2 हफ्ते बाद शुरू होगा मुश्किलों का दौर, आर्थिक तौर पर 2023 होगा बेहद नाजुक : RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का बड़ा खुलासा
Raghuram Rajan : मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे राजन ने राहुल गांधी के "कुछ पूंजीपतियों के हाथ में ही धन है" सवाल पर कहा कि हम पूंजीवाद के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमें प्रतियोगिता या स्पर्धा से लड़ना पड़ता है...
Raghuram Rajan : आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराज राजन ने महज दो सप्ताह बाद ही आने वाले साल में भारतीय अर्थव्यवस्था के बदहाल रहने के संकेत देते हुए अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट की आशंका जाहिर की है। राजन की मानें तो मध्यम वर्ग तेजी से गरीबी की ओर बढ़ेगा। नौकरियों में कमी और बैंकों की बढ़ती ब्याज दर की वजह से व्यापारिक घाटे इसकी प्रमुख वजह बनेंगे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के बाद राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में रणथंभौर नेशनल पार्क के निकट आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और राहुल गांधी के बीच देश और दुनिया के कई हालात पर खुलकर चर्चा हुई, जिस दौरान राजन ने भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में यह खुलासा किया। राहुल के साथ सवाल जवाब की इस वार्ता की गंभीरता इसी से समझी जा सकती है कि राहुल के यूट्यूब मीडिया पर इस वीडियो को लोड किया गया है, जिसे लोगों द्वारा बहुत ज्यादा देखा जा रहा है।
इस समय, जबकि वाट्सएप यूनिवर्सिटी में भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ने की गप्पे पेलकर लोगों को धोखा दिए जाने का चरमकाल चल रहा हो तो रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की यह टिप्पणी "देश के लिए अगला साल 2023 बेहद खतरनाक रहने वाला है। आर्थिक तौर पर अगला साल मौजूदा साल से ज्यादा कठिन रहने वाला है।" लोगों को धरातल पर आकर सोचने के लिए मजबूर करती है।
राजन जब इसकी वजह "दुनिया में विकास धीमा हो रहा है। लोग ब्याज दरें बढ़ाते जा रहे हैं। इससे विकास में कमी आई है। भारत भी चपेट में आने वाला है। भारतीय ब्याज दरें भी बढ़ी हैं, लेकिन भारतीय निर्यात काफी धीमा रहा है। भारत की महंगाई की समस्या को बताते हैं, तो उनका साफ इशारा मौजूदा आर्थिक नीतियों में तत्काल फेरबदल का है। कमोडिटी महंगाई की समस्या ज्यादा होने और रोजमर्रा की चीजों से लेकर सब्जियों तक की महंगाई को ग्रोथ के लिए नेगेटिव बताते हुए रघुराज राजन का कहना है कि "अगर हम अगले साल 5% करते हैं तो हम किस्मतवाले होंगे।"
राजन के अनुसार हमें विकास का सही आकलन करना होगा। उनका कहना है कि, "विकास संख्या के साथ समस्या यह है कि आपको यह समझना होगा कि आप इससे क्या आंक रहे हैं। यदि पिछले साल एक भयानक तिमाही थी और आप उसके संबंध में माप कर रहे हैं, तो आप बहुत अच्छे दिख रहे हैं। आदर्श रूप से, आप जो करते हैं वह महामारी से परे है। 2019 की तुलना में 2022 को देखें, तो यह लगभग 2 प्रतिशत प्रति वर्ष है। यह हमारे लिए बहुत कम है।" राजन ने महामारी को बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि भारत की विकास दर उससे पहले धीमी पड़ रहा था। हम 9 प्रतिशत से 5 प्रतिशत पर चले गए थे। हमने वास्तव में ऐसा सुधार नहीं किया है जो विकास पैदा करे। महामारी से निम्न मध्यम वर्ग के लोगों की नौकरी चली गई, बढ़ती बेरोजगारी और ब्याज दरों में वृद्धि से उनको कड़ी चोट लगी है।
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे राजन ने राहुल गांधी के "कुछ पूंजीपतियों के हाथ में ही धन है" सवाल पर राजन ने कहा "हम पूंजीवाद के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमें प्रतियोगिता या स्पर्धा से लड़ना पड़ता है। हमें हर क्षेत्र में एकाधिकार को पनपने से रोकना होगा।" इस जवाब से साफ है कि राजन का इशारा अर्थव्यवस्था में अधिक से अधिक लोगों की हिस्सेदारी की तरफ था। लेकिन अब जबकि, सरकार राजन की इस सोच से एकदम उलट दिशा में चल रही है तो आने वाला आर्थिक संकट कुछ ज्यादा ही भयावह होगा। एक स्पष्ट और विराट सोच का दृष्टिपरक राजनैतिक नेतृत्व ही इस संकट से देश को निकाल सकता है।