ के सस्टेनेबल डेवलपमेंट सल्युसन्स नेटवर्क के अध्यक्ष जैफरी सैक्स, यूनेस्को की असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल (शिक्षा) स्टेफेनिया जियाननी, प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता और राबर्ट एफ कैनेडी ह्यूमन राइट्स की अध्यक्ष कैरी कैनेडी, वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ सुसाना जकब और इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन के महासचिव मार्टिन चुंगोंग सहित दुनिया के करीब दो दर्जन वैश्विक नेताओं ने भी हिस्सा लिया।

परिसंवाद को तमाम देशों के युवा और छात्र नेताओं सहित पूर्व बाल मजदूरों (Child Labours) ने भी संबोधित किया। यह अतंर्राष्ट्रीय परिसंवाद ऐसे समय पर आयोजित किया गया, जब न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली चल रही है। इस मौके पर इस अंतर्राष्ट्रीय मंच से संयुक्त राष्ट्र संघ के जनरल असेंबली में शामिल होने वाले तमाम देशों के नेताओं से अपील की गई की वे बच्चों की सामाजिक सुरक्षा के लिए फौरन नीतियां और कार्यक्रम बनाएं।

इस अवसर पर दो दशकों में पहली बार बाल श्रमिकों की संख्‍या में अभूतपूर्व वृद्धि पर विचार किया गया। मौजूदा हालात और प्रगति को देखते हुए सन 2025 तक बाल श्रम के सभी रूपों को खत्‍म करने की विश्व समुदाय (World Community) की प्रतिबद्धता पर जो एक बड़ा़ सवाल खड़ा हुआ है, उस पर भी गंभीर चिंता व्‍यक्‍त की गई।

उल्‍लेखनीय है कि इन संकटों ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्‍यों (SDG) को 2030 तक प्राप्‍त करने में भी एक चुनौती पैदा कर दी है। इन संकटों से निपटने के लिए लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्‍ड्रेन की ओर से अंतर्राष्‍ट्रीय नेताओं और मुक्‍त बाल श्रमिकों द्वारा बच्चों की सामाजिक सुरक्षा (Social Security) की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पर पुरजोर दबाव डाला गया। इस अवसर पर वैश्विक वक्‍ताओं ने एक ओर जहां समाज के सबसे हाशिए पर रहने वाले बच्‍चों के लिए सामाजिक सुरक्षा निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि की मांग की, वहीं दूसरी ओर उन्‍होंने कम आय वाले देशों के लिए एक वैश्विक सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना पर भी बल दिया।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए स्‍वीडन के प्रधानमंत्री स्‍टीफन लोफवेन ने शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा पर जोर दिया। स्‍टीफन लोफवेन ने कहा, 'स्‍कूल के खाली डेस्‍क का मतलब है कि बच्‍चे बाल मजदूरी कर रहे होंगे। बाल श्रम को समाप्‍त करने के लिए जरूरी है कि बच्‍चे स्‍कूल में हों और वयस्‍कों को हम ऐसी सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें जो उन्‍हें अच्‍छे वातावरण में काम करने के लिए प्रेरित करें। हमें गरीबों को फोकस करना चाहिए। स्‍वीडन अंतर्राष्‍ट्रीय सहायता के लिए आगे भी महत्‍वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता रहेगा। हमें सप्‍लाई चेन से बाल श्रम को समाप्‍त करने के लिए काम करना होगा।'

वहीं अंतर्राष्‍ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाई राइडर ने भी सामाजिक सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'हम बच्चों और उनके परिवारों के लिए पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान करके ही आगे बढ़ सकते हैं। जिसका हम अतीत में प्रावधान करने में अक्षम रहे।'

