फीस जमा नहीं करने पर यूपी बोर्ड परीक्षा में फेल हुईं 120 छात्राएं, परीक्षार्थियों-अभिभावकों ने दिया धरना
जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है। लगभग 70 छात्र, जो कथित तौर पर अपनी प्री-बोर्ड परीक्षा में उपस्थित नहीं हुए थे, उन्हें 'अनुपस्थित' के रूप में चिह्नित किया गया था....
जनज्वार। कोरोना महामारी के बीच एक ओर जहां छात्र-छात्राओं के उत्तीर्ण होने पर अभिभावक व छात्र खुशी मना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर के एक स्कूल की 120 छात्राओं की अब्सेंट लगाकर उन्हें फेल कर दिया गया। छात्राओं का कहना है कि आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण वे फीस जमा नहीं कर सके, जिसके चलते उन्हें फेल कर दिया गया।
गौरतलब है कि महामारी के बीच इस साल 10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाएं रद्द कर दी गईं थीं। सीबीएसई की तरह ही यूपी बोर्ड के लिए भी मार्किंग सिस्टम ही था। 12वीं कक्षा के लिए अंकों को 50 : 40: 30 के अनुपात में विभाजित किया गया था। बोर्ड ने 10वीं कक्षा में प्राप्त 50 फीसदी, 11वीं कक्षा में 40 फीसदी और प्री-बोर्ड में मिले 10 फीसदी अंको के आधार पर रिजल्ट तैयार किया और 21 जुलाई को रिजल्ट घोषित किए गए थे।
इन छात्राओं और उनके अभिभावकों ने इस मामले को लेकर कॉलेज के गेट और जिलाधिकारी कार्यालय के गेट पर धरना दिया। छात्राओं-अभिभावकों ने कॉलेज के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि उन्हें परीक्षा में 'उपस्थित' के रूप में चिह्नित किया जाए ताकि उनका शैक्षणिक वर्ष खराब न हो।
वहीं इस मामले जिला प्रशासन की ओर से जांच के निर्देश दिए गए हैं। जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है। लगभग 70 छात्र, जो कथित तौर पर अपनी प्री-बोर्ड परीक्षा में उपस्थित नहीं हुए थे, उन्हें 'अनुपस्थित' के रूप में चिह्नित किया गया था, बोर्ड परीक्षा में असफल रहे हैं। वहीं छात्राओं का दावा है कि फीस का भुगतान न होने के कारण वे फेल हो गए हैं।
छात्राओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें परीक्षा में जानबूझकर 'अनुपस्थित' दिखाया गया है। जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि डीआईओएस अरूण दुबे के नेतृत्व में एक टीम इस पूरे मामले की जांच करेगी, उसके आधार पर ही आगे कार्रवाई की जाएगी।