फीस के लिए उत्पीड़न के बाद कॉलेज कैंपस में आत्मदाह करने वाले उज्ज्वल राणा की मौत को चंद्रशेखर आजाद ने बताया सरकारों और शिक्षा तंत्र पर सबसे बड़ा कलंक
परिजनों का आरोप है कि कॉलेज प्रबंधन, पीटीआई और मौके पर पहुंची पुलिस की बेरहमी ने उज्ज्वल राणा को इतना ज्यादा अपमानित कर दिया कि उसने कॉलेज परिसर में ही खुद को आग के हवाले कर अपनी जान लेने की कोशिश की और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई...
DAV College Student Ujjwal Rana death case : नगीना लोकसभा क्षेत्र से दलित सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद ने मुज़फ्फरनगर के डीएवी कॉलेज बुढ़ाना में उज्ज्वल राणा आत्महत्या कांड पर दुख व्यक्त करते हुए आक्रोश जताया है। इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए चंद्रशेखर आजाद ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है, 'शर्म करो! यह सिर्फ़ एक छात्र नहीं, बल्कि शिक्षा के बाजारीकरण की पूरी व्यवस्था जल रही है! आज़ाद भारत का यह शायद पहला मामला है जहाँ शिक्षा के लिए एक छात्र ने कॉलेज में खुद को पेट्रोल डालकर जिंदा जला लिया। यह सिर्फ़ एक दर्दनाक घटना नहीं — यह हमारे समाज, हमारी सरकारों और हमारे शिक्षा तंत्र पर सबसे बड़ा कलंक है।
गौरतलब है कि केवल 7000 रुपये की फीस के विवाद में होनहार छात्र उज्ज्वल राणा की जिंदगी छीन ली। परिजनों का आरोप है कि कॉलेज प्रबंधन, पीटीआई और मौके पर पहुंची पुलिस की बेरहमी ने उज्ज्वल राणा को इतना ज्यादा अपमानित कर दिया कि उसने कॉलेज परिसर में ही खुद को आग के हवाले कर अपनी जान लेने की कोशिश की और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उज्ज्वल द्वारा कॉलेज में खुद को आग के हवाले किये जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
चंद्रशेखर आजाद इस पर रोष व्यक्त करते हुए कहते हैं, 'मुज़फ्फरनगर के D.A.V. कॉलेज के बी.ए. तृतीय सेमेस्टर का छात्र उज्ज्वल राणा 7,000 रूपए की बकाया फीस के लिए मोहलत मांग रहा था, लेकिन प्राचार्य ने पूरे कॉलेज के सामने उसे बेइज़्ज़त किया और पीटा। अपमान और अन्याय से आहत होकर उज्ज्वल ने कॉलेज के भीतर ही खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। उज्ज्वल के वीडियो में उसने कहा है — “अगर मुझे कुछ हुआ, तो प्राचार्य और पुलिस जिम्मेदार होंगे।” फिर भी सरकार और प्रशासन मौन हैं।
छात्रों का भी आरोप है कि कॉलेज स्टाफ और पुलिस द्वारा लगातार किए जा रहे मानसिक उत्पीड़न के कारण ही उज्ज्वल ने यह भयानक कदम उठाया। यह घटना शिक्षा संस्थानों में छात्रों पर पड़ने वाले आर्थिक और मानसिक दबाव के मुद्दे को एक बार फिर उजागर करती है।
चंद्रशेखर आजाद लिखते हैं, 'यह घटना एक छात्र की नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी की चीख है —जहाँ शिक्षा एक बाज़ार, छात्र ग्राहक, और ज्ञान मुनाफ़े का ज़रिया बन चुका है। भारत का संविधान हर नागरिक को मुफ़्त और समान शिक्षा का अधिकार देता है, लेकिन आज शिक्षा संस्थान व्यापार के अड्डे बन चुके हैं —जहाँ गरीब, पिछड़े, दलित और वंचित बच्चों का सपना हर दिन कुचला जा रहा है। केवल सात हज़ार की फीस के लिए एक छात्र ने अपनी जान दांव पर लगा दी!
परम पूज्य बाबा साहब ने कहा था —“शिक्षा वह शेरनी का दूध है, जो पियेगा वह दहाड़ेगा।” लेकिन आज उसी शिक्षा को बाजारू बना दिया गया है —जहाँ न्याय मांगने पर भी छात्रों को धमकाया, गालियाँ दी जाती हैं और पीटा जाता है।
उज्जवल राणा आत्महत्या कांड के बाद चंद्रशेखर आजाद ने योगी सरकार से मांग की है कि
1. D.A.V. कॉलेज के प्राचार्य को तुरंत निलंबित कर गिरफ्तार किया जाए।
2. छात्र उज्ज्वल राणा को सर्वोत्तम चिकित्सा व सुरक्षा दी जाए।
3. कॉलेज प्रशासन और संबंधित पुलिसकर्मियों की निष्पक्ष न्यायिक जांच हो।
4. शिक्षा संस्थानों में फीस और शोषण के मामलों पर राज्यस्तरीय निगरानी तंत्र बनाया जाए।
चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, यह मामला सिर्फ उज्ज्वल का नहीं, बल्कि उन लाखों छात्रों का है जो हर दिन शिक्षा के बाजारीकरण की आग में जल रहे हैं।