दुनिया में बढ़ती समानता और बाल श्रम की समस्या पर ध्यान आकर्षित करते हुए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्‍मानित जाने-माने बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्‍यार्थी (Kailash Satyarthi) ने कहा, 'वैश्विक नेताओं में यह कहने का नैतिक साहस होना चाहिए कि हां, हम अपने बच्‍चों के लिए कुछ भी करने में असमर्थ रहे हैं और हम उसके लिए जिम्‍मेदार हैं। कोई तो इसकी जिममेदारी ले कि एक ओर जहां दुनिया की संपत्ति में 10 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का इजाफा हो गया हो, वहीं दूसरी ओर 10 हजार बच्‍चे प्रति दिन बाल मजदूरी (Child Labour) और गुलामी (Slavery) के दलदल में धकेले जा रहे हैं। हम मुक्‍त बाल मजदूर, छात्र, नोबेल पुरस्‍कार विजेता, ट्रेड यूनियन बच्‍चों के लिए दरवाजे खटखटाते रहेंगे। यह हमारे बच्चों के लिए 'सामाजिक सुरक्षा का वैश्‍वीकरण' करने का समय है।'

गौरतलब है कि दुनियाभर में लगभग तीन चौथाई बच्चे और कम आय वाले देशों में नब्बे प्रतिशत बच्चे बगैर किसी सामाजिक सुरक्षा के जीने को अभिशप्‍त हैं। अंतर्राष्ट्रीय सहायता में सामाजिक सुरक्षा के लिए दी जाने वाली राशि में अत्यधिक कमी है। परिसंवाद में इस ओर ध्यान आकर्षित करते हुए संयुक्त राष्ट्र सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशंस नेटवर्क के अध्यक्ष और प्रसिद्ध अर्थशात्री जेफरी सैक्‍स ने कहा, 'बच्चों की वर्तमान स्थिति दिल दहला देने वाली और घृणित है। बच्चों की शिक्षा के लिए हमें अब वित्तीय संसाधन जुटाने होंगे। अगर वे स्कूल में होंगे, तो बाल श्रम नहीं कर रहे होंगे।'

परिसंवाद में यह बात जोर-शोर से उठी कि बाल श्रम खत्म करने में भी सामाजिक सुरक्षा एक कारगर हथियार है। लेकिन इस पर बहुत कम पैसा खर्च किया जा रहा है। सामाजिक सुरक्षा के लिए विदेशी विकास सहायता के मद में साल 2017 में अमीर देशों की सकल राष्ट्रीय आय का महज 0.0047 प्रतिशत ही दिया गया। जो मामूली है। नार्वे के अंतर्राष्ट्रीय विकास मंत्री डाग-इंगे उलस्टीन ने कहा, 'हमें 2025 तक बाल श्रम को समाप्‍त कर देना है। लेकिन प्रत्‍येक दिन 10 हजार बच्‍चे बाल श्रम करने के लिए मजबूर किए जा रहे हैं और उन्‍हें इससे मुक्‍त करने की कोशिश भी नहीं हो रही है। यह समय है उन्‍हें 'फेयर शेयर' उपलब्‍ध कराने के लिए कदम उठाने का। इसमें सामाजिक सुरक्षा महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।'

इस अवसर पर कम आय वाले देशों (Low Income Country) में सामाजिक सुरक्षा के कार्यों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए वैश्विक सामाजिक सुरक्षा कोष बनाने की मांग की गई। बचपन बचाओ आंदोलन (Bachpan Bachao Andolan) द्वारा मुक्‍त बाल श्रमिक मनन अंसारी कभी झारखंड के अभ्रक खदानों में काम करता था। फिलहाल वह माइक्रो बाइलोजी में एमएससी कर रहा है।

परिसंवाद में शामिल वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए मनन ने भावुक होकर कहा, 'मैं जीवन की आखिरी सांस तक संघर्ष करता रहूंगा कि किसी भी बच्‍चे का बचपन किसी भी हाल में खदानों में दम न तोड़ दे। हम सभी को मिलकर बाल दासता को खत्‍म करने के लिए 'फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन' की मांग करनी चाहिए। हर बच्चे के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।' वहीं झारखंड बाल पंचायत की राज्‍य सचिव और बाल नेता खुशबू शर्मा ने अमीर देशों से अपील की कि उनके पास पर्याप्त धन और संसाधन हैं और वे बच्‍चों के सपनों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।

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