उत्तराखंड में अब रिक्त नहीं माने जायेंगे गेस्ट टीचर के पद, फैसले से नियमित शिक्षक नाराज, प्रमोशन-ट्रांसफर होगा प्रभावित!

उत्तराखंड के नये सीएम धामी ने अतिथि शिक्षकों के मानदेय में बढ़ोतरी की है, साथ ही उनके पद खाली नहीं माने जाने का फैसला लिया है, इस निर्णय से राज्य के निमित शिक्षक नाराज है

Update: 2021-07-06 02:31 GMT

(उत्तराखंड में अब रिक्त नहीं माने जायेंगे गेस्ट टीचर के पद, फैसले से नियमित शिक्षक नाराज, प्रमोशन-ट्रांसफर होगा प्रभावित!)

देहरादून जनज्वार। उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुर्सी संभालते ही राज्य के शिक्षकों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। धामी कैबिनेट ने पहली बैठक में लिये फैसले ने जहां राज्य के अतिथि शिक्षकों को राहत दी है, तो वहीं नियमित शिक्षकों की बेचैनी को बढ़ा दिया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कैबिनेट की पहली बैठक में राज्य के अतिथि शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने और उनके पदों को खाली न माने जाने का फैसला लिया गया है। इससे प्रदेश के जहां 4000 से ज्यादा गेस्ट टीचरों के लिएको राहत मिली है। वहीं, कैबिनेट के इस फैसले से सालों से अपने तबादले और प्रमोशन का इंतजार कर रहे नियमित शिक्षकों को झटका लगा है। नियमित शिक्षकों का कहना है कि इस फैसले से उनके तबादले व प्रमोशन प्रभावित होंगे। साथ ही अतिथि शिक्षकों के पद खाली नहीं माने जाने के फैसले का अर्थ है कि इन पदों पर अब नियमित नियुक्ति नहीं होगी।

अतिथि शिक्षकों के पद नहीं माने जायेंगे खाली

उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के तौर पर पुष्कर सिंह धामी ने रविवार 4 जुलाई को शपथ ली। शपथ के बाद पहले दिन कैबिनेट बैठक में कई फैसले लिये गये। जिसमें लंबे समय से अपना मानदेय बढ़ाए जाने की मांग कर रहे गेस्ट टीचरों की मांग पूरी की गयी। बैठक में निर्णय लिया गया कि गेस्ट टीचरों का मानदेय 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार किया जाएगा। सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की तैनाती की गई है।

साथ ही प्राथमिकता के आधार पर उनकी गृह जिलों में तैनाती की जाएगी। कैबिनेट से इस फैसले पर भी मुहर लगायी है कि अब अतिथि शिक्षकों के पदों को खाली नहीं माना जाएगा। सरकार के इस फैसले से प्रदेश में चार हजार से अधिक गेस्ट टीचरों को बड़ी राहत मिली है, लेकिन गेस्ट टीचरों के पदों को खाली न माने जाने के कैबिनेट के इस फैसले से नियमित शिक्षक नाराज हो गए हैं।

नियमित शिक्षक नाराज

अतिथि शिक्षकों को लेकर धामी कैबिनेट के फैसले से नियमित शिक्षकों में नाराजगी है। उनका कहना है कि सरकार का यह फैसला ऐसे समय में आया है। जब सहायक अध्यापक से लेक्चरर के 1800 पदों पर प्रमोशन की प्रक्रिया चल रही है। अमर उजाला की खबर के मुताबिक, नियमित शिक्षकों को गेस्ट टीचर के मानदेय बढ़ाने और गृह जिला में पोस्टिंग से परेशानी नहीं है,परेशानी है उनके पदों को खाली न माने जाने के फैसले से।

राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी की मानें तो, गेस्ट टीचरों की भर्ती प्रक्रिया में लिखा है कि नियमित शिक्षकों के प्रमोशन और तबादले होने पर गेस्ट टीचरों के पदों को खाली माना जाएगा। पूर्व में हाईकोर्ट से भी इन पदों को खाली दिखाने का आदेश हो चुका है। और अब जबकि नियमित शिक्षक पिछले चार सालों से सरकार से रुके ट्रांसफर की प्रक्रिया के शुरू होने एवं प्रमोशन की उम्मीद लगाये बैठे हैं। ऐसे में गेस्ट टीचरों के पदों को खाली न माना जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

वही शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री डॉ. सोहन सिंह माजिला ने बताया कि गेस्ट टीचरों के मामले में पूर्व में सुप्रीम कोर्ट से एक फैसला आया है। जिसमें इनके पदों को खाली माना गया है। इधर राजकीय शिक्षक संघ के मंडलीय मंत्री डॉ. हेमंत पैन्युली ने कहा कि गेस्ट टीचरों के पदों को खाली न माने जाने के फैसले का संगठन विरोध करता है। राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केके डिमरी ने गेस्ट टीचरों के पदों को खाली न माने जाने के फैसले को जल्दबाजी में लिया गया निर्णय बताया है। उन्होंने कहा कि संगठन गेस्ट टीचरों का मानदेय बढ़ाने एवं उनकी गृह जिलों में तैनाती के फैसले का स्वागत करता है, लेकिन उनके पदों को रिक्त नहीं माने जाने से नियमित शिक्षकों के तबादले एवं प्रमोशन के रास्ते बंद होंगे।

जबकि गेस्ट टीचरों ने फैसले का स्वागत किया है, उनका कहना है कि प्रदेश सरकार ने पहाड़ के युवाओं और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के हित में फैसला लिया है। इस फैसले से नियमित शिक्षकों के तबादले और प्रमोशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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