बड़े पूंजीपतियों का लाखों करोड़ रुपया माफ करने वाली मोदी सरकार के पास नहीं किसानों की कर्जमुक्ति के लिए कोई राहत पैकेज

मध्य प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन सरकार निर्लजता के साथ बड़ी-बड़ी विदेशी और अडानी-अंबानी की कॉरपोरेट कंपनियों की चाकर और उनके मुनाफे की पालकी के कहार में बदलकर रह गई है। पूरे देश में जमीनों का कंपनीकरण किया जा रहा है, आपनी जमीन व जंगलों से किसानों को खदेड़ा जा रहा है और उसके बाद उन्हें कोई रोजगार भी मुहैया नहीं कराया जा रहा है....

Update: 2023-10-05 08:34 GMT

इंदौर। संयुक्त किसान मोर्चा के अखिल भारतीय आह्वान के तहत 27 से अधिक किसान संगठनों द्वारा प्रदेश की राजधानी भोपाल में 2 से 4 अक्टूबर राज भवन पर महापड़ाव डाल। इंदौर में कल 4 अक्टूबर को संभाग आयुक्त कार्यालय पर बड़ी संख्या में संयुक्त किसान मोर्चा के घटक किसान संगठनों से जुड़े लोग इकट्ठा हुए। प्रदर्शनकारियों ने संभाग आयुक्त से आह्वान किया कि वह खेती किसानी बचाने के लिए प्रयास करें।

साथ ही प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति और प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन अपर आयुक्त राजस्व को सौंपा। आंदोलन के समर्थन में ट्रेड यूनियन की राष्ट्रीय मंच के स्थानीय इकाई के श्रम संगठनों के नेता व कार्यकर्ताओं द्वारा आंदोलन में भागीदारी की गई। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र तथा प्रदेश सरकार की किसान विरोधी भूमिकाओं की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार चाहे मोदी की हो या शिवराज सिंह चौहान की दोनों ने किसान और मजदूरों से दुश्मनी पाल रखी है।

बढ़ती लागत आमदनी से किसानों को राहत देने की बजाय दोनों ही की सरकारों ने खेती और किसानी को बर्बाद करने की ठान रखी है। किसानों को उनकी उपज के दाम नहीं मिल रहे हैं, महंगाई आसमान छू रही है, वहीं घोषित की गई एमएसपी भी नहीं मिल पा रही है। किसान कर्ज के फंदे में फंसकर रह गया है। बड़े-बड़े पूंजीपति व कॉरपोरेट घरानों के लाखों करोड़ों रुपए माफ करने वाली मोदी सरकार किसानों के लिए किसी भी तरह का कर्ज मुक्ति या राहत पैकेज लाने के लिए तैयार नहीं है।

प्रदर्शनकारियों ने कहा मध्य प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन सरकार निर्लजता के साथ बड़ी-बड़ी विदेशी और अडानी-अंबानी की कॉरपोरेट कंपनियों की चाकर और उनके मुनाफे की पालकी के कहार में बदलकर रह गई है। पूरे देश में जमीनों का कंपनीकरण किया जा रहा है, आपनी जमीन व जंगलों से किसानों को खदेड़ा जा रहा है और उसके बाद उन्हें कोई रोजगार भी मुहैया नहीं कराया जा रहा है। मध्य प्रदेश भी इस अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण का सबसे बदतर शिकार बना हुआ है।

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भोपाल के तीन दिवसीय धरने के जरिए संयुक्त किसान मोर्चा केंद्रीय स्तर की नीति बदलने और किसान हितकारी नीति बनाने के साथ मध्य प्रदेश के किसानों की प्रादेशिक स्तरीय मांगें, अलग-अलग क्षेत्र की समस्याओं को भी उठाया गया। देश प्रदेश के श्रमिक कर्मचारी संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने भी इस तीन दिवसीय धरने में भाग लिया तथा इंदौर के प्रदर्शन में भी अपनी हिस्सेदारी की।

प्रदर्शनकारियों ने कहा अगर सरकार किसानों की मांगें नहीं मानेगी तो आगामी विधानसभा चुनाव में मजदूर किसान कर्मचारी संगठनों की ताकत उसे दंडित करेगी। 11 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन प्रस्तुत किया गया, जिसमें मुख्य रूप से एफआरए के तहत जंगलों में रहने वाले आदिवासी परिवारों को अभियान चलाकर पट्टे आवंटित किए जाने और उन्हें बेदखल नहीं किया जाने और जंगलों को निजी कंपनियों को नहीं सौंपे जाने की मांग की गयी।

