Gurukul University Scam : 80 एकड़ में बनी यूनिवर्सिटी रातोंरात हो गई गायब, 38 लैब और 62 हॉल बनाने का किया था दावा

Gurukul University Scam : सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के विवादित कुलपति की कमेटी ने कागजों में बनी यूनिवर्सिटी का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की थी। उसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार निजी यूनिवर्सिटी खोलने के लिए विधानसभा में बिल तक ले आई। मामले का खुलासा होने के बाद बिल वापस ले लिया गया।

Update: 2022-03-25 11:18 GMT

राजस्थान में रातोंरात गायब हो गई 80 एकड़ में बनी यूनिवर्सिटी। 

Gurukul University Scam : राजस्थान के कई शिक्षण संस्थान देश और दुनिया में चर्चित हैं, लेकिन ताजा मामला एक ऐसे शिक्षण संस्थान से जुड़ा है जिसको लेकर प्रदेश में सियासी घमासान चरम पर है, जिसके बारे में दावा किया था कि गुरुकुल यूनिवर्सिटी 80 एकड़ में बनी है। इसमें 38 लैब और 62 हॉल बने हैं। बिना सत्यापन के इसे सही मान लिया गया। हद तो तब हो गई जब अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा में एक निजी यूनिवर्सिटी को लेकर एक विधेयक भी पेश कर दिया। ऐन मौके पर विपक्ष ने सवाल उठाया कि यूनिवर्सिटी है कहां, तो सरकार के पास कोई जवाब नहीं था, किरकिरी हुई अलग। आनन-फानन में गहलोत सरकार बिल वापस लेकर आपनी झेंप मिटाई।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक विधेयक वापस लेने से मसला दबा नहीं। अब यह एक घोटाले की शक्ल में नजर आने लगा है। देश के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ होगा। रातोंरात 80 एकड़ में बनी यूनिवर्सिटी गायब हो गई, जिसमें 38 लैब और 62 हॉल थे। आपको यह जानकर ताज्जुब तो होगा, लेकिन इस भुतहा यूनिवर्सिटी की सच्चाई यही है। ऐसा इसलिए कि गुरुकुल यूनिवर्सिटी का फिजिकल वेरिफिकेशन करने गई 4 सदस्यों की टीम का तर्क यही है। टीम का कहना है कि हमारे पास वेरिफिकेशन का वीडियो भी है।

वेरिफिकेशन टीम ने कॉलेज को मान लिया यूनिवर्सिटी

मामला सामने आने के बाद जब इसकी भास्कर ने तहकीकात की तो जो सच सामने आया वो वेरिफिकेशन करने गई टीम के तर्कों से कोसों दूर है। सच यह है कि गुरुकुल यूनिवर्सिटी के लिए आवेदन करने वाली संस्था ने 10 एकड़ में बने कॉलेज कैंपस को ही यूनिवर्सिटी बताया। उक्त कॉलेज कैंपस में 5 इंस्टीट्यूट चल रहे हैं। वेरिफिकेशन टीम ने आंख बंद कर उस पर विश्वास कर लिया कि कॉलेज कैंपस ही यूनिवर्सिटी है।

चौंकाने वाली बात यह है कि सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के विवादित कुलपति की कमेटी ने कागजों में बनी यूनिवर्सिटी का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की थी। उसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार निजी यूनिवर्सिटी खोलने के लिए विधानसभा में बिल तक ले आई। मामले का खुलासा होने के बाद बिल वापस ले लिया गया। दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी के लिए आवेदन करने वाली संस्था ने लीपापोती के लिए रातोंरात युद्ध स्तर पर निर्माण शुरू करा दिया। एक दर्जन से ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रक और 60 से ज्यादा मजदूर रात-दिन कंस्ट्रक्शन में जुटे हुए हैं।

ये है गुरुकुल यूनिवर्सिटी स्कैम का पूरा डिटेल :

आवेदक संस्था ने जो कहा उसे सच मान लिया

गुरुकुल यूनिवर्सिटी के लिए आवेदन करने वाली संस्था गुरुकुल शिक्षण संस्थान का सीकर में एक इंस्ट्यूशन चल रहा है। जहां 10 एकड़ में बनी बिल्डिंग में 5 इंस्टीट्यूट चल रहे हैं। यूनिवर्सिटी की जांच करने आई कमेटी को यही बिल्डिंग दिखाई गई। 10 एकड़ में फैले इस इंस्टीट्यूट को 80 एकड़ में बनी यूनिवर्सिटी का हेडक्वार्टर बताया गया। इसके लिए कमेटी ने इसी बिल्डिंग के फोटो और वीडियो बनाकर उसे रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी बताया। जबकि कमेटी के चार सदस्यों को यूनिवर्सिटी का निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार करनी थी, जिसमें फिजिकल और ह्यूमन रिसॉर्स का वेरिफिकेशन करना शामिल था।

