बागेश्वर के बकरी पालने वाले ईश्वरी ने खेत बेचकर स्कूल को दान किये ढाई लाख रुपए, खेल मैदान की बाउंड्री न होने पर उठाया कदम

Bageshwar News : जिस पिता ने यह दरियादिली की मिसाल पेश की, वह खुद दूसरी कक्षा तक ही पढ़े लिखे हैं और बकरी पालन कर परिवार का पालन पोषण करते हैं। शिक्षा की ताकत को समझने वाले दूसरी कक्षा तक पढ़े इस ईश्वरी की बेटी सातवीं कक्षा में स्कूल में पढ़ रही है...

Update: 2023-01-04 13:39 GMT

बागेश्वर के बकरी पालने वाले ईश्वरी ने खेत बेचकर स्कूल को दान किये ढाई लाख रुपए, खेल मैदान की बाउंड्री न होने पर उठाया कदम

Bageshwar news : वह बिलकुल आम दिनों की तरह का ही एक दिन था जब ईश्वरी अपनी बकरियों को हांकता हुआ उस राजकीय हाईस्कूल के सामने से गुजर रहा था जहां उसकी फूल सी बच्ची सातवीं कक्षा में पढ़ते हुए देश दुनिया का ज्ञान अपने में समेटने की कोशिश कर रही थी। यह विद्यालय के इंटरवेल का समय था और तमाम बच्चे अपनी बालसुलभ आदतों के अनुसार विद्यालय के सामने ही धमाचौकड़ी मचा रहे थे, लेकिन इन उछलकूद करते बच्चों में उसकी बेटी शामिल नहीं थी।

इस दृश्य के बाद यह आम दिन खास बनने वाला था। घर पर ईश्वरी ने जब अपनी बच्ची से पूछा कि सब बच्चे तो इंटरवल में खेलते हैं, तुम क्यों नहीं खेलती? बच्ची ने ईश्वरी को बताया कि स्कूल का कोई खेल मैदान नहीं है। स्कूल के सामने खेलने पर आवारा पशु परेशान करने आ जाते हैं, जिस कारण अधिकांश लड़कियां इंटरवल में खेलने से वंचित रह जाती हैं।

बच्ची की इस समस्या को देखते हुए सरकारी स्कूल में खेलने की सुविधा के लिए ईश्वरी ने अपनी जीवनभर की कमाई स्कूल को दान देने का फैसला कर लिया। इस किस्से का एक और ट्विस्ट यह भी है कि जिस पिता ने यह दरियादिली की मिसाल पेश की, वह खुद दूसरी कक्षा तक ही पढ़े लिखे हैं और बकरी पालन कर परिवार का पालन पोषण करते हैं। शिक्षा की ताकत को समझने वाले दूसरी कक्षा तक पढ़े इस ईश्वरी की बेटी सातवीं कक्षा में स्कूल में पढ़ रही है।

बागेश्वर जिले के करुली गांव के रहने वाले जो ईश्वरी लाल साह हैं वह जूनियर हाईस्कूल करुली के आसपास रहते हैं। इसी स्कूल में उनकी बेटी भी पढ़ती है। इस स्कूल में वह अधिकतर देखते रहते थे कि बच्चों के खेलने के लिए कोई इंतजाम नहीं है। विद्यालय में पढ़ने वाले लड़के तो फिर भी स्कूल के बाहर मध्यांतर में थोड़ा बहुत खेल लेते हैं, लेकिन स्कूल की बाउंड्री वॉल न होने के कारण लड़कियां अक्सर खेल नहीं पाती हैं।

इसी स्कूल के लिए ईश्वरी ने दान कर दी अपनी जिंदगी भर की कमाई

बेटी से जब उन्हें लड़कियों के न खेलने की बात पता चली तो उन्होंने अपनी बेटी से स्कूल को कुछ ऐसा दान करने की बात कही जिससे सभी बच्चे पढ़ाई के साथ साथ खेल भी सके। कुछ दिन पहले बेटी से किया यह वायदा पूरा करने में ईश्वरी को शायद और भी ज्यादा समय लगता अगर एक दिन अचानक उनकी बेटी ने "स्कूल में खेलने का दान कब देंगे पिताजी ?", कहकर पिता को उनकी बात की याद न दिला दी होती। लेकिन बेटी के याद दिलाने के अगले ही दिन ईश्वरी ने अपना गांव का खेत बेचकर उससे मिले ढ़ाई लाख रुपए की रकम को स्कूल के लिए दान कर दिया।, जिससे उसकी बच्ची के साथ ही विद्यालय के अन्य बच्चे भी पढ़ाई के साथ खेल भी सकें।

स्कूल में पढ़ते हैं कुल 32 बच्चे

स्कूल के प्रधानाध्यापक नरेंद्र गिरी गोस्वामी और सीईओ बागेश्वर जीएस सौन ने 58 वर्षीय ईश्वरी लाल साह की इस पहल का स्वागत करते हुए सभी से इससे सीख लेने की अपील करते हुए बताया कि राजकीय जूनियर हाईस्कूल करूली में 32 बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल में बाउंड्री वॉल और खेल का मैदान न होने से कई तरह की समस्या आ रही थी, लेकिन अब ईश्वरी लाल ने जो पैसा स्कूल की मदद के लिए दिया है, उससे उनकी पहल पर विद्यालय में काम शुरू करवाया जा रहा है।

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