TMC उम्मीदवार की कोरोना से मौत के बाद पत्नी ने चुनाव आयोग को बताया हत्यारा, दर्ज कराया मुकदमा
TMC प्रत्याशी काजल सिन्हा की पत्नी नंदिता सिन्हा ने डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर सुदीप जैन और अन्य अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही और उपेक्षा करने का केस दर्ज कराते हुए शिकायत में कहा है कि काजल सिन्हा की मौत के लिए ये लोग जिम्मेदार हैं...
जनज्वार, कोलकाता। भारत में इतने बड़े पैमाने पर तबाही मचाते कोरोना के लिए जाहिर तौर पर बंगाल चुनाव और कुंभ ने एक बड़ी भूमिका निभायी है, इस बात को कोर्ट समेत तमाम जिम्मेदार लोग भी कह रहे हैं। ये दूसरी बात है कि इतने बड़े पैमाने पर तबाही मचने और कोरोना के लगातार खतरनाक होते रूप के बावजूद कल 28 अप्रैल को भी बंगाल में भाजपा की रैलियों में जुटी भारी भीड़ के तमाम वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।
इसी बीच ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी कागज सिन्हा की कोरोना से मौत हुयी है। तमाम अन्य प्रत्याशियों की मौत की खबरें भी आयी हैं। काजल सिन्हा की पत्नी नंदिता सिन्हा ने अपने पति की मौत के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराते हुए हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है।
काजल सिन्हा की कोरोना पॉजिटिव होने के बाद 25 अप्रैल को मौत हो गई थी। टीएमसी प्रत्याशी काजल सिन्हा की पत्नी नंदिता सिन्हा ने डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर सुदीप जैन और अन्य अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही और उपेक्षा करने का केस दर्ज कराते हुए लिखित शिकायत में कहा है कि काजल सिन्हा की मौत के लिए ये लोग जिम्मेदार हैं। चुनाव आयोग के लापरवाही भरे रवैये के चलते ही काजल सिन्हा और अन्य प्रत्याशियों की मौत हुई है।
पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में वोटिंग कराने को लेकर भी नंदिता ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाते हुए कहा है, जब पूरा देश कोरोना संक्रमण की मार झेल रहा था, तब चुनाव आयोग ने 8 राउंड में वोटिंग कराने का फैसला लिया। यह वोटिंग 1 महीने से भी ज्यादा लंबी खिंची है। राज्य में 27 मार्च को शुरू हुए चुनाव के आखिरी राउंड की वोटिंग आज 29 अप्रैल को होनी है। नंदिता सिन्हा ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया है कि जानबूझकर लंबे समय तक वोटिंग करायी गयी। जबकि बंगाल के मुकाबले तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में एक ही राउंड में वोटिंग हुई है।
शिकायत में कोविड से मरने वाले तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी काजल सिन्हा की पत्नी ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी की ओर से 16 और 20 अप्रैल को पत्र लिखकर मांग भी की गई थी कि आखिरी के तीन राउंड की वोटिंग एक ही बार में करा ली जाए। मद्रास हाईकोर्ट की ओर से भी चुनाव आयोग पर निशाना साधा गया था।
मद्रास कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग के चुनाव कराने के फैसलों के कारण ही देश में कोरोना की दूसरे लहर आयी है। इस तरह से केसों में इजाफे के लिए चुनाव आयोग के अधिकारियों पर हत्या का केस क्यों नहीं चलना चाहिए। हालांकि इसके जवाब में चुनाव आयोग ने कहा था कि कोरोना प्रोटोकॉल का लागू किया जाना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।
दावा किया जा रहा है कि बंगला में चुनाव की वजह से कोरोना वायरस और तेजी से फैला है। 26 फरवरी को बंगाल चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद राज्य में रोजाना मामले 75 गुना बढ़े हैं। मंगलवार 27 अप्रैल को बंगाल में 16,403 नए मामले सामने आए, जबकि 26 फरवरी को यह संख्या महज 216 ही थी। इस दौरान पॉजिटिविटी रेट में भी भारी उछाल आया है। यह दर एक फीसदी से बढ़कर अब 30 फीसदी पहुंच चुकी है।
बंगाल में मंगलवार 27 अप्रैल को नए मामले मिलने के बाद एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर एक लाख के पार हो चुकी थी, जबकि 26 फरवरी को यह संख्या सिर्फ 3343 ही थी।
कोलकाता में संक्रमण के सबसे अधिक मामले रिपोर्ट किए गए हैं। जबकि नॉर्थ 24 परगना, साउथ 24 परगना और हावड़ा में नए मामलों के 50 फीसदी केस मिले। कोलकाता में मंगलवार 27 अप्रैल को 3708 नए मामले सामने आये। रोजाना तेजी से बढ़ रहे मामलों के बीच में अस्पतालों में बेड्स की संख्या में भी कमी का खुलासा हो रहा है। कोलकाता के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में सोमवार 26 अप्रैल को 1500 से भी कम बेड्स खाली थे, जबकि मरीजों का आंकड़ा बड़े पैमाने पर बढ़ रहा है।