मोदी की सरकार को फासिस्ट कहने वाले प्रताप भानू मेहता को देना पड़ा अशोका यूनिवर्सिटी से इस्तीफा
प्रोफेसर प्रताप भानू मेहता सरकार के एक मुखर आलोचक रहे हैं। उन्होंने विभिन्न मौकों पर सरकार की नीतियों की अपने लेखों के माध्मय से आलोचना की है।
जनज्वार ब्यूरो। अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रताप भानू मेहता ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रताप भानू मेहता प्रसिद्ध शिक्षाविद, राजनीतिक वैज्ञानिक और टिप्पणीकार हैं। वे अशोका विश्विद्यालय के कुलपति (वर्ष 2017-19) भी रह चुके हैं। अशोका विश्वविद्यालय के कुलपति पद से हटने के करीब दो साल बाद प्रताप भानु मेहता ने मंगलवार को विश्वविद्यालय से प्रोफेसर के पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया इसके पीछे के वजह अभी तक साफ नहीं हो पाए हैं।
वर्ष 2019 में जब उन्होंने कुलपति के पद से इस्तीफा दिया था तब उन्होंने अकादमिक कारणों का हवाला दिया था। उन्होंने छात्रों और संकाय को पत्र लिखकर बताया था कि वे एक पूर्णकालिक अकादमिक जीवन में लौटना चाहते हैं। लेकिन अब उन्होंने एक प्रोफेसर के रूप में भी इस्तीफ़ा दे दिया है। अपने इस्तीफे के सम्बंध में उन्होंने अभी कुछ नहीं कहा है। वहीं विश्विद्यालय प्रशासन ने भी उनके इस्तीफे की पुष्टि कर दी है। इस्तीफे के कारणों के बारे में विश्विद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है।
विश्विद्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्रोफेसर प्रताप भानु मेहता ने अशोका यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दे दिया है। कुलपति और फैकल्टी मेंबर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय में काफी योगदान दिया। अशोका विश्वविद्यालय उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता है"।
आपको बता दें कि प्रोफेसर प्रताप भानू मेहता सरकार के एक मुखर आलोचक रहे हैं। उन्होंने विभिन्न मौकों पर सरकार की नीतियों की अपने लेखों के माध्मय से आलोचना की है। 2020 में द वायर को दिये गए साक्षात्कार में मोदी औऱ इंदिरा सरकार की तुलना के सवाल पर बोलते हुए उन्होंने कहा था- 'कई मायनों में यह सरकार 1975-77 की इंदिरा गांधी की सरकार की तुलना में 'अधिक कपटी' है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से समझ में आता है जब आप दोनों सरकारों के व्यवहार के पीछे की मंशा को देखते हैं। 1970 के दशक में इंदिरा गांधी का इरादा अपनी स्थिति को सुरक्षित करना और अपने व्यक्तिगत अधिकार को मजबूत करना था। आज मोदी का इरादा अपने प्रमुख और सत्तावादी एजेंडे के साथ-साथ हिंदुत्व को आगे बढ़ाने का है।
मेहता ने अपनी उच्च शिक्षा ऑक्सफोर्ड व प्रिंसटन जैसे विश्वविद्यालयों से पूरी की है। मेहता ने न्यूयॉर्क विश्विद्यालय, हार्वर्ड विश्विद्यालय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य किया है। वे विश्व के प्रमुख अकादमिक जर्नल अमेरिकन पॉलिटिकल साइंस रिव्यू, जर्नल ऑफ डेमोक्रेसी व इंडिया एंड ग्लोबल अफेयर्स के संपादकीय बोर्ड में भी योगदान दे रहे हैं। उन्हें 2010 में मैल्कम आदिशेशैया पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 2011 में उन्हें समाज विज्ञान के लिए इंफोसिस प्राइज से सम्मानित किया गया था। मेहता ने 2006 में तत्कालीन कांग्रेस गठबंधन सरकार की उच्च शिक्षा सम्बन्धी नीति के विरोध में नेशनल नॉलेज कमीशन से भी इस्तीफ़ा दे दिया था।