कोरोना को लेकर RSS कार्यकर्ताओं को 'सूअर' कहने पर मुस्लिम युवक को जेल, तो तब्लीगियों को 'जाहिल सूअर' बताने पर बबीता फोगाट बाहर क्यों?

आरएसएस के जबलपुर ऑफिस में कोरोना संकमण के मामले सामने आने के 12 घंटों के बाद जबलपुर के जियाउल हक ने आरएसएस के कार्यकर्ताओं को 'सूअर' कहा था...

Update: 2020-07-23 08:26 GMT

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में तब्लीगी जमात के निजामुद्दीन केंद्र में जब कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आए थे, तब मीडिया अपनी खबरों से पूरे देश में उन्माद फैलाने की कोशिश करता नजर आ रहा था। इसी दौरान रेसलर से भाजपा नेता बनी बबीता फोगाट ने तब्लीगी जमात को 'जाहिर सूअर' बताते हुए ट्वीट किया था। उनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई थी लेकिन लेकिन अब जब मध्यप्रदेश के एक मुस्लिम युवक ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय में कोरोना के मामले सामने आने के बाद ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल किया तो पुलिस ने उसे धार्मिक घृणा को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए जेल में बंद कर दिया।

'द वायर' की रिपोर्ट के मुताबिक जबलपुर जिले के मंसूराबाद गोहलपुर निवासी युवक जिया उल हक बी.फार्मा अंतरिम वर्ष का छात्र है। उसके खिलाफ 20 जुलाई को जबलपुर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 295 (ए) ('जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों के तहत, किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करके उसके धर्म या धार्मिक विश्वासों' का अपमान करना) और 505 ('सार्वजनिक दुराचरण के लिए बयान') मुकदमा दर्ज किया।

जिया उल हक ने एक फेसबुक में आरएसएस के लोगों को सूअर कहा था। आरएसएस भारतीय जनता पार्टी का मातृसंगठन है जिनकी पार्टी की मध्यप्रदेश में सरकार है और केंद्र में भी सरकार है।

19 जुलाई को संघ के जबलपुर कार्यालय में कोरोना के पॉजिटिव मामले सामने आने की खबर के 12 घंटे बाद जिलाउल हक ने एनएसयूआई ग्रुप जबलपुर फेसबुक पेज पर संघ पर कटाक्ष किया था। एनएसयूआई कांग्रेस पार्टी का छात्र संगठन है।


जिया उल हक ने एक स्थानीय टीवी समाचार चैनल से समाचार का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए लिखा था, आज हमारे शहर में 12 सुअर कोरोना संक्रमित पाए गए। बंद करो इन सुअरों का कार्यालय, पूरे देश में कोरोना फैला रहा है।

उनकी इस फेसबुक पोस्ट से गुस्साए आरएसएस कार्यकर्ता और दक्षिणपंथी हिंदू धर्म सेना के सदस्यों ने अगले दिन जबलपुर छावनी पुलिस स्टेशन में मामले की सूचना दी। हिंदू धर्म सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष नीरज राजपूत की शिकायत पर जबलपुर पुलिस ने जिया उल हक के खिलाफ एक वर्ग विशेष की धार्मिक मान्यताओं का अपमान करने का मामला दर्ज किया।

दिलचस्प बात यह है कि भले ही नीरज राजपूत का यह आरोप है कि मुस्लिम युवाओं ने आरएसएस और उसके सदस्यों की छवि खराब की है। पुलिस ने आईपीसी की धारा 295 (ए) के तहत एक वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों को जानबूझकर अपमानित करने का मामला दर्ज किया है।

जबलपुर छावनी पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर विजय तिवारी ने इन धाराओं की पुष्टि करते हुए कहा, 'आरएसएस के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए आईपीसी की धारा 295 (ए) और 505 मुकदमा दर्ज किया गया है और उसे जेल भेज दिया गया है।'

यह पूछे जाने पर कि जब ज़िया-उल-हक पर धार्मिक विश्वासों का अपमान करने के लिए मामला दर्ज किया गया है, जबकि यह आरोप मानहानि का है, तिवारी ने कॉल काट दिया।

इसी तरह यही सवाल जब जबलपुर पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा से किया गया, तो उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और द वायर को अपने मातहत बात करने की सलाह दी।

हालांकि, पुलिस कार्रवाई को सही ठहराते हुए जबलपुर के एएसपी संजीव उइके ने कहा, वास्तव में आरएसएस एक धार्मिक संस्था नहीं है, लेकिन अगर कोई मुस्लिम युवक आरएसएस और उसके कार्यकर्ताओं को सूअर कहता है और उनका अपमान करता है और वे कार्रवाई की मांग करते हैं तो पुलिस को को धार्मिक विश्वासों का अपमान करने के लिए बुक करना होगा। अब मामला अदालत के समक्ष है।

दिलचस्प बात यह है कि जब जिया-उल-हक के वकील विकाश राठौर ने 21 जुलाई को जबलपुर न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अदालत में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की, तो अदालत ने अपराध को गंभीर मानते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया और उसे 24 जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।

Tags:    

Similar News