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि चंबल व अन्य नदियों के किनारे पीढ़ियों से बसे किसानों को विस्थापित नहीं किया जाए, उन्हें जमीन के पट्टे दिए जाएं। किसानों को जमीन समतल करने के लिए भी अनुदान दिया जाए। प्राकृतिक आपदाओं अतिवृष्टि, जलभराव के कारण फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। प्रभावित किसानों को तत्काल मुआवजा दिया जाए। फसल खरीदी के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार C2+50 (जोड़कर) न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया जाए और खरीदी के लिए कानून बनाया जाए। सभी फसलों की खरीदी पर एमएसपी की व्यवस्था की जाए। फसल बीमा अनिवार्य किया जाए, इसकी समस्त प्रीमियम की अदायगी सरकार द्वारा की जाए।

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि सरकारी बीमा कंपनी ही फसल का बीमा करें और क्षति के आकलन के लिए खेत को इकाई माना जाए। गेहूं के बोनस का बकाया, सोयाबीन का भावांतर, प्याज का भावांतर का भुगतान तत्काल किया जाए। किसानों की संपूर्ण कर्जमाफी कर्जमुक्त की जाए। भूमि अधिग्रहण मामले में भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का पालन सुनिश्चित किया जाए। अधिग्रहित की जा रही किसानों की भूमि को बाजार मूल्य से 5 गुना मुआवजा दिया जाए। राजस्व पुस्तक परिपत्र व अन्य कानून में किसानों के पकक्ष में संशोधन किया जाए। किसानों को समय पर खाद, बीज, कीटनाशक उपलब्ध कराया जाए। नकली बीज—खाद का घोटाला रोका जाए और समय पर पर्याप्त मात्रा में बिजली दी जाये। जले-फुंके ट्रांसफार्मर बदले जाएं, बिजली बिलों के नाम पर लूट बंद की जाए।

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प्रदर्शनकारियों ने ज्ञापन के माध्यम से मांग की कि आवासीय भूमि के लिए सरकार द्वारा प्रदेश में की गई घोषणा एवं आदेश के मुताबिक जो जहां रह रहा है, उसे मौके पर कब्जे के अनुसार उसका मालिकाना हक दिया जाए। किसी भी सूरत में उसकी बेदखली नहीं होना चाहिए। बड़े भू माफियाओं से जमीन छीनकर व अन्य सरकारी भूमि पर मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार सूराज नगर बसाया जाए। अन्य घोषणाओं की तरह यह भी केवल जुमला बनाकर न रह जाए। इंदौर की निरंजनपुर सब्जी मंडी को स्थाई किया जाए। 156 किसानों के भावांतर के भुगतान मंडी निधि से सरकार द्वारा कराया जाए। जंगली जानवरों से फसल की सुरक्षा कराई जाए। नुकसान की भरपाई सरकार द्वारा की जाए।

आंदोलन में वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेता श्याम सुंदर यादव, कांग्रेस से जुड़े दिलीप राजपाल, प्रदेश किसान सभा के उपाध्यक्ष अरुण चौहान, सीटू के प्रदेश उपाध्यक्ष कैलाश लिंबोडिया, किसान संघर्ष समिति मालवा निमाड़ के संयोजक रामस्वरूप मंत्री, एटकके केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रुद्रपाल यादव शामिल रहे। इनके अलावा एचएमएस के प्रदेश अध्यक्ष हरिओम सूर्यवंशी, किसान खेत मजदूर संगठन के सोनू शर्मा, मप्र असंगठित क्षेत्र कांग्रेस नेता राहुल निहुरे, एटक के वरिष्ठ साथी सोहनलाल शिंदे, सीटू के राज्य समिति सदस्य सिएल सरावत, बैंक कर्मचारी संगठन के नेता अरविंद पोरवाल, किसान मजदूर सेना के प्रदेश अध्यक्ष बबलू जाधव, लखन सिंह डाबी, किसान सभा के जिला अध्यक्ष हीरालाल चौधरी, आदिवासी एकता महासभा से काशीराम नायक, भादर सिंह कटारे, खेत मजदूर यूनियन से सीताराम अहिरवार, ममता भाई भूल, सुनीता ठाकुर, अमल यूनियन के सत्यनारायण वर्मा, भागीरथ कछुआ मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव यूनियन के मनीष सिंह सेवा से रेखा जी, नगर निगम कर्मचारी संगठन से महेश गौहर, धार जिला एटक यशवंत पठेकर व बड़ी संख्या में किसान, मजदूर, कर्मचारी आदिवासी सम्मिलित रहे।

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