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जिन्हें सुनाई थी सजा वे अब पड़ गए हैं जान के पीछे, अफगानिस्तान की महिला जजों में दहशत

Janjwar Desk
4 Sep 2021 2:30 AM GMT
जिन्हें सुनाई थी सजा वे अब पड़ गए हैं जान के पीछे, अफगानिस्तान की महिला जजों में दहशत
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(तालिबानियों को सजा सुनाने वाली अफगानिस्तान की महिला जज दहशत में हैं)

तालिबानी अब इन इन महिला जजों के पीछे इसलिए हाथ धोकर पड़ गए हैं क्योंकि जब वे न्याय की कुर्सी पर बैठी थीं तो उन्होंने उन तालिबानियों को सजा सुनाई थी..

जनज्वार। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वैसे तो आमतौर पर वहां रह रहे हर तबके में खौफ का आलम है लेकिन वहां की महिलाएं ज्यादा खौफ में हैं। खासकर देश की उन महिला जजों, जिन्होंने तालिबान से जुड़े आतंकियों को सजा सुनाई थी, उनके दहशत का तो कोई ठिकाना नहीं। हालांकि इन महिला जजों में से बड़ी संख्या में जज देश छोड़कर विदेशों में जा चुकी हैं लेकिन बहुत सी महिला जज अभी भी अफगानिस्तान में फंसी हुई हैं। तो देश छोड़कर जा चुकी कई महिला जजों के परिजन यहां फंसे हैं।

तालिबानी अब इन इन महिला जजों के पीछे इसलिए हाथ धोकर पड़ गए हैं क्योंकि जब वे न्याय की कुर्सी पर बैठी थीं तो उन्होंने उन तालिबानियों को सजा सुनाई थी। बता दें कि अफगानिस्तान पर कब्जे के साथ ही तालिबान ने वहां की जेलों से सारे कैदियों को रिहा कर दिया था। इनमें बड़ी संख्या वैसे कैदियों की थी, जो तालिबान से जुड़े हुए थे।

खबरों के अनुसार, ऐसी महिला जजों की संख्या 250 बताई जा रही है। असल में तालिबान की सरकार बनने के बाद यहां पर तमाम कैदियों को जेल से रिहा कर दिया गया है। इनमें वे तालिबान लड़ाके भी हैं, जिन्हें इन महिला जजों ने सजा दी थी। इनके जेल से छूटने के बाद महिला जजों को चिंता सताने लगी है कि कहीं वो इन्हें अपना शिकार न बना लें।

अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद से ही बड़ी संख्या में लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं। इनमें महिला जजों की संख्या भी काफी है। कुछ तो पहले ही देश छोड़कर भाग चुकी हैं। वहीं कुछ अभी भी यहां फंसी हुई हैं और यहां से निकलने की जुगत लगा रही हैं। महिला जजों और इन्हें बचाने में लगे एक्टिविस्ट्स ने इस बात की जानकारी दी है। गौरतलब है कि तालिबान ने शासन में आने के बाद से महिलाओं को काम पर जाने से रोक दिया है।

हालांकि, तालिबान ने महिला अधिकारों की रक्षा का दावा किया है, लेकिन इस बारे में अभी कोई कदम नहीं उठाया गया है। इस बात ने वहां पर तमाम कामकाजी महिलाओं को असुरक्षा की भावना से भर दिया है।

अफगानिस्तान में न्याय के क्षेत्र से जुड़ी महिलाएं पहले से ही निशाने पर रही हैं। इसी साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट की दो महिला जजों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अब जबकि देश भर में तमाम अपराधियों को जेल से छोड़ दिया गया है तो न्याय क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं को जिंदगी का खतरा महसूस होने लगा है।

ऐसे ही खतरे का सामना करने के बाद एक अफगान महिला जज ने यूरोप की शरण ले ली है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस महिला जज ने बताया कि करीब चार-पांच तालिबान लड़ाके उनके घर पर आए थे। यहां उन्होंने पूछा कि महिला जज कहां है? यह वो तालिबान लड़ाके थे, जिन्हें मैंने जेल में डाला था। बाद में यह महिला जज एक ग्रुप के साथ यहां से निकलने में कामयाब रही थी।

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