यूपी में 577 शिक्षकों की कोरोना से मौत, सभी की लगी थी पंचायत चुनाव में ड्यूटी

शिक्षक संगठनों के हवाले से बयान आया है कि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के दौरान 577 बेसिक शिक्षकों की मौत हो चुकी है....

Update: 2021-04-29 12:23 GMT

जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव-2021 के आज आखिरी चरण का मतदान चल रहा है। कोरोना महामारी के दौरान हुए इस चुनाव में अब तक 577 बेसिक शिक्षकों की मौत हो चुकी है। शिक्षकों की मौत का यह दावा राज्य शिक्षक संगठन ने किया है। इससे पहले अमर उजाला ने पंचायत चुनाव के दौरान 135 पोलिंग अफसरों की मौत की खबर छापी थी, जिसका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था।

अब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि उत्तर प्रदेश में चुनावी ड्यूटी में लगे लगभग 500 शिक्षकों की मौत हुई है।

अपने ट्वीट में प्रियंका लिखती हैं 'यूपी पंचायत चुनावों की ड्यूटी में लगे लगभग 500 शिक्षकों की मृत्यु की खबर दुखद और डरावनी है। चुनाव ड्यूटी करने वालों की सुरक्षा का प्रबंध लचर था तो उनको क्यों भेजा? सभी शिक्षकों के परिवारों को 50 लाख रुपये मुआवजा व आश्रितों को नौकरी की माँग का मैं पुरजोर समर्थन करती हूँ।'

गौरतलब है कि शिक्षक संगठनों के हवाले से बयान आया है कि उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के दौरान 577 बेसिक शिक्षकों की मौत हो चुकी है। इसी के बाद प्रियंका गांधी ने यह ट्वीट किया है। इस ट्वीट पर तरह तरह की प्रतिक्रियायें आ रही हैं और कोरोना इतने बड़े पैमाने पर फैलने का ठीकरा जनता योगी सरकार पर फोड़ रही है।

मीडिया में शिक्षक संघ के हवाले से आई खबरों के मुताबिक राज्य शिक्षक संगठन ने उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को उन 577 शिक्षकों की लिस्ट सौंपी है, जिनकी मौत पंचायत चुनाव में ड्यूटी के बाद हुई है। लिस्ट सौंपने के बाद राज्य शिक्षक संगठन ने 2 मई को होने वाली मतगणना को टालने की भी मांग की है। हालांकि चुनाव आयोग की ओर से मतगणना को टालने की कोई सुगबुगाहट नहीं है।

उत्तर प्रदेश शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि पंचायत चुनाव के नाम पर राज्य निर्वाचन आयोग ने 71 जिलों में 577 बेसिक शिक्षकों को संक्रमित कर दिया, हम उनका नाम चुनाव आयोग को सौंप रहे हैं। इससे पहले सरकार की ओर से सभी डीएम, एसपी और जिला निर्वाचन अधिकारी को एक सर्कुलर भेजा गया था।

यूपी सरकार की ओर से भेजे गए इस सर्कुलर में स्पेशल वर्क ऑफिसर एसके सिंह ने सभी डीएम, एसपी और जिला निर्वाचन अधिकारी से अपने जिले में कोरोना के कारण शिक्षकों की मौत के दावे की पड़ताल करने का कहा था। इसकी रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर शासन ने तलब की है।

एक न्यूज चैनल से बात करते हुए शिक्षक महासंघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि कई जिलों से अभी टीचरों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी आनी बाकी है, लोग डरे हुए हैं, उनको लगता है कि कहीं उनके परिजन भी संक्रमित न हो जाएं। अभी हालात बहुत गंभीर है। हमने 12 अप्रैल को ही चुनाव टालने के लिए कहा था, लेकिन हमारी अपील को नजरअंदाज किया गया।

राज्य निर्वाचन आयोग की लापरवाही का जिक्र करते हुए दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि अगर मतगणना को टाला नहीं जाता है तो हम इसका बहिष्कार करने के लिए बाध्य होंगे, चुनाव ड्यूटी के कारण लाखों लोगों को कोरोना संक्रमण का शिकार होना पड़ा है, लेकिन चुनाव आयोग गंभीर नहीं है, अगर आयोग कार्रवाई नहीं करता है तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे।

वहीं राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र मिश्रा प्रदेश के सभी शिक्षक साथियों से अपील करते हुए कहते हैं कि मेरे द्वारा दिये 135 शिक्षकों की मृत्यु के आंकड़े को राज्य चुनाव आयोग संदिग्ध मान रहा है, जबकि आप सब जानते है पंचायत चुनाव के दौरान इससे कहीं अधिक संख्या में हमारे शिक्षक साथियों का निधन कोरोना से संक्रमित होने के कारण हुआ है। 

वीरेंद्र मिश्रा ने सभी शिक्षकों से अपील की है कि अभी तक उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव ड्यूटी में दिवंगत हुए शिक्षक साथियो की सूचना अपने-अपने माध्यम से चुनाव ड्यूटी के नियुक्ति पत्र/कोविड पाजटिव रिपोर्ट (यदि उपलब्ध हो) सहित से देने का कष्ट करें, जिससे राज्य निर्वाचन आयोग एवं माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में सही, सत्य एवं संख्यात्मक स्थिति को 3 मई 2021 को साक्ष्य सहित प्रस्तुत किया जा सके।

AIFUCTO के जोनल सेक्रेटरी डॉ राजेश चन्द्र मिश्र जनज्वार से हुई बातचीत में कहते हैं कि 'कोरोना से तो उच्च शिक्षा के भी सैकड़ों शिक्षक एवं उनके परिवार जन प्रभावित है और कइयों को हम खो चुके है। और प्रतिदिन खो भी रहे हैं। ऐसे कंडीशन में सरकार से गुजारिश है कि पंचायत चुनावों को स्थगित कर कोई ठोस कदम उठाया जाए।

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