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दुनिया

North Korea : किम जोंग का फरमान, नाम का भाव हो शौर्य और वफादारी, नकरात्मक अर्थ वाले विध्वंसकारी नामों का दिया सुझाव

Janjwar Desk
4 Dec 2022 5:22 PM IST
kim jong un
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(तानाशाह ने हंसने पर लगाई पाबंदी image/socialmedia)

नॉर्थ कोरिया के तानाशाह ने अपने देश के नागरिकों का नाम रखने के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसका उल्लंघन करने वालों को बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

नई दिल्ली। ब्रिटिश नाट्यकार शेक्सपियर भले ही कह गए हों कि नाम में क्या रखा है, गुलाब को किसी भी नाम से पुकारो उसकी खुशबू में कमी नहीं आती, लेकिन उत्तर कोरिया ( North korea ) के राष्ट्रपति किम जोंग-उन ( Kim Jong Un ) इंग्लैंड के इस चर्चित नाटककार से कतई इत्तेफाक नहीं रखते। किम मानते हैं कि नाम ही ऐसे भावों को जन्म देता है, जो समाज के मूल्यों की स्थापना में अपनी विशेष भूमिका निभाता है।

संभवत: अपनी इसी सोच की वजह से नॉर्थ कोरिया ( North Korea ) के सर्वोच्च नेता ने अपने देशवासियों को बच्चों का नामकरण करने के लिए ऐसी एडवाइजरी ( Advisory ) जारी की है, जिसके उल्लंघन पर उन्हें बुरे परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। राष्ट्रपति किम जोंग उन के इस नये फरमान के हिसाब से देश में बच्चों के नाम उनके अभिभावकों को ऐसे रखने होंगे जिनमें प्रेम, सृजन, मधुरता का भाव न हो बल्कि नाम विध्वंस अथवा देश से वफादारी का भाव लिए हुए हों।

अपने नागरिकों का ऐसा नाम चाहते हैं किम

इतना ही नहीं, एक कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने प्रतिबंध के दायरे में आने वाले तथा बढ़ावा देने वाले नामों का भी उल्लेख किया है। प्रतिबंध के दायरे में आने वाले नामों के प्रतीकों में जिन नामों का जिक्र किया गया है, उसमें "ए री (प्यार करने वाला), सो रा (शंख) और सु एमआई (सुपर ब्यूटी) जैसे नाम शामिल हैं। जिन नामों को किम बढ़ावा देना चाहते हैं उनमें चोंग इल (बंदूक), चुंग सिम (वफादारी), पोक इल (बम) जैसे नाम लोगों को सुझाए गए हैं। नए फरमान के इस दायरे में बच्चे ही नहीं बल्कि देश का हर नागरिक आएगा, जिसका मतलब है बड़े पैमाने पर इस देश के लोगों को अपने पुराने नाम बदलने को मजबूर होना पड़ेगा।

अच्छे भाव वाले नाम पश्चिमी संस्कृत के प्रतीक

तानाशाह किम जोंग ( Dictator Kim jong un ) का कहना है कि ऐसे नामों में देशभक्ति का भाव झलकता है। उनका कहना है कि मधुर और कोमल किस्म के नाम दक्षिण कोरियाई शैली के हैं जो अब पाश्चात्य संस्कृति का प्रतीक बनते जा रहे हैं। फरमान के मुताबिक इस साल के अंत में जो नागरिक अपना नाम बदलकर कुछ क्रांतिकारी नहीं रखेंगे वे या तो जुर्माना भुगतेंगे अथवा इससे भी बदतर हालात का सामना करेंगे। डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक एक नागरिक ने रेडियो फ्री एशिया को बताया कि निवासी इस बात की शिकायत कर रहे हैं कि अधिकारी लोगों को अपना नाम बदलने को मजबूर कर रहे हैं।

नाम बदलने के लिए जारी किए जा रहे नोटिस

उत्तर कोरियाई ( North Korea ) निवासियों को लगातार नाम बदलने के लिए नोटिस जारी किए जा रहे हैं। ऐसे लोग जो अपने नाम के अंत को कुछ क्रांतिकारी नहीं कर सके हैं, उन्हें साल के अंत तक का समय दिया गया है। इन्हें अपने नाम के आखिरी में कुछ ऐसा जोड़ना होगा जो राजनीतिक मैसेज दे। कुछ उत्तर कोरियाई लोग सरकार के इस आदेश से खुश नहीं हैं, लेकिन उनके सामने अपने नाम बदलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इन लोगों के पास एक ही विकल्प है, वह अपना नाम अब स्वेच्छा से बदलेंगे या जबरन बदलवाना पसंद करेंगे।

कुछ नागरिकों से इस बात की मांगी इजाजत

तानाशाह के इस फरमान से नारज एक नाराज नागरिक ने कहा है कि मनुष्य अपना नाम कैसे रखें, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। क्या हम एक मशीन हैं? उत्तर कोरिया के लोग मजाक बना रहे हैं कि क्या वह अपने बच्चों का नाम योंग चोल, मैन बोक या सन हुई जैसे पुराने जमाने के नाम देंगे। कुछ लोगों ने यह पूछने का साहस भी जुटाया है कि क्या वह अपने बच्चों को ऐसे नाम दे सकते हैं जो वर्तमान में भुखमरी और उत्पीड़न के युग को दर्शाते हैं।

हालांकि, कुछ लोग किम जोंग के फरमान का मुखर होकर विरोध कर रहे हैं, लेकिन इस देश के इतिहास के देखते हुए उनका यह विरोध किसी मुकाम पर नहीं पहुंचने वाला है। किम जोंग-उन ने अगर शेक्सपियर को गलत साबित करने का मन बना ही लिया है, तो वह कम से कम अपने देश उत्तर कोरिया में तो ऐसा करने में सफल हो जाएंगे। शेष दुनियां की उन्होंने न केवल पहले परवाह की, न आगे करेंगे।

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