जमीन की नहीं की पैमाइश

गुरुकुल यूनिवर्सिटी की जमीन सीकर से करीब 30 किलोमीटर दूर कोछोर गांव के पास है। जमीन खसरा नंबर 47,181,182, 2607/182, 189, 2609/189, 282/2755, 287, 307, 308, 309, 310/2757, 555, 819/559, 799/560, 801/ 798 है। वेरिफिकेशन टीम ने मौके पर जाकर खसरा संख्या के मुताबिक जमीन का फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं किया। निजी यूनिवर्सिटी एक्ट 2005 के अनुसार यूनिवर्सिटी के लिए कम से कम 30 एकड़ जमीन होना अनिवार्य है। संस्था ने बताया कि वे 80 एकड़ में यूनिवर्सिटी बना रहे हैं, जबकि कमेटी संस्था की ओर से बताए गए जिस इंस्टीट्यूट में गई वो 10 एकड़ में बना है। कमेटी के किसी सदस्य को 10 एकड़ और 80 एकड़ का फर्क समझ में नहीं आया।

विपक्ष ने उठाया कुलपति की नियुक्ति पर सवाल

राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. अमेरिका सिंह के नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि कुलपति के अनुभव प्रमाण पत्र सहित अन्य दस्तावेजों सही हैं या फर्जी इसकी जांच होनी चाहिए। इसके पीछे उनका तर्क था कुलपति ने जो अनुभव प्रमाण पत्र पेश किया है, उस पर कॉलेज या यूनिवर्सिटी का न तो लोगो है और न ही कुलसचिव की मोहर है। प्रमाण पत्र फरवरी 2015 को दिया गया था। लेकिन उसमे इस बात का जिक्र कहीं नहीं कि वो किस पद पर रहे और कितने समय रहे। कुलपति की नियुक्ति जुलाई 2020 में हुई। प्रमाण पत्र में कुलपति की 2015 से 2020 की सेवा अवधि की कोई जानकारी नहीं है। यूपी टेक्नीकल यूनिवर्सिटी की 2008 और 2009 की एनुअल रिपोर्ट में डॉ. अमेरिका सिंह को असिस्टेंट प्रोफेसर बताया गया है, जबकि प्रमाण पत्र में 2007 से खुद को प्रोफेसर बता रहे हैं। जो प्रमाण पत्र दिया है, उसमें कुलसचिव डाॅ. प्रदीप के हस्ताक्षर को मिलाया जाए। एफएसएल जांच के लिए भेजा जाए। ताकि सच सामने आ सके।

चार सदस्यों की कमेटी ने बनाई थी रिपोर्ट

दरअसल, गुरुकुल शिक्षण संस्थान ने गुरुकुल विश्वविद्यालय सीकर के नाम से यूनिवर्सिटी के लिए आवेदन किया था। राज्य सरकार ने निजी विश्वविद्यालय एक्ट 2005 के तहत चार सदस्यों की कमेटी का गठन कर यूनिवर्सिटी के इंस्पेक्शन के लिए भेजा था। कमेटी में मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर के कुलपति प्रोफेसर अमेरिका सिंह, सुखाडिया विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय अध्यक्ष एवं सांख्यिकी विषय के प्रोफेसर घनश्याम सिंह राठौड़, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर में सांख्यिकी विषय के सह आचार्य डॉ जयंत सिंह एवं विधि महाविद्यालय अलवर में सह आचार्य डॉ. विजय बेनीवाल को शामिल किया गया था। कमेटी ने गुरुकुल यूनिवर्सिटी का इंस्पेक्शन कर अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजी थी।

कुलपति अमेरिका सिंह का विवादों से है पुराना नाता

राजस्थान विधानसभा में 11 विधायक सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से जुड़े लगभग दो दर्जन सवाल विधानसभा में उठा चुके हैं। डेढ़ साल में कुलपति की योग्यता से लेकर उनके निर्णय पर कई बार सवाल उठ चुके हैं। इसके बावजूद राजस्थान सरकार ने इस घोटाले पर ध्यान नहीं दिया।

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