Gorakhpur News: योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के जिस कॉलेज के संरक्षक, उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार की राज्यपाल के आदेश बावजूद नहीं होगी जांच

राज्यपाल सचिवालय (UP Governor) ने शिकायतों पर गोरखपुर विश्वविद्यालय (Gorakhpur University) को कार्यवाही को कहा' था...

Update: 2021-09-16 16:49 GMT

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में सामान्य श्रेणी में आवेदन और साक्षात्कार के बाद एससी कोटे में नियम विरुद्ध चयन 

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

जनज्वार/गोरखपुर। शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर कैंपस में छात्रा की फंदे से लटकते शव मिलने समेत विभिन्न प्रकरणों को लेकर दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय (Deen Dayal Upadhyay University) गोरखपुर (Gorakhpur) चर्चा में रहा है। एक बार फिर विश्वविद्यालय से संबद्ध पांच महाविद्यालयों के खिलाफ राज्यपाल (Governor) के आदेश पर शुरू हुई जांच को लेकर यह सुर्खियों में है। इनमें भी खास बात यह है कि जांच रिपोर्ट आने के पहले ही गोरखपुर के जंगल धूषण महाविद्यालय के शिकायतकर्ता प्राध्यापक ने अपनी शिकायत वापस ले ली है। इस महाविद्यालय के  संरक्षक यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहे जाते हैं। ऐसे में  इस प्रकरण में  जांच अब नहीं की जाएगी।

ताजा प्रकरण गोरखपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध पांच महाविद्यालयों के प्राध्यापकों द्वारा की गई शिकायतों को लेकर है। जिसमें वेतन भुगतान, प्राध्यापकों को स्थायित्व किए जाने, संविदा समाप्त करने जैसे मामले शामिल हैं।इसकी शिकायत इनके द्वारा कुलपति (Vice Chancellor) से किए जाने के बाद भी कोई संज्ञान न लेने पर ये राज्यपाल के दरबार में पहुंच गए। यहां शिकायतों को संज्ञान में लेने पर कुलपति भी हरकत में  आते दिखे। उन्होंने 31 अगस्त को शिकायतों के निस्तारण के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी। कमेटी ने अब सम्बन्धित प्रकरणों की सुनवाई शुरू कर दी है।

महाराणा प्रताप पीजी कालेज (Maharana Pratap PG College) जंगल धूषण, गोरखपुर' में प्राध्यापकों को स्थायित्व प्रदान किए जाने मांग की गई है। इसके बाद शमसुद्दीन अंसारी महिला महाविद्यालय अबूबकरनगर देवरिया के प्राचीन इतिहास के प्रवक्ता डाॅ हरेराम पाठक ने वेतन भुगतान न किए जाने समेत अन्य मुद्दों को उठाते हुए राज्यपाल से संज्ञान लेने की मांग की थी। आदित्य नारायण क्षितिजेश ने दिग्विजय नाथ एलटी प्रशिक्षण महाविद्यालय गोरखपुर पर संविदा समाप्त करने व वेतन भुगतान न करने, सुधा विश्वबिन्दु द्वारा भवानी प्रसाद महाविद्यालय करीमनगर गोरखपुर में सम्बद्धता की अनियमितता तथा लाल बहादुर द्वारा हिरामन महातम महाविद्यालय महुआडीह देवरिया में संदीप कुमार के बीएड द्वितीय वर्ष में प्रवेश एवं परीक्षा के बारे में राज्यपाल को शिकायत की गई थी।

राज्यपाल सचिवालय ने इन शिकायतों पर गोरखपुर विश्वविद्यालय को कार्यवाही को कहा' था। इस पर विश्वविद्यालय के कुलपति ने 31 अगस्त को तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर इन शिकायतों की जांच पर आख्या देने को निर्देश दिया है। कमेटी का संयोजक राजनीति विज्ञान विभाग के आचार्य प्रो. रजनीकांत पांडेय को बनाया गया है। कमेटी में अंग्रेजी विभाग के आचार्य प्रो जीएच बहेरा और राजनीति विज्ञान विभाग के आचार्य प्रो आरआर महानंदा को सदस्य बनाया गया है।

इस कमेटी ने अपनी कार्यवाही शुरू करते हुए शिकायतकर्ताओं और महाविद्यालयों के प्रबंधक प्राचार्य व शिकायतकर्ता को अपना पक्ष रखने के लिए बुला रही है।इस क्रम में  8 सितंबर को यूजीसी हृयूमन रिसोर्स डेवलपमेण्ट सेंटर के निदेशक कक्ष में सभी अभिलेखों सहित शिकायतकर्ताओं व प्रबंधकों को उपस्थित होने के लिए कहा गया था। अभिलेखों के अध्ययन के  बाद जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी।

इसके पूर्व नई बात यह सामने आई है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस महाविद्यालय के संरक्षक कहे जाते हैं,उसके शिकायतकर्ता खूद ही पीछे हट गए हैं। शिकायतकर्ता ने जांच टीम को लिखित रूप से अवगत कराया है कि हमने पूर्व में कोई शिकायत नहीं की थी। मेरे नाम का दुरूपयोग करते हुए हमें व महाविद्यालय प्रशासन को परेशान करने की कोशिश की गई है। हमें महाविद्यालय प्रशासन से कोई शिकायत नहीं है। आखिर यह नई बात अचानक कैसे आ गई यह जांच समिति  के भी समझ से परे है।

इसको लेकर भले ही लोग कुछ भी कयास लगाएं, पर यह सच्चाई है कि अगर शिकायतकर्ता ही नहीं रहा तो जांच किस बात की होगी। जांच समिति के संयोजक राजनीति विज्ञान विभाग के आचार्य प्रो, रजनीकांत पांडेय कहते हैं कि जंगल धूषण महाविद्यालय के प्राध्यापक ने लिखित  रूप से अवगत कराया है कि शिकायती पत्र मेंरे हस्ताक्षर से नहीं जारी हुआ है।

उन्होंने कहा कि ऐसे में  यहां की जांच रोक दी गई है। अन्य महाविद्यालयों  की जांच चल रही है।जल्द ही रिपोर्ट कुलपति  को  सौंप दिया जाएगा।  ऐसे में अभी से ही अलग अलग कयास लगाए जा रहे हैं कि वेतन भूगतान को लेकर आम रही शिकायतों के  बीच इस जांच में  क्या होता है। सही मायने में  जांच रिपोर्ट के  अनुसार कार्रवाई होगी या लीपापोती तक ही प्रकरण रह जाएगा।

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