महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के VC संजीव शर्मा फरार, खुलेआम करते हैं चैलेंज 'मुझे दोबारा कुलपति बनने से नहीं रोक सकता कोई'

MGCU में बिना किसी को कुलपति का प्रभार दिए हुए संजीव शर्मा के गायब होने की सिलसिला पिछले 1 साल से चल रही है, पहले कुलपति अपनी कुर्सी बचाने के लिए फिर सेवा विस्तार के लिए और अभी राजस्थान में कुलपति बनने के लिए मोतिहारी हेड क्वार्टर से गायब होते रहे हैं...

Update: 2021-09-27 15:49 GMT

MGCU विश्वविद्यालय के वीसी संजीव शर्मा का विवादों से रहा है पुराना नाता, कई तरह की गड़बड़ियों के लग चुके हैं आरोप (file photo)

जनज्वार ब्यूरो। महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय (Mahatma Gandhi Central University, Motihari) का शुरू से विवादों से नाता रहा है। एक बार फिर से विश्वविद्यालय (MGCU) में इन दिनों सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अनियमितता, लूटपाट, दैनिक कार्यालय कार्य में विलम्ब जैसे गंभीर विषयों के साथ विश्वविद्यालय फिर से सुर्खियों में बना हुआ है।

इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता आलोक राज ने केन्द्रीय शिक्षा सचिव अमित खरे से इसकी शिकायत की है। उन्होंने यह बताया कि महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा (VC Sanjeev Kumar Sharma) विश्वविद्यालय को रामभरोसे छोड़कर पिछले 15 सितम्बर से मोतिहारी जिला मुख्यालय से गायब हैं। उन्होंने अपनी अनुपस्थिति में किसी को भी विश्वविद्यालय का प्रभार भी किसी को नहीं दिया। 

पहले भी कुलपति संजीव शर्मा (VC Sanjeev Sharma) पर तमाम तरह के आरोप लगते रहे हैं। विश्वविद्यालय शिक्षक संघ से जुड़े शिक्षकों ने जनज्वार से हुई बातचीत में पहले बताया था, प्रोफेसर संजीव शर्मा के ऊपर उनकी नियुक्ति और रीडर से प्रोफेसर पद की पदोन्नति को यूजीसी ने अवैध पाया था। उनकी पदोन्नति पर रोक लगायी गयी थी, मगर यूजीसी के उस पत्र के आदेश को छुपाकर प्रोफेसर शर्मा ने राजभवन, उत्तर प्रदेश को भेजे प्रतिवेदन और इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर रिट याचिका में यूजीसी के गोपनीय पत्र को न ही सिर्फ छुपा लिया, बल्कि उसको विश्वविद्यालय से गायब करा दिया। इसके बाद कई शिकायतें की गयीं, तब राजभवन, उत्तर प्रदेश ने इस मामले की जाँच में प्रोफेसर शर्मा को तथ्य छुपाकर गुमराह करने का आरोपी पाया और इनके प्रतिवेदन को निरस्त कर मामले में जाँच की आदेश दिया था।

MGCU विश्वविद्यालय के वीसी संजीव शर्मा की नियुक्ति में सामने आया गड़बड़झाला, शोध छात्रा ने भी लगाया था उत्पीड़न का आरोप

यह मामला मीडिया की सुर्खियां भी बना था। MHRD को महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के लिए दिए गए आवेदन में प्रोफेसर शर्मा ने रीडर से प्रोफेसर पद की पदोन्नति की तिथि 22 दिसम्बर 2007 लिखी है, जबकि यूजीसी द्वारा मेरठ विश्वविद्यालय को भेजे गए पत्र में साफ शब्दों में लिखा है कि 21 दिसंबर 2007 को प्रोफेसर शर्मा प्रोफेसर के लिए न्यूनतम योग्यता नहीं रखते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जब वो योग्य ही नहीं थे तो फिर 22 दिसंबर 2007 को आखिर वह रीडर कैसे बन गये।


बकौल आलोक राज़, 'मैंने इसकी शिकायत सम्बंधित मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति भवन, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को की है। कुलपति संजीव शर्मा की अनुपस्थिति में इधर विश्वविद्यालय की सारी गतिविधियां 15 दिनों से बंद है। महत्वपूर्ण फाइलों का अप्रूवल रुका हुआ है।

जानकारी के मुताबिक महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय में बिना किसी को कुलपति का प्रभार दिए हुए कुलपति को गायब होने की सिलसिला पिछले 1 साल से चल रही है। पहले कुलपति अपनी कुर्सी बचाने के लिए फिर सेवा विस्तार के लिए और अभी राजस्थान में कुलपति बनने के लिए मोतिहारी हेड क्वार्टर से गायब होते रहे हैं।

प्रोफेसर संजीव शर्मा पर न केवल नियुक्ति और पदोन्नति के मामले में केस लंबित हैं, बल्कि एक शोध छात्रा आभा सिंह के उत्पीड़न का भी आरोप है। आभा सिंह ने अपनी शिकायत कुलपति चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ और श्री जीबी पटनायक प्रमुख सचिव महामहिम कुलाधिपति राजभवन लखनऊ में दर्ज कराई कराई थी। यह मामला भी मीडिया की सुर्खियों में आया था, मगर ये भी अभी तक लंबित है। आभा सिंह ने आरोप लगाया था कि प्रोफेसर संजीव शर्मा ने उनके शोध की रिपोर्ट को ज़ल्दी मंगाने के लिए उनसे खास प्रकार की सहयोग की मांग की थी। आ

आरोप यह भी है कि कुलपति संजीव शर्मा अभी दिल्ली और राजस्थान में बैठकर ऑनलाइन के माध्यम से फर्जी व्याख्यान कराने में जुटे हुए हैं तथा दूसरी तरफ ओएसडी राजीव कुमार, सेक्शन ऑफिसर दिनेश हुड्डा, फाइनेंस ऑफिसर विकास पारिख, IQAC के चेयरमैन प्रणवीर सिंह पर कुलपति के इशारे पर विश्वविद्यालय में जमकर लूटपाट कर रहे हैं।

महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षकों की भी शिकायत है कि कुलपति संजीव शर्मा की गैरमौजूदगी में तमाम तरह की फाइलें अप्रूवल के लिए अटकी पड़ी है। कुलपति संजीव शर्मा केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान का कुलपति पद हासिल करने के लिए नेताओं की दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। कुलपति पर यह भी आरोप है कि वह शिक्षकों को धमकाते हैं कि सचिव अमित खरे की सेवानिवृत्ति 30 सितंबर को होने जा रही है, उसके बाद मुझे कोई कुलपति बनने से नहीं रोक सकता है, क्योंकि मेरे कुलपति बनने में रोड़ा सिर्फ अमित खरे हैं।

सचिव अमित खरे से भी शिकायतकर्ता आलोक राज ने निवेदन किया कि अपने अंतिम 3 दिन के कार्यकाल में इस भ्रष्टाचारी कुलपति की बंद पड़ी फाइलों पर नियमानुसार कार्रवाई करें, जिससे की रिश्वतखोर कुलपति को सजा मिल सके। उनकी जगह पर अति शीघ्र किसी योग्य, निर्विवाद व्यक्ति को विश्वविद्यालय का कुलपति का पदभार दिया जाए, जिससे कि विश्वविद्यालय सुचारू रूप से चल सके।

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