'इंडस्ट्रीज को ऑक्सीजन दी जा रही, अगर लोग ही नहीं बचेंगे तो प्रोडक्ट इस्तेमाल कौन करेगा?' दिल्ली HC ने की सख्त टिप्पणी

दिल्ली सरकार ने कहा कि पिछले 10 दिनों से दिल्ली में दवाइयों की कमी है,ये किसी से छिपा नहीं है, डॉक्टर लोगों को दवाई लिख रहे है और मरीज के तीमारदार उनको लेने के लिए एक जगह से दूसरी जगह भाग रहे हैं....

Update: 2021-04-21 10:43 GMT

प्रतीकात्मक फोटो

जनज्वार डेस्क। कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने ऑक्सीजन का संकट खड़ा कर दिया है। राजधानी दिल्ली समेत कई शहरों में ऑक्सीजन की किल्लत हो रही है। इसको लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि जल्द ही और ऑक्सीजन मुहैया कराया जाएगा। केंद्र के मुताबिक ऑक्सीजन के औद्योगिक इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। घरेलू इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की बिक्री के चलते अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है। कुछ राज्यों में ऑक्सीजन के वाजिब इस्तेमाल पर काम हो रहा है।

कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा इंडस्ट्रीज को ऑक्सीजन दी जा रही है, पेट्रोलियम या कुछ बनाने के लिए ,अगर लोग ही नहीं बचगे,तो फ़िर इंडस्ट्रीज के बनाए प्रोडक्ट इस्तेमाल कौन करेगा? देश में हर रोज लाखों लोग करोना से संक्रमित हो रहे हैं। मान लीजिए 2 करोड़ से ऊपर लोग संक्रमित हो गए तो सोचिए कि कितने लोगों की मौत होगी। ऐसे में क्या इंडस्ट्रीज को ऑक्सीजन मिलनी चाहिए या कोरोना के मरीजों को?

केंद्र की तरफ से कहा गया कि अगर किसी शख्स की पल्स ऑक्स 95 प्रतिशत है और एहतियात के तौर पर उसे ऑक्सीजन दिया जा रहा है तो यह ऑक्सीजन की बर्बादी है। केंद्र ने बताया कि आज शाम पांच बजे स्वास्थ्य सचिव राज्यों के अधिकारियों के संग मीटिंग करेंगे और ऑक्सीजन के सही इस्तेमाल के बारे में जानकारी देंगे।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाईकोर्ट को बताया कि 162 टीएसए प्लांट लगाए गए हैं। 202 करोड़ की लागत का भुगतान केंद्र ने उठाया है। अस्पतालों में सेंट्रलाइज्ड पाइपलाइन की व्यवस्था की जानी थी। दिसंबर के बाद से प्लांट लगाने के लिए काम किया जा रहा था लेकिन जनवरी, फरवरी में कोरोना के मामले कम होने के बाद काम भी धीरे हो गया।

दिल्ली के लिए आठ टीएसए प्लांट आवंटित किए गए हैं। अबतक 6 साइट ही तैयार किए गए हैं। दो प्लांट के लिए साइट की तैयारी तक नहीं हुई है। अप्रैल के अंत तक बाबा साहब अंबेडकर अस्पातल के लिए मशीनरी दे दी जाएगी। बुराड़ी अस्पताल प्लांट भी शुरू हो गया है।

इस पर कोर्ट ने कहा कि आपके कहने के मतलब है कि 6 प्लांट को साइट की मंजूरी मिल गई है। इनमें से कितने चालू हैं? इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि केवल एक प्लांट ही सक्रिय है। 2/3 को सक्रिय किया जा रहा है। एक प्लांट सक्रिय है और दो के लिए अभी साइट तक तय नहीं हुई है। राजा हरिश्चंद्र हॉस्पिटल कैंपस नरेला, वीवीएमसी और सफदरजंग अस्पताल- केंद्रीय अस्पताल के लिए साइट अनफिट पाई गई थी। नई साइट की तलाश की जा रही है।

इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि कौन सी इंडस्ट्री है जो साइड प्रोडक्ट के तौर पर ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकती हैं? क्या आपने उनसे ऑक्सीजन बनाने के लिए कहा? इस पर स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि स्टील इंडस्ट्री ऐसा कर सकती है. स्टील सचिव हाई पावर कमेटी की मीटिंग का हिस्सा हैं।

केंद्र के स्वास्थ्य विभाग ने कोर्ट को कहा कि एम्स के डायरेक्टर समेत कुछ एक्सपर्ट डॉक्टर्स के मुताबिक कोरोना के 100 मरीजों में से 80 फ़ीसदी को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती है।17 मोडरेट कैटेगरी में आते है जो नॉन आईसीयू बेड पर होते है, केवल 3 फ़ीसदी को ही ऑक्सीजन की जरूरत होती है। दिल्ली को फिलहाल 200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है जबकि दिल्ली को 328 मीट्रिक टन ऑक्सीजन एलोकेट की गई है।

दिल्ली सरकार ने कहा कि पिछले 10 दिनों से दिल्ली में दवाइयों की कमी है,ये किसी से छिपा नहीं है। डॉक्टर लोगों को दवाई लिख रहे है और मरीज के तीमारदार उनको लेने के लिए एक जगह से दूसरी जगह भाग रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर डॉक्टर ने कोई दवाई लिखी है और वो मरीज को नहीं मिल पा रही है,तो ये हमारा काम है कि वो समस्या क्यों है और कैसे दूर होगी। कोर्ट ने कहा कि अगर लोगों को दवाई नहीं मिलेगी तो लोगों के हाथों में खून देखने को मिल सकता है।

कोर्ट की तरफ से दिल्ली सरकार को कल 12 बजे तक हलफनामा दाख़िल करने का आदेश दिया गया है। कल कोर्ट फिर सुनवाई करेगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को कोविड बेड दिल्ली सरकार को देने का निर्देश भी दिया है। 1432 बेड फिलहाल अलग अलग अस्पतालों में दिल्ली में केंद्र के पास मौजूद हैं।

कोर्ट ने कहा कि कोरोना के मरीज नवंबर की तुलना में 4 गुना बढ़ गए है। इसलिए उन मरीज़ो के इलाज को वरीयता मिले। केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से भी वेंटिलेटर की जरूरत के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा है। जीएनटीसीडी की मांग के मुताबिक 763 वेंटिलेटर्स मुहैया कराए गए हैं।

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