केरल हाईकोर्ट का पितृसत्तात्मक सोच पर सख्त प्रहार, कहा - सुरक्षा की आड़ में लड़कियों के अधिकारों पर आप रोक नहीं लगा सकते
मेडिकल कॉलेज कोझिकोड की छात्राओं ने हाईकोर्ट से रात 9 बजकर 30 मिनट के बाद हॉस्टल से बाहर निकलने पर लगे रोक को हटाने की मांग की है। छात्राओं ने केरल उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी आदेश को तर्कहीन करार दिया है।
पर्सनल लॉ की आड़ में नाबालिग से संबंध बनाकर बच निकलना मुश्किल, ऐसा करना पॉक्सों के दायरे से बाहर नहीं : केरल हाईकोर्ट
नई दिल्ली। केरल हाईकोर्ट ने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज गर्ल्स हॉस्टल की लड़कियों को रात 9 बजकर 30 मिनट के बाद हॉस्टल से बाहर निकलने पर लगाए गए प्रतिबंधों पर सख्त ऐतराज जताया है। हाईकोर्ट ने कहा कि आप पितृसत्तात्मक सोच और लड़कियों की सुरक्षा की आड़ में ऐसा कतई नहीं कर सकते। जब तक कि ऐसा करने के कोई तर्कसंगत वजह न हो।
ऐसे ही एक मामले में एक याचिका पर सुनवाई करने के बाद केरल हाईकोर्ट ने सक्षम अधिकारियों से जवाब मांगा है कि जब छात्रों पर रात 9 बजकर 30 मिनट के बाद कैंपस में चलने पर प्रतिबंध नहीं है तो छात्राओं के बाहर निकलने पर रो क्यों?
केरल हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी सरकारी मेडिकल कॉलेज कोझिकोड की कुछ छात्राओं द्वारा उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद की है। सरकारी मेडिकल कॉलेज कोझिकोड की छात्राओं ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका पर रात 9 बजकर 30 मिनट के बाद हॉस्टल से बाहर निकलने पर लगे रोक हटाने की मांग की है। साथ ही इसे केरल उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी इस आदेश को तर्कहीन करार दिया है।
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने कहा कि आज के दौर में किसी भी पितृसत्तावाद यहां तक कि लिंग के आधार पर सुरक्षा की पेशकश की आड़ में भी ऐसा करना समुचित नहीं ठहराया जा सकता। खुद की देखभाल करने के मामले में लड़कियां, लड़कों की तरह पूरी तरह से सक्षम हैं। अगर ऐसा नहीं तो भी सरकारी एजेंसियों को ऐसा प्रयास करना चाहिए कि हॉस्टल से बाहर निकलने पर प्रतिबंध के बजाय छात्राओं को सक्षम बनाया जाए।
हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी अन्य परिस्थितियां भी हो सकती हैं जिसकी वजह से छात्राएं रात में बाहर निकलना चाहेंगी, इसलिए केवल उच्च अधिकारियों की आदेश की आड़ में उन्हें बाहर निकलने से रोका नहीं जा सकता। ऐसा करते वक्त विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों का दुरुपयोग न हो। यानि सुरक्षा की आड़ में छात्राओं के अधिकारों पर आप रोक नहीं लगा सकते। अदालत ने इस मसले पर अगामी सुनवाई के लिए 7 दिसंबर, 2022 क तारीख मुकर्रर की है।