दो साल के कोरोना पॉजिटिव बच्चे की लाश को छोड़कर भागे मां-बाप, 2 दिन इंतजार के बाद वार्डबॉय ने किया अंतिम संस्कार

रिम्स के वार्ड बॉय रंजीत बेदिया ने आगे आकर बच्चे के लाश का अंतिम संस्कार कराने का बीड़ा उठाया, वह मासूम की लाश को अपनी गोद में लेकर एंबुलेंस से घाघरा श्मशान घाट तक पहुंचे और एक बाप का फर्ज अदा किया...

Update: 2021-05-16 15:22 GMT

photo : social media

जनज्वार, रांची। कोरोना की भयावहता के बीच तमाम असंवेदनशील घटनायें भी सामने आ रहे हैं। बच्चे अपने मां-बाप का अंतिम संस्कार तो छोड़िये हॉस्पिटलों से लाश तक घर नहीं ले जा रहे, बुजुर्गों की लाशें तो कई दिनों तक अस्पतालों में पड़ी होने की खबरें सामने आती रहती हैं। अब ऐसी ही मानवता को झकझोर कर रख देने वाली कहानी झारखंड से सामने आयी है। कहते हैं मां-बाप अपने बच्चों को खुद की जान से भी ज्यादा प्यार करते हैं, मगर यहां एक कोविड पॉजिटिव बच्चे के मां—बाप उसकी लाश हॉस्पिटल में छोड़कर भाग गये। मरने के 2 दिन तक जब परिवार से कोई लाश लेने नहीं पहुंचा तो वार्ड बॉय ने बच्चे का अंतिम संस्कार किया।

मीडिया में सामने आयी जानकारी के मुताबिक दो साल के मासूम बच्चे को उसके माता-पिता ने बुखार आने के बाद रांची रिम्स में भर्ती कराया था, जहां जांच के दौरान पता चला कि वह कोरोना पॉजिटिव है। डॉक्टरों ने उसे बचाने की तमाम कोशिशें की, मगर वह अपनी जिंदगी से जंग हार गया। मगर असल घटना उसके मरने के बाद की है, बच्चे को अस्पताल में तो मां—बाप ने भर्ती कराया, मगर मरने के बाद उसे वहीं डॉक्टरों के पास छोड़कर भाग गये। 2 दिन तक अस्पताल में बिट्टू की लाश मां-बाप की राह देखती रही, मगर जब कोई नहीं पहुंचा तो वार्डबॉय ने उसे मिट्टी दी।

मां-बाप के होते हुए 2 साल के मासूम की अंत्येष्टि अनाथों की तरह हुयी। मां-बाप बनकर उसके अंतिम संस्कार के सारे क्रिया कर्म रिम्स के वार्ड बॉय रोहित बेदिया ने निभाये।

अस्पताल से सामने आयी जानकारी के मुताबिक दो साल के बिट्टू कुमार को उसके माता-पिता ने 11 मई को रिम्स में भर्ती कराया था। रिम्स में हुए रजिस्ट्रेशन के आधार पर बच्चे के पिता का नाम सिकंदर यादव है, जिसमें पता नैयाडीह, चकाई, जमुई, बिहार लिखा हुआ है। बच्चे को रिम्स के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया था। बच्चे का इलाज कर रहे डॉक्टर अभिषेक रंजन ने मीडिया को बताया बच्च को परिजनों ने यह बताकर भर्ती कराया था कि बच्चे ने छुहाड़े की गुठली खा ली है। मगर जब हमने उपचार शुरू किया तो कुछ शक हुआ, तब बिट्टू क परिजनों ने यह कहकर झूठ का सहारा लिया कि इसे तभी से बुखार भी बना हुआ है।

डॉक्टर को जब परिजनों का झूठ पता चला तो बच्चे का चेस्ट एक्सरे किया गया, जिसमें कोरोना से हुआ इंफेक्शन साफ नजर आ रहा था। रिपोर्ट में कोविड पॉजिटिव पाया गया, मगर बिट्टू की हालत लगातार खराब होती जा रही थी। हालत बिगड़ने के बाद बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया, मगर उसके बाद बच्चे के माता-पिता गायब हो गये। डॉ अभिषेक के मुताबिक उन्होंने बच्चे की जान बचाने के लिए इन्क्यूबेशन तक किया, लेकिन वह बच नहीं पाया। 12 मई को उसने दुनिया को अलविदा कह दिया।

अस्पताल प्रशासन के मुताबिक बच्चे की मौत के बाद रजिस्ट्रेशन में दिए गए मां-बाप के फोन नंबर पर कई बार संपर्क करने की कोशिश की गयी, मगर कोई जवाब नहीं मिला। जब किसी ने फोन उठाया भी तो कहा गया कि यह गलत नंबर है। उसके बाद भी अस्पताल प्रशासन 2 दिन तक मासूम के मां-बाप का इंतजार करते रहे कि वो उसकी मिट्टी लेकर जायेंगे और उसका अंतिम संस्कार करेंगे।

जब 2 दिन तक अस्पताल में कोई भी नहीं पहुंचा तो रिम्स के कर्मचारियों ने बच्चे की लाश का अंतिम संस्कार घाघरा घाट पर किया। रिम्स के वार्ड बॉय रंजीत बेदिया ने आगे आकर बच्चे के लाश का अंतिम संस्कार कराने का बीड़ा उठाया। वह मासूम की लाश को अपनी गोद में लेकर एंबुलेंस से घाघरा श्मशान घाट तक पहुंचे और एक बाप का फर्ज अदा किया